राजस्थान के राज्यपाल कलराज मिश्रा की जीवनी ‘कलराज मिश्र निमित्त मात्र हूं मैं’ लोकार्पण के बाद से ही विवादों में है।
भारतीय जनता पार्टी (BJP) ज्वॉइन करने की अपील करने वाली इस किताब में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के फोटो हैं, जबकि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के केशव बलराम हेडगेवार और गोलवलकर तक का जिक्र मिलता है। सबसे रोचक बात है कि इस किताब के विमोचन में खुद कांग्रेसी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी पहुंच गए। वह इसके लिए अपने “सियासी क्वारंटीन” से बाहर आए और कार्यक्रम में पूरी गर्मजोशी के साथ मिश्रा के संग दिखे। कभी मंच पर किताब लिए तो कभी आमने-सामने भेंट करते हुए।
वैसे, इस पुस्तक में वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) विधेयक की भी खासियत बताई गई है। कांग्रेस न केवल बीजेपी की विचारधारा का विरोध करती आई है, बल्कि हाल-फिलहाल के सालों में अमल में लाई गई नीतियों और निर्णयों का भी आवाज उठाती रही है। ऐसे फैसलों में केंद्र का लाया जीएसटी भी है। किताब में 17 नंबर पर पेज पर हेडगेवार, गोलवलकर और रज्जू भैया का जिक्र है।
राजभवन पहुंचकर राज्यपाल महोदय श्री @KalrajMishra को जन्मदिवस के अवसर पर शुभकामनाएं प्रेषित की एवं श्री मिश्र के जीवन पर आधारित पुस्तक के विमोचन समारोह में शामिल हुए तथा सम्बोधित किया। pic.twitter.com/42s3IMQAZE
— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) July 1, 2021
पेज नंबर-116 पर मोदी और शाह की तस्वीरें हैं, जबकि वहीं लिखा हैः ‘नए भारत’ को बनाने हमारे आंदोलन को समर्थन दें। पार्टी ज्वॉइन करें और इस मिशन में हमें मजबूत बनाएं। एक भारत, श्रेष्ठ भारत।” इतना ही नहीं, लोकार्पण के दौरान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला समेत कुछ और गणमान्य लोग भी मौजूद रहे।
क्या है पूरा मामला?: दरअसल, एक जुलाई, 2021 को इस किताब का लोकार्पण हुआ था। वहां राज्य के 27 सरकारी विवि के कुलपतियों को प्रकाशक ने किताब की प्रतियां उनके वाहनों में रखवा दी थीं और उनका बिल लिफाफे मे बंद कर कथित रूप से उनके ड्राइवर्स को थमा दिया था। हर कुलपति के लिए दो कार्टन में 19 पुस्तकें थीं, जबकि उसका बिल 68 हजार 383 रुपये (एक का) था।
मिश्रा ने सफाई में कही यह बातः पूरे घटनाक्रम के कारण राज भवन को काफी शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा। राज्यपाल मिश्रा ने स्पष्टीकरण दिया कि पुस्तक के विपणन और इससे जुड़े व्यावसायिक गतिविधि से राजभवन का कोई लेना-देना नहीं है। राजभवन के एक अधिकारी ने समाचार एजेंसी “पीटीआई-भाषा” को बताया कि प्रकाशक के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी और कुलपति पुस्तकें वापस कर सकते हैं।
VC और प्रकाशक के दावे अलगः प्रकाशक ने कहा कि 68,383 रुपये के बिल में पांच पुस्तकों- ‘कलराज मिश्र निमित्त मात्र हूं मैं’, ‘जयपुर जैम ऑफ इंडिया’, ‘मारवाड़ी हैरिटेज’, ‘दी हैरिटेज ऑफ इंडियन टी’ और ‘पुणे ए सिटी ऑफ मेनी शेड्स एंड कलर्स’ का उल्लेख है, जबकि एक कुलपति ने दावा किया कि बिल में बायोग्राफी के अलावा बंडल में शामिल किसी भी पुस्तक का उल्लेख नहीं किया गया। बायोग्राफी के प्रकाशक के सहयोगी डी के टकनेट ने बताया कि कार्यक्रम उनके द्वारा आयोजित किया गया था और पुस्तकें कुलपतियों के आदेशानुसार दी गई थीं। कुलपतियों ने पुस्तकों की मांग की थी और उन्हें बिल के साथ पुस्तकें दी गई थीं।