UP Nagar Nikay Chunav 2023: उत्तर प्रदेश में निकाय चुनाव की तारीखों की घोषणा कर दी गई है। यूपी में दो चरणों में निकाय चुनाव होंगे। पहले चरण में 4 मई और दूसरे चरण में 11 मई को वोटिंग होगी। परिणाम 13 मई को आएंगे। चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद सूबे में आचार संहिता लागू हो गई है। इसी के साथ तमाम राजनीतिक दलों के नेता जनता के बीच अपनी उपस्थित दर्ज कराने के लिए जुट गए हैं, लेकिन यूपी नगर निकाय चुनाव में भाजपा के लिए बढ़त बनाना किसी चुनौती से कम नहीं है, क्योंकि साल 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं। इस नजरिए से यह भाजपा के लिए काफी महत्वपूर्ण हो जाता है, क्योंकि दिल्ली का रास्ता यूपी से ही तय होता है।
2017 में भाजपा ने 16 में से 14 सीटें जीतीं
भारतीय जनता पार्टी जिसके पास पहले से राज्य में सबसे अधिक लोकसभा, विधानसभा और नगर निगमों की मेयर सीटें हैं। 2017 में हुए शहरी निकायों के चुनाव में बीजेपी ने मेयर की 16 में 14 सीटें जीती थी, अलीगढ़ और मेरठ की सीट बसपा के खाते में गई थी। जबकि किसी भी दल का खाता नहीं खुला था। नगर पालिका परिषद की बात करें तो समाजवादी पार्टी ने 45, बसपा ने 29 और कांग्रेस ने 9 सीटें जीतीं थी।
इस बार 17 शहरों में मेयर के चुनाव होंगे। सूची में शाहजहांपुर का नाम बढ़ गया है। मुख्य विपक्षी दल सपा खासतौर पर मेयर की सीट पर अपना खाता खोलने की पुरजोर कोशिश में है। वहीं 2022 के विधानसभा चुनाव में महज एक सीट पर सिमट गई बसपा के लिए भी निकाय चुनावों में मेयर की सीट बरकरार रखना या बढ़ाना आसान नहीं होगा। भाजपा की नजर अपनी बढ़त को बनाए रख 2024 के लोकसभा चुनाव को एक नई ऊर्जा देना होगा।
यही वजह है कि भाजपा के फायर ब्रांड नेता और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद पार्टी अभियान की कमान संभाली है और शहरी विकास से जुड़ी परियोजनाओं का शिलान्यास या उद्घाटन करने के लिए जिलों का दौरा करते रहे हैं। योगी अपने दौरे के दौरान जनता को यह संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं कि भाजपा सरकार ने पिछले छह वर्षों में बेहतर शहरी बुनियादी ढांचे के लिए काम किया है।
2012 में भाजपा ने 12 से 10 सीटों पर जीत हासिल की
2012 के चुनाव पर नजर डालें तो उस वक्त सूबे में समाजवादी पार्टी की सरकार थी, लेकिन भाजपा ने महापौर चुनाव में 12 में से 10 सीटों पर जीत हासिल की थी, जबकि दो सीटें निर्दलीय के खाते में गई थीं, लेकिन 194 नगर पालिका परिषद में भाजपा को केवल 42, कांग्रेस को 15 और पीस पार्टी को 3 सीटें मिलीं, जबकि 130 में से निर्दलीयों ने सबसे बड़ा हिस्सा जीता। बाद में सपा सहित सभी राजनीतिक दलों ने निर्दलीय उम्मीदवारों का समर्थन करने का दावा किया था।उस समय की 423 नगर पंचायतों में भाजपा ने 36, कांग्रेस ने 21 और 352 सीटों पर निर्दलीय जीते थे। जबकि कुछ सीटों पर पीस पार्टी और आरएलडी ने जीत दर्ज की थी।
2006 की बात करें जब बसपा सत्ता में थी, लेकिन उसने अपने सिंबल पर चुनाव नहीं लड़ा था। उस वक्त 12 मेयर की सीटों में से 8 पर बीजेपी ने जीत हासिल की थी। कांग्रेस के तीन और बसपा को एक सीट पर संतोष करना पड़ा था। उस साल 191 नगर पालिका परिषदों में सपा ने 61 सीटों में जीत हासिल की, भाजपा को 41, कांग्रेस को 17 और रालोद को 2 सीटें मिली। जबकि निर्दलीयों ने सबसे अधिक 70 सीटों पर जीत हासिल की थी। 418 नगर पंचायतों में भाजपा को 57, कांग्रेस को 26 और 105 पाकर सपा विजेता रही। जबकि 219 नगर पंचायतों पर निर्दलीय जीते थे।