महाराष्ट्र की सियासत में मचा घमासान अब निर्णायक मोड़ के काफी करीब पहुंच गया है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के इस्तीफा देते ही बीजेपी में जश्न शुरू हो गया है। बीजेपी की महाराष्ट्र इकाई के प्रमुख चंद्रकांत पाटिल ने कहा कि उन्होंने बागी विधायकों से शपथ ग्रहण के दिन ही मुंबई आने को कहा है। उन्होंने कहा, “शिवसेना के जो विधायक कल मुंबई पहुंच रहे थे, मैं उनसे कल नहीं आने का आग्रह करता हूं, वे शपथ ग्रहण के दिन आएं।”
इस बीच बीजेपी नेता राम कदम ने कहा कि सीएम ने जो आज इस्तीफा दिया है वो उन्हें नैतिकता के आधार पर 9 दिन पहले दे देना चाहिए था। उन्होंने कहा कि ढाई साल में बस 1-2 बार ही उद्धव ठाकरे मंत्रालय गए, उसमें भी मंत्रियों और विधायकों से कोई मुलाकात नहीं की।
उन्होंने कहा कि ढाई साल के अपने कार्यकाल में मुख्यमंत्री सिर्फ फेसबुक लाइव में दिखे हैं। जनता में कब देखा है। उन्होंने कहा, “ये देश के पहले मुख्यमंत्री होंगे जो अपने ढाई साल के कार्यकाल में सिर्फ 3 बार मंत्रालय गए उसमें से भी लॉबी से लौटकर आ गए। मंत्रियों और विधायकों से मिलने का उनके पास समय नहीं है। इसी वजह से इन्होंने जिस तरह हिंदुत्व त्याग दिया था, इनके सारे लोग चले गए।”
उन्होंने कहा, 9 दिन से महाराष्ट्र की सरकार पूरी तरह से अल्पमत में है जब सरकार के पास आंकड़े ही नहीं हैं, तो सत्ता में रहना प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से संविधान की अवहेलना है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि महाराष्ट्र की सरकार ने जनता के साथ छलावा किया और विगत ढाई वर्षों में देश ने क्या देखा, 100 रुपए की वसूली करने वाली तीन दलों की सरकार है।
वहीं, बीजेपी प्रवक्ता गौरव भाटिया ने कहा कि जिस तरह से उद्धव जी ने इस्तीफा दिया है वो दर्शाता है कि उनके पास समर्थन नहीं था, लेकिन वो फिर भी मुख्यमंत्री की कुर्सी के साथ चिपक कर बैठे। आज जब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया तो उनके पास ज्यादा विकल्प नहीं बचे थे इसके साथ ही महावसूली अघाड़ी सरकार का अंत हुआ।
उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी के साथ चुनाव लड़कर पीएम मोदी की छवि का फायदा उठाया और देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में चुनाव लड़कर यूटर्न मारकर एनसीपी और कांग्रेस के सात वसूली सरकार बनाई। उन्होंने बाला साहब ठाकरे का जिक्र करते हुए कहा कि वो कहते थे, “मैं बाहर रह लूंगा अपनी दुकान बंद कर लूंगा, लेकिन कांग्रेस के साथ कभी नहीं जाऊंगा।”