शिव संग्राम पार्टी के नेता विनायक मेटे की रविवार सुबह मुंबई-पुणे एक्सप्रेसवे पर हुए हादसे में मौत हो गई। 52 वर्षीय मेटे पुणे से मुंबई जा रहे थे। उनकी कार में एक अन्य व्यक्ति और उनका ड्राइवर कार था। ये हादसा रायगढ़ जिले के रसायनी थाना क्षेत्र के मदप सुरंग के पास सुबह करीब सवा पांच बजे हुआ। उनकी गाड़ी की हालत देखकर लगता है कि टक्कर कितनी जोरदार रही होगी।

पुलिस का कहना है कि मडप सुरंग के पास जब मेटे की कार पहुंची तो सामने से आ रही एक गाड़ी ने टक्कर मार दी। सभी को अस्पताल ले जाया गया। हादसे में विनायक मेटे के सिर के चोट लगी। अस्पताल में मेटे को मृत घोषित कर दिया गया। पनवेल के एमजीएम अस्पताल में मेटे की जांच करने वाले एक डॉक्टर ने कहा कि उनको गंभीर हालत में सुबह करीब छह बजकर 20 मिनट पर अस्पताल लाया गया था। अस्पताल लाने से पहले उनकी मृत्यु हो गई थी।

मराठवाड़ा क्षेत्र के बीड जिले के रहने वाले पूर्व एमएलसी मराठा आरक्षण के समर्थक थे। बताया जाता है कि वह एक बैठक में शामिल होने के लिए मुंबई जा रहे थे। मेटे तीन बार विधायक रह चुके थे। वो सूबे में मंत्री भी रहे थे। विनायक मेटे का गोपीनाथ मुंडे के साथ काफी करीबी रिश्ता था।

मेटे ने 2014 विधानसभा चुनाव के दौरान बीजेपी के साथ हाथ मिलाया था। इससे पहले वो एनसीपी समर्थक रहे थे। मेटे को मराठा समाज के लिए काम करने के लिए जाना जाता था। उनके निधन को इस समाज के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। उनके निधन की सूचना मिलते ही सीएम एकनाथ शिंदे और उनके डिप्टी देवेंद्र फडणवीस अस्पताल पहुंचे।

राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने मेटे के निधन पर दुख जताते हुए कहा कि उनका ध्यान राजनीतिक मुद्दों की तुलना में सामाजिक मुद्दों पर अधिक था। वह एक नेता की तुलना में एक सामाजिक कार्यकर्ता अधिक थे। पवार ने कहा कि यह हमारे लिए बहुत बड़ा झटका है। कांग्रेस नेता अशोक चव्हाण ने कहा कि मेटे जैसे नेता को खोना दुर्भाग्यपूर्ण है। पूर्व प्रदेश भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि मेटे की मौत उनके लिए सदमे की तरह है। पाटिल ने कहा कि वह मराठा आरक्षण के मुद्दे को उठा रहे थे।