मानसूनी बारिश के साथ ही देश के कई हिस्सों में बाढ़ की समस्या गंभीर रुख अपना लेती है। यूपी-बिहार में तेज बारिश और बाढ़ की वजह से नदियों के किनारे बसे शहरों और निचले इलाकों में रहने वाले लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कई जगह बाढ़ का पानी खतरे के निशान को पार कर शहरों के अंदर तक चला आया है। कई जगह मकानों के ग्राउंड फ्लोर और पहले तल डूब गए हैं। बाढ़ के कहर का आलम यह है कि यूपी के मिर्जापुर जिले में एक पक्का मकान ही पानी में बह गया।
यूपी में बांधों से पानी छोड़े जाने से कई नदियां उफान पर हैं। राज्य में 24 जिलों के 600 से ज्यादा गांव बाढ़ की चपेट में हैं। सीएम योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को जालौन और हमीरपुर के बाढ़ से प्रभावित इलाकों का हवाई सर्वेक्षण किया और अधिकारियों को राहत और बचाव कार्य के निर्देश दिए। राहत आयुक्त कार्यालय से बुधवार को प्राप्त जानकारी के मुताबिक, प्रदेश के हमीरपुर, बांदा, इटावा, जालौन, वाराणसी, कौशांबी, चंदौली, हाजीपुर, औरैया, कानपुर देहात, प्रयागराज, फर्रुखाबाद, आगरा, बलिया, मिर्जापुर, गोरखपुर, सीतापुर, मऊ, लखीमपुर खीरी, शाहजहांपुर, बहराइच, गोंडा, कानपुर नगर और फतेहपुर के 605 गांव बाढ़ से प्रभावित हैं।
#UttarPradeshFloods | Houses washed away, several villages inundated with floodwater