Kanpur Violence: पुलिस कमिश्नर विजय सिंह मीणा के मुताबिक, कानपुर हिंसा मामले में अब तक 24 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। पुलिस की ओर से फंडिंग और बैंक अकाउंट की जांच जारी है। सोशल मीडिया से लेकर टीवी मीडिया तक में इस घटना की चर्चा हो रही है। प्राइवेट न्यूज़ चैनल न्यूज-24 के डिबेट कार्यक्रम ‘राष्ट्र की बात’ में भी आज का मुद्दा कानपुर हिंसा ही था। इस चर्चा में भाजपा प्रवक्ता अनिला सिंह, कांग्रेस नेता उदित राज, सपा नेता सुनील साजन, एआईएमआईएम नेता वारिस पठान और विश्व हिन्दू परिषद के प्रवक्ता विजय शंकर तिवारी शामिल थे।

भाजपा-कांग्रेस में हुई टक्कर

डिबेट के दौरान भाजपा प्रवक्ता सपा पर आरोप लगा रही थीं कि समाजवादी पार्टी हिन्दुओं की बात नहीं करती। तभी कांग्रेस नेता उदित राज भाजपा प्रवक्ता पर बिफर गए। उन्होंने भाजपा को दलित विरोधी बताते हुए कहा, आज बड़ा हिन्दू-हिन्दू की बात कर रही हैं। जब वोट लेना होता है तो भाजपा सबको हिन्दू बना देती है। बेटी-रोटी का संबंध बनाए तब हम जाने। समाजवादी पार्टी के ऊपर आप तोहमत लगा रही हैं कि वो हिन्दुओं की बात नहीं करते। मैं ये पूछना चाहता हूं कि क्या आपने ठेका ले रखा है हिन्दुओं का।

भाजपा प्रवक्ता पर सवालों की झड़ी लगाते हुए उदित राज कहते हैं, मैं इनसे सवाल करना चाहता हूं कि क्या हिन्दू है कोई इस देश में। कोई कुर्मी है, कोई ठाकुर है, कोई ब्राह्मण है, कोई खटिक है, कोई पासी है, कोई चमार है… हिन्दू कौन है भाई इस देश में। अगर हिन्दू सब हैं तो बेटी का संबंध (अंतरजातीय विवाह) क्यों नहीं होता। अपवाद को छोड़ दें तो क्या दलितों का उत्पीड़न मुसलमान करता है? घोड़ी पर कौन नहीं चढ़ने देता? ये सब तो तथाकथित सवर्ण ही करते हैं।

‘कपिल मिश्रा और आशीष मिश्रा के घर पर क्यों नहीं चला बुलडोजर?’

एकपक्षीय फैसले का उदाहरण देते हुए उदित कहते हैं, ”दंगा जिसने भी कराया हो। चाहे वो हिन्दू पक्ष हो या मुस्लिम पक्ष हो, सही आदमी को चिन्हित कर दंडित किया जाना चाहिए। उसमें भेदभाव नहीं होना चाहिए। लेकिन जब कपिल मिश्रा के बयान से दिल्ली जल उठी, तो उनको इनाम दिया गया। उनकी सुरक्षा बढ़ाई गई। उनके घर पर तो बुलडोजर नहीं चला? आशीष मिश्रा के घर पर तो बुलडोजर नहीं चला?

बुलडोजर सिर्फ विपक्ष के ऊपर ही चलता है। यही नहीं सैकड़ों ऐसे दृष्टांत हैं जहां एकपक्षीय फैसला होता है। जो दंगाई दिल्ली में आए थे। वो बागपत से आए थे, बुलंदशहर से आए थे। एक भी नहीं पकड़े गए। ये बड़ी बात नहीं है कि प्रधानमंत्री कानपुर में हैं और ऐसी वारदात हो गई। प्रधानमंत्री जी तो दिल्ली में थे जब दिल्ली जल रहा था। देश की राजधानी में वो दंगा लगातार तीन दिन तक चलता रहा। तीन दिन तक मार-काट चलता रहा। उस हिसाब से देखा जाए तो कानपुर में कोई बहुत अप्रत्याशित बात नहीं हुई है।”

बता दें कि शुक्रवार को जुमे की नमाज़ के बाद कानपुर में मेकनगंज थाना क्षेत्र के नई सड़क इलाके में सांप्रदायिक हिंसा हुई थी। इस दौरान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कानपुर ज़िले में कार्यक्रम था।