मध्य प्रदेश के ग्वालियर में केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया सफाईकर्मियों के सम्मान कार्यक्रम पहुंचे थे। इस दौरान केन्द्रीय मंत्री सिंधिया का एक अलग रूप नजर आया। दरअसल इस कार्यक्रम में सिंधिया मुख्य अतिथि के रूप में पहुंचे थे। लेकिन जैसे ही दीप प्रज्ज्वलन का कार्यक्रम शुरू होने वाला था, उसी दौरान सिंधिया अचानक मंच से उतर गएं और कार्यक्रम में मौजूद एक महिला सफाईकर्मी का हाथ पकड़कर अपने साथ मंच पर लेकर आ गएं।
केन्द्रीय मंत्री सिंधिया ने महिला सफाईकर्मी से कार्यक्रम में पूजन भी करवाया और विशेष अतिथियों की पंक्ति में महिला को बिठाया। इसी दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया ने एक अन्य महिला सफाईकर्मी का सम्मान करते हुए उनका पैर भी छुआ और उन्हें गले लगाया। सिंधिया सावर्जनिक तौर पर ऐसा करते हुए पहली बार देखें गए और इस कार्यक्रम का वीडियो भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है।
कार्यक्रम के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने मीडिया से बात करते हुआ कहा कि,” देवताओं के चरण छुए जातें हैं और ये सफाईकर्मी हमारे देवता हैं।” सिंधिया का ये रूप पहली बार लोगों ने देखा है। हालांकि बीजेपी नेताओं के लिए ये नया नहीं है। इसके पहले प्रधानमंत्री ने लोकसभा चुनावों के पहले प्रयागराज में कुम्भ मेले के दौरान सफाईकर्मियों को सम्मानित करते हुए उनके पैर धोये थे। पीएम मोदी लोगों को सफाईकर्मियों का सम्मान करने के लिए प्रेरित भी करते रहतें हैं। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी भोपाल में सफाईकर्मियों को सम्मानित करते हुए उनके चरण धोये थे।
सिंधिया ने मार्च 2020 में कांग्रेस छोड़कर बीजेपी जॉइन की थी और उनके साथ कई कांग्रेस विधायकों ने भी बीजेपी जॉइन की थी, जिससे मध्यप्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ सरकार गिर गई थी। सिंधिया को बीजेपी ने राज्यसभा सांसद बनाया और केंद्र में मंत्री भी बनाया गया है।
बता दें कि ग्वालियर ने स्वच्छता रेटिंग में 7 स्टार का दावा किया था लेकिन वर्तमान में ग्वालियर को 3 स्टार स्वच्छता रेटिंग मिली है। वहीं इंदौर को 5 स्टार स्वच्छता रेटिंग मिली हुई है। ग्वालियर की स्वच्छता रेटिंग को सुधारने के लिए लोकल प्रशासन द्वारा कई कार्यक्रम चलाये जा रहें हैं। ग्वालियर नगर निगम का दावा है कि एक ठेके के कारण ग्वालियर की स्वच्छता रेटिंग बिगड़ गई। सूखे कचरे के निस्तारण के लिए निगम ने एक टेंडर जारी किया था जिसे 60 लाख रुपये में उठाया गया, लेकिन ठेकेदार ने कार्य करने में असमर्थता जताते हुए इसे सरेंडर कर दिया।