मध्य प्रदेश में जारी सियासी उठापटक के बीच जहां भाजपा राज्य में अपनी सरकार बनाने की राह देख रही हैं। वहीं कांग्रेस इतनी जल्दी हथियार डालती नहीं दिख रही। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ शुक्रवार सुबह ही राज्यपाल लालजी टंडन से मिलने राजभवन पहुंच गए। यहां दोनों के बीच करीब एक घंटे चर्चा हुई और कमलनाथ ने फ्लोर टेस्ट में बहुमत साबित करने का दावा भी कर दिया। इसके बाद कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पार्टी नेताओं के साथ राज्यसभा का नामांकन दाखिल किया। कयास लगाए जा रहे थे कि उनके समर्थक विधायक इस मौके बेंगलुरु से लौटेंगे और उनका साथ देंगे। लेकिन बागी विधायक भोपाल नहीं लौटे।

माना जा रहा था कि बागी विधायक भोपाल लौटते ही शाम तक विधानसभा अध्यक्ष से मुलाकात करेंगे। हालांकि, उनके न लौटने पर राजनीतिक गलियारों में सरगर्मियां तेज हो गईं। कांग्रेस के महासचिव दिग्विजय सिंह ने तो आशंका जता दी कि बागी विधायकों को बेंगलुरु में ही कोरोनावायरस संक्रमण हो गया है। उन्होंने मांग की कि बेंगलुरु में विधायकों का टेस्ट कराया जाए।

कमलनाथ ने कहा- विधायकों को कैद करने के बाद कैसे होगा फ्लोर टेस्ट: कमलनाथ ने राज्यपाल से मुलाकात के दौरान उन्हें चिट्ठी भी सौंपी। इसमें उन्होंने भाजपा पर विधायकों की खरीद-फरोख्त के आरोप लगाए। साथ ही राज्यपाल से मांग की है कि वे गृह मंत्री अमित शाह से बेंगलुरु में बंधक विधायकों को मुक्त कराने के लिए कहें। मुलाकात के बाद कमलनाथ ने कहा कि मैं फ्लोर टेस्ट के लिए तैयार हूं। लेकिन आप 22 विधायकों को कैद कर लें और कहें कि अब फ्लोर टेस्ट कराएं। यह कहां ठीक है?

इसके कुछ ही घंटो बाद कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए ज्योतिरादित्य सिंधिया और प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी राज्यपाल से मिलने पहुंच गए। दोनों ने विधानसभा में फ्लोर टेस्ट की संभावनाओं पर चर्चा की और राज्यपाल को बताया कि कांग्रेस के 22 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है। ऐसे में कमलनाथ सरकार अल्पमत में है।

राज्य के संसदीय कार्यमंत्री ने कहा- कोरोनावायरस के चलते बजट सत्र स्थगित हो: मध्य प्रदेश के संसदीय कार्यमंत्री डॉक्टर गोविंद सिंह ने कोरोनावायरस के खतरे को देखते हुए बजट सत्र स्थगित करने की मांग की। उन्होंने इसके लिए विधानसभा अध्यक्ष एनपी प्रजापति को पत्र लिखा। सत्र की शुरुआत 16 मार्च से होनी है।