बिहार में बेहद कम समय में कोरोनावायरस के मामलों में तेज बढ़ोतरी हुई है। खासकर प्रवासी मजदूरों के आने के बाद से। बिहार में अब तक कोरोना के 2166 मामले दर्ज हुए हैं, वहीं 11 की जान गई है। हालांकि, कोरोना के खिलाफ लड़ाई में राज्य सरकार की तैयारियां काफी कमजोर दिखाई दे रही हैं। खासकर पटना से कुछ दूरी पर स्थित जिलों में। ऐसा ही एक जिला है पटना से 170 किमी की दूरी पर स्थित खगड़िया, जहां पिछले 14 दिनों में ही कोरोना के मामले 0 से बढ़कर 96 तक जा पहुंचे हैं, लेकिन शासन-प्रशासन की बदइंतजामी का आलम यह है कि जिले में अभी एक आईसीयू तक नहीं है।

खास बात यह है कि कोरोना महामारी शुरू होने के बाद लंबे समय तक जिले में कोई पॉजिटिव मरीज नहीं निकला था। ऐसे में नेताओं और अफसरों के पास लॉकडाउन में तैयारी का काफी मौका था। लेकिन अब तक स्थानीय प्रशासन सिर्फ एक स्वैब सैंपल कलेक्शन सेंटर, एक 100 बेड की लेवल-2 (निमोनिया या मध्यम लक्षणों) डेडिकेटेड फैसिलिटी और 200 बेड की लेवल-1 (हल्के बीमार, बिना लक्षण वाले मरीजों के लिए) फैसिलिटी ही तैयार कर पाया है।

COVID-19 cases in Bihar

जिले में जनता के लिए इतने समय बाद भी एक इन फैसिलिटी में गंभीर मरीजों के लिए एक आईसीयू तैयार नहीं हो सका है। न ही यहां वेंटिलेटर का इंतजाम है। एक प्राइवेट अस्पताल में दो वेंटिलेटर जरूर मौजूद हैं। दूसरी तरफ जिले में हालात इतने बिगड़े हैं कि 135 डॉक्टरों की पोस्ट में महज 37 सरकारी डॉक्टर ही काम कर रहे हैं। इसके अलावा 17 मौजूद एंबुलेंसों में सिर्फ एक एंबुलेंस ही ऐसी है, जिसमें लाइफ सपोर्ट से जुड़े उपकरण मौजूद हैं।

Lockdown 4.0 Guidelines in Hindi

गौरतलब है कि जिले में करीब 50 हजार प्रवासियों के दूसरे राज्यों से लौटने के आसार हैं। ऐसे में अब डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट आलोक रंजन घोष की मेज पर जरूरत की चीजों की लिस्ट लंबी होती जा रही है। जिले में अब तक 10 वेंटिलेटर, 200 बेड्स, 1000 पीपीई किट्स, 20 अतिरिक्त डॉक्टरों और 4 नए एंबुलेंस की मांग की गई है। घोष का कहना है कि 1 मई को पहली श्रमिक स्पेशल ट्रेन आने के बाद हमारे यहां केस मिलने शुरू हुए। 8 मई को खगड़िया में पहली बार 4 लोगों में कोरोना की पुष्टि हुई, यह सभी दिल्ली की आजादपुर मंडी में काम करते थे। 22 तारीख तक संक्रमितों की संख्या 96 पहुंच चुकी है, जिनमें अकेले दिल्ली से लौटे 44 पीड़ित हैं। आलम यह है कि स्थानीय रेलवे स्टेशन को अब वायरस पॉइंट का दर्जा दे दिया गया है।

डीएम के मुताबिक, फिलहाल जिले में 200 बेड्स और 250 पीपीई किट्स हैं, हमने सारी प्राइवेट हाईस्कूल की बिल्डिंगों और होटलों को कोविड केयर से जुड़े कामों में लगा दिया है। हमारे पास इन्फ्रास्ट्र्क्चर की कमी मुद्दा नहीं, बल्कि मानव संसाधन की ज्यादा जरूरत है।

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