Madhya Pradesh Congress: लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने मध्य प्रदेश में कांग्रेस को फिर से मजबूती से खड़ा करने के लिए नींव रखी थी, लेकिन इसके दो महीने बाद राज्य इकाई ने पूर्व मंत्रियों, विधायकों और कद्दावर नेताओं के रिश्तेदारों को जिला अध्यक्ष नियुक्त करके अपने जमीनी संगठन को मज़बूत करने की रणनीति का खुलासा किया है। कांग्रेस ने 71 जिला अध्यक्षों की सूची जारी की है। जिसमें 21 जिला अध्यक्षों को दोबारा मौका दिया गया है। जबकि 50 नए चेहरे हैं।

हालांकि, जिला प्रमुख नियुक्त किए गए कई नेताओं की उच्च राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं होने के कारण, विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं, जिससे राज्य कांग्रेस में गहरी गुटीय दरार एक बार फिर उजागर हो गई है। कई सार्वजनिक विरोध प्रदर्शनों, सोशल मीडिया पर तीखे हमलों और इस्तीफों ने पार्टी के संघर्ष की गहराई को उजागर कर दिया है।

पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के पुत्र जयवर्धन सिंह जो राघौगढ़ के विधायक हैं। उनको गुना जिला अध्यक्ष नियुक्त किया गया है। जयवर्धन सिंह ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि यह आलाकमान की पहल है। पिछले महीने जब राहुल गांधी भोपाल आए थे , तो उन्होंने कहा था कि सबसे मज़बूत नेता ज़िला अध्यक्ष होना चाहिए। हम सब पार्टी लाइन का पालन करेंगे ।

वहीं, पार्टी द्वारा अपने ज़िला संगठन में बड़े बदलाव के बाद शनिवार देर रात तक विरोध प्रदर्शन हुए, कई नेताओं ने उनकी नियुक्ति को पदावनति माना। एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने कहा कि 15 लोग ऐसे हैं जिन्होंने ज़िला अध्यक्ष बनने के लिए कभी पूछा ही नहीं। क्या ज़मीनी स्तर से फीडबैक भी लिया गया? सतना जैसी जगहों पर, उन्होंने ऐसे लोगों को चुना है जिनके नाम स्थानीय नेता पहली बार सुन रहे हैं।

सतना के अलावा, भोपाल, इंदौर और उज्जैन ग्रामीण जैसे स्थानों से भी नियुक्तियों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की खबरें आईं। पार्टी के इस कदम के तुरंत बाद इस्तीफ़े शुरू हो गए, बुरहानपुर में हेमंत पाटिल ने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया और देवास ग्रामीण में शीर्ष पद के लिए अनदेखी के बाद गौतम बंटू गुर्जर ने पार्टी छोड़ दी।

सतना में युवा कांग्रेस प्रमुख ने मज़ाक उड़ाते हुए नए अध्यक्ष का संपर्क विवरण मांगा, जबकि डिंडोरी में सबसे कड़ा विरोध हुआ, जहां कांग्रेस नेता अजय साहू ने पुतला दहन की घोषणा की और नए जिला प्रमुख की नियुक्ति को सबसे घटिया बताया। उज्जैन में पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने भी नेतृत्व के चयन पर अपनी नाराज़गी व्यक्त की।

नियुक्तियों के विश्लेषण से पता चलता है कि पार्टी ने कितना नाजुक संतुलन बनाने की कोशिश की है। 71 ज़िला अध्यक्षों में से तीन पूर्व मंत्री, छह मौजूदा विधायक और 11 पूर्व विधायक हैं। पहली बार, चार महिलाओं को ज़िला प्रमुख पद मिले, और कुल 37 नियुक्तियां आरक्षित श्रेणियों में हुईं- 12 ओबीसी, 10 एसटी, 8 एससी, चार महिलाएं और तीन अल्पसंख्यक समुदायों से।

