शिवसेना से बगावत करने वाले एकनाथ शिंदे के ‘शक्ति प्रदर्शन’ के बाद महा विकास अघाड़ी सरकार में घटक कांग्रेस पार्टी भी अब अपने विधायकों को लेकर चिंतित नजर आ रही है। पार्टी के एक धड़े का मानना है कि कई विधायक ‘कमजोर’ हैं और केंद्रीय नेतृत्व इन्हें एक साथ रखने में कोई खास दिलचस्पी नहीं ले रहा है। महाराष्ट्र के सियासी संकट के बीच मुंबई भेजे गए एआईसीसी पर्यवेक्षक कमलनाथ अब मध्य प्रदेश लौट आए हैं।
कांग्रेस का कहना है कि पार्टी के 44 विधायक साथ हैं। वहीं कमलनाथ ने दावा किया है कि उन्होंने 41 विधायकों से मुलाकात की है और तीन से फोन पर बात हुई है। एमवीए सरकार को लेकर कांग्रेस के एक शीर्ष नेता ने कहा, “यह हाथ से निकल चुका मामला है।” मुंबई पहुंचे कमलनाथ ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार से मुलाकात की थी और सीएम उद्धव ठाकरे से फोन पर बात की थी। मुंबई से मध्य प्रदेश के लिए रवाना होने से पहले उन्होंने पार्टी आलाकमान को वहां के ताजा हालात के बारे में जानकारी दी थी।
कांग्रेस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने हमारे सहयोगी द इंडियन एक्सप्रेस को बताया, “यह हाथ से निकल चुका मामला है। लगता है उद्धव ने लड़ने की इच्छाशक्ति ही खो दी है। शायद इसके पीछे उनका खराब स्वास्थ्य है। वैसे भी हम लोग बहुत कुछ नहीं कर सकते। कुछ ऐसा ही हाल एनसीपी का भी है। अब यह शिवसेना पर निर्भर करता है कि सरकार को बचाने के लिए जो कुछ कर सकती है, वह करे।”
कमलनाथ से संपर्क करने पर उन्होंने कहा, “हमारे विधायक हमारे साथ हैं। कांग्रेस में पूरी एकता है। लेकिन मेरा सवाल यह है कि शिवसेना के विधायक अभी भी गुवाहाटी में क्यों हैं? उद्धव ठाकरे ने कहा है कि वह इस्तीफा देने और नए नेता के लिए रास्ता देने को तैयार हैं। इसके बाद उन्हें (बागी विधायकों) वापस आना चाहिए और विधायक दल की बैठक में भाग लेकर अपना नेता चुनना चाहिए। गुवाहाटी में बैठकर वे क्या हासिल कर लेंगे?”
हालांकि, कई कांग्रेसी नेताओं को अपना ही ‘घर’ सुरक्षित नहीं लग रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, एक वरिष्ठ नेता का महाराष्ट्र के कांग्रेस प्रभारी एच के पाटिल के साथ सभी को एक साथ रखने की पहल नहीं कर पाने को लेकर बहस हुई थी। पार्टी के एक नेता का कहना है, “हमारे विधायक खुले घूम रहे हैं। हमें कम से कम उन्हें किसी होटल में ले जाना चाहिए। मत भूलिए कि कुछ दिन पहले एमएलसी चुनाव में कांग्रेस की ओर से क्रॉस वोटिंग हुई थी।”
एक अन्य वरिष्ठ नेता ने कहा कि दो से सात विधायकों ने क्रॉस-वोटिंग की थी। नतीजन, पार्टी की पहली पसंद के उम्मीदवार, राज्य कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष चंद्रकांत हांडोरे की हार हुई। उन्होंने कहा, “लेकिन क्या पार्टी ने इस पर ध्यान दिया है? क्या पार्टी ने क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायकों के बारे में पता लगाया है? क्या उनसे बात की गई है?”