झारखंड में सत्तारूढ़ पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा को लेकर बड़ी खबर सामने आ रही है। बीते कुछ दिनों से चल रही राजनीतिक हवाओं के बीच राज्य में नया समीकरण बनने जा रहा है। बताया जा रहा है कि बिहार चुनाव में बीजेपी और एनडीए को मिली प्रचंड जीत के बाद 17 नवंबर को बीजेपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता अजय आलोक के पोस्ट के बाद ये चर्चा शुरू हुई। दरअसल आलोक ने लिखा था, ‘अब नया बम झारखंड में, हेमंत अब जीवंत होंगे।’ वहीं अगर इस बात की पुष्टि होती है तो राज्य में एक बार फिर से 16 साल बाद जेएमएम और बीजेपी की गठबंधन वाली सरकार बनेगी।

झारखंड में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा, कांग्रेस, राष्ट्रीय जनता दल और वामपंथी पार्टी के सहयोगी से सरकार चल रही है। हालांकि सत्ता में शामिल सहयोगी दलों से मतभेद की शुरुआत बीते बिहार विधानसभा चुनाव के दौरान ही सामने आ गई थी, जब जेएमएम के बिहार-झारखंड की सीमा वाली 12 सीटों पर चुनाव लड़के दावों पर अंत में विराम लग गया था क्योंकि सहयोगी दलों ने पार्टी को एक भी सीट देना जरूरी नहीं समझा। वहीं बिहार चुनाव के साथ ही झारखंड के घाटशीला विधानसभा सीट पर उपचुनाव हुए जिसमें जेएमएम के सोमेश चंद्र सोरेन को जीत मिली। जबकि बीजेपी की ओर से उम्मीदवार पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन के बेटे बाबू लाल सोरेन को हार का सामना करना पड़ा।

अमित शाह से मिले सीएम सोरेन!

दरअसल मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनकी पत्नी एवं गाण्डे से विधायक कल्पना सोरेन दिल्ली दौरे पर हैं। इस दौरे के दौरान कथित तौर पर सोरेन की गुप्त मुलाकात केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से होने की जानकारी मिल रही है। कयासों द्वारा गढ़ी गई कहानी में ये भी जानकारी सामने आई कि सीएम सोरेन और सहयोगी कांग्रेस, राजद के बीच दूरी बढ़ गई है। मुख्यमंत्री सोरेन के कार्यक्रम ‘सरकार आपके द्वार’ में सहयोगी मंत्रियों की उपस्थित न होना इसकी गवाह है। वहीं कुछ जगहों के कार्यक्रम भी रद्द कर दिए गए हैं।

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इसी बीच दुमका में स्थित फ्लाईंग इंस्टिट्यूट के उद्धाटन समारोह में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के मंच पर कांग्रेस और राजद के मंत्री और विधायक नहीं दिखे। जबकि इससे पहले मुख्यमंत्री के किसी भी कार्यक्रम में कांग्रेस और राजद के विधायक मौजूद रहते थे। इतना ही नहीं मोरहाबादी मैदान में बांटे जाने वाले नियुक्ति पत्र कार्यक्रम के पोस्टर से ही सहयोगी दलों कांग्रेस और राजद के नेताओं की तस्वीर नहीं लगाई गई। इस कार्यक्रम के बाद ही सोरेन और उनकी पत्नी दिल्ली दौरे पर पहुंचे थे। जिस वजह से राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो गई थी।

साल 2005 से 2009 तक चली थी बीजेपी जेएमएम की सरकार

झारखंड के इतिहास की बात करें तो यहां गठबंधन की राजनीति हमेशा से हाबी रही है। पहली सरकार से लेकर वर्तमान सरकार तक, हर सरकार गठबंधन के सहारे ही चली है। पहली सरकार बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के सहारे बनी थी। जबकि उसके बाद साल 2005 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी और जेएमएम की गठबंधन वाली सरकार बनी। जिस दौरान जेएमएम से शिबू सोरेन और बीजेपी की ओर से अर्जुन मुंडा मुख्यमंत्री रहे।

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हालांकि 2009 में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान ये गठबंधन खत्म हो गया। परिणाम आने के बाद जेएमएम ने कांग्रेस और राजद के साथ हाथ मिलाकर राज्य में सरकार बना ली। ऐसे में अगर जेएमएम और बीजेपी एक दूसरे से हाथ मिला लेते हैं तो 16 साल बाद एक बार फिर राज्य में दोनों दल मिलकर गठबंधन की सरकार चलाएंगे।

झारखंड में महागठबंधन और एनडीए का नंबर

वर्तमान झारखंड सरकार की बात करें तो साल 2024 में हुए विधानसभा चुनाव में 34 सीटें जीतकर जेएमएम एक बार फिर से सबसे बड़ी पार्टी बनी। वहीं महागठबंधन के सहयोगी कांग्रेस को 16 सीटों पर जीत मिली। जबकि राजद और सीपीआई(एमएल)एल को क्रमश: 4 और 2 सीटें मिली। विपक्षी गठबंधन एनडीए में बीजेपी को 21 सीटों पर जीत मिली। जबकि सहयोगी दलों में जदयू, एलजेपी (आर) और आजसू को क्रमश: 1-1 सीटें मिलीं।

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ऐसे में मौजूदा महागठबंधन में कुल 56 विधायक हैं जबकि एनडीए में 24 विधायक हैं। ऐसे में अगर जेएमएम और बीजेपी के बीच गठबंधन हो जाता है तो झारखंड में एनडीए के कुल 58 विधायक हो जाएंगे।