जीतू पटवारी के प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद से हाशिये पर चल रहे पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ अपने समर्थकों के लिए छिंदवाड़ा, जबलपुर और रीवा ग्रामीण सहित 10 ज़िला अध्यक्ष पद हासिल करने में कामयाब रहे, जबकि दिग्विजय सिंह के खेमे को राजगढ़ सहित पांच प्रमुख पद मिले, जहां उनके भतीजे प्रियव्रत कार्यभार संभालेंगे। जीतू पटवारी के सहयोगियों ने भोपाल और इंदौर सहित पांच शहरी क्षेत्रों में अपनी पकड़ बनाए रखी।

नियुक्तियों के बारे में पूछे जाने पर राज्य कांग्रेस उपाध्यक्ष भूपेंद्र गुप्ता ने कहा कि पार्टी को ऐसे नेताओं की आवश्यकता है, जो भाजपा के प्रभाव का मुकाबला कर सकें। उन्होंने कहा कि भाजपा के नेटवर्क से निपटना होगा और हमें ऐसे नेताओं की जरूरत है जो इसका मुक़ाबला कर सकें। कुछ तनाव तो हमेशा रहेगा, लेकिन यह कोई अभूतपूर्व बात नहीं है। चाहे टिकट बंटवारा हो या संगठन में नियुक्तियां, ऐसा होता रहता है।

आलोचना कई मौजूदा विधायकों को ज़िला अध्यक्ष बनाए जाने पर भी है, और वरिष्ठ नेताओं को चिंता है कि इससे विधायकों की अपने निर्वाचन क्षेत्रों में प्रभावी ढंग से काम करने की क्षमता प्रभावित होगी। एक नेता ने पूछा कि अगर विधायक ज़िला पार्टी मामलों का प्रबंधन करेंगे, तो वे अपनी विधायी ज़िम्मेदारियां कैसे निभाएंगे?

कांग्रेस के प्रमुख आदिवासी चेहरों में से एक डिंडोरी विधायक ओमकार सिंह मरकाम, ऐसे ही एक विधायक हैं जो अब ज़िला इकाई की कमान संभालेंगे। यह पूछे जाने पर कि क्या वह डिंडोरी ज़िला अध्यक्ष नियुक्त होने से खुश हैं, दिग्विजय सिंह के पुराने विश्वासपात्र मरकाम ने द इंडियन एक्सप्रेस से कहा कि पार्टी जो भी निर्देश देगी, मैं उसका पालन करूंगा। केंद्रीय नेतृत्व जो भी फैसला करेगा, हम उसका पालन करेंगे।

‘झूठे आरोपों से नहीं डरता चुनाव आयोग’, ECI ने वोट चोरी के आरोपों को बताया पूरी तरह गलत

यह पूछे जाने पर कि क्या उनके समर्थकों ने नियुक्ति पर असंतोष व्यक्त किया है? मरकाम ने कहा कि मेरे समर्थक स्वतंत्र हैं और वे अपनी राय व्यक्त करने के लिए स्वतंत्र हैं। वरिष्ठ नेता राहुल गांधी ने हमसे जो कहा है, मैं उसका पालन करूंगा।

पार्टी के मनोबल को सबसे ज़्यादा नुकसान पहुंचाने वाली बात ये आरोप हैं कि नियुक्त किए गए कुछ नेताओं के पास सत्तारूढ़ भाजपा के साथ अनौपचारिक संपर्क हैं। एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने दावा किया कि ऐसे एक दर्जन से ज़्यादा नेता हैं जो भाजपा के संपर्क में हैं। यह दावा पार्टी के उस घोषित उद्देश्य के विपरीत है जिसमें जिला अध्यक्ष के रूप में सिर्फ़ उन्हीं लोगों को नियुक्त करने की बात कही गई है, जो भाजपा के संपर्क में नहीं हैं। वहीं, राहुल गांधी ने कहा कि हम बिहार में वोट चोरी नहीं करने देंगे। पढ़ें…पूरी खबर।