IRCTC, Shramik Special Trains: श्रमिक स्पेशल ट्रेनों में भोजन और पानी की कमी तथा अत्यधिक विलंब की शिकायतों की, सोशल मीडिया पर भरमार होने के बीच रेलवे ने मंगलवार को कहा कि अब किसी ट्रेन के मार्ग में परिवर्तन नहीं किया जा रहा है। साथ ही रेलवे ने कहा कि पिछले तीन दिनों के दौरान सभी ट्रेनें अपने ‘पूर्व-निर्धारित तर्कसंगत मार्गों’ पर चल रही हैं। अधिकारियों ने बताया कि किसी एक ट्रेन के अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए कई मार्ग होते हैं और संभव है कि तर्कसंगत मार्ग ‘सामान्य मार्ग’ नहीं हों।
रेलवे ने कहा है कि नेटवर्क की व्यस्तता मुख्य कारण है जिसकी वजह से ट्रेनों को ‘असामान्य’ मार्गों से भेजा गया। उन्होंने कहा कि यह सामान्य दिनों में भी अनसुनी बात नहीं है। रेलवे के एक प्रवक्ता ने कहा, ‘अब कोई मार्ग परिवर्तन नहीं है। पिछले तीन दिनों के दौरान शुरु हुई सभी ट्रेनें अपने पूर्व-निर्धारित तर्कसंगत मार्गों पर चल रही हैं।’ एक श्रमिक स्पेशल ट्रेन 21 मई को मुंबई से गोरखपुर के लिए रवाना हुई। ट्रेन को कल्याण-जलगांव-भुसावल-खंडवा-इटारसी-जबलपुर-मानिकपुर मार्ग से जाना था। लेकिन मौजूदा मार्गों पर भारी ट्रैफिक के कारण इसे गोरखपुर से बिलासपुर, झारसुगुड़ा, राउरकेला, आसनसोल मार्ग से रवाना किया गया।
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यात्रियों ने सोशल मीडिया के जरिए आरोप लगाया कि उन्हें समय में बदलाव के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई और वे भोजन और पानी के बिना फंसे रहे। मगर रेलवे ने एक बयान में कहा कि इंडियन रेलवे कैटरिंग एंड टूरिज्म कॉर्पोरेशन (आईआरसीटीसी) ने अब तक उसने 44 लाख यात्रियों को एक करोड़ से अधिक पानी की बोतलें तथा 74 लाख मुफ्त भोजन वितरित किए हैं। लेकिन कई यात्रियों ने ट्वीट किया कि वे यात्रा में अधिक समय लगने के कारण भूख से परेशान हैं। इस मुद्दे से निपटने के लिए रेलवे ने 22 मई को एक आदेश में प्रत्येक जोन के महाप्रबंधकों को प्रत्येक श्रमिक स्पेशल ट्रेन पर एक लाख रुपए तक खर्च करने का अधिकार दिया। हालांकि अधिकारियों का कहना है कि इन ट्रेनों में भोजन की मांग को पूरा करना मुश्किल काम है क्योंकि वे बिना तय समय के चलती हैं।
भारतीय रेलवे ने एक मई से 3,276 ‘श्रमिक स्पेशल’ ट्रेनों से करीब 44 लाख प्रवासी मजदूरों को उनके गंतव्य स्थानों तक पहुंचाया है। आधिकारिक डेटा के मुताबिक कुल 2,875 ट्रेनों को रद्द किया गया जबकि 401 चलाई जा रही हैं। रेलवे ने कहा कि 25 मई को 223 ”श्रमिक विशेष ट्रेनों” ने 2.8 लाख यात्रियों पहुंचाया गया।
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रेलवे ने कहा, ‘अंतर-राज्यीय आवाजाही के दौरान रेलवे मेमू / डेमू और अन्य ट्रेन सेवाएं प्रदान करके राज्य सरकारों की सहायता कर रहा है। रेलवे ने अब तक 11 लाख से अधिक यात्रियों की आवाजाही राज्य के भीतर की है।’ शीर्ष पांच राज्यों/ केंद्र शासित प्रदेशों जहां से अधिकतम ट्रेनें चलाई गई हैं वे गुजरात (897), महाराष्ट्र (590), पंजाब (358), उत्तर प्रदेश (232) और दिल्ली (200) हैं। जिन पांच राज्यों जहां से अधिकतम ट्रेनें रद्द की गई हैं वे उत्तर प्रदेश (1,428), बिहार (1,178), झारखंड (164), ओडिशा (128) और मध्य प्रदेश (120) हैं।
श्रमिक स्पेशल ट्रेंने मुख्यत: राज्यों के अनुरोध पर चलाई जा रही हैं जो प्रवासी मजदूरों को उनके गृह राज्यों तक भेजना चाहते हैं। भारतीय रेलवे जहां प्रत्येक ट्रेन को चलाने में आ रहे कुल खर्च का 85 प्रतिशत उठा रहा है वहीं शेष 15 प्रतिशत किराए के रूप में राज्यों द्वारा वसूला जा रहा है। कोरोना वायरस के कारण लागू लॉकडाउन का अर्थव्यवस्था पर विनाशकारी प्रभाव पड़ा है साथ ही लाखों प्रवासी मजदूरों की आजीविका पर भी पड़ा है।
शहरों से पैदल ही अपने गांवों को लौट रहे प्रवासी मजदूरों की दुर्दशा करीब दो महीने तक सुर्खियों में रही। सड़क दुर्घटना में बहुत सी मौत भी हुई। भारतीय रेलवे ने यह भी बताया कि रेल मार्गों पर ट्रैफिक की समस्या जो 23 और 24 मई को दिखी थी,वह अब खत्म हो गई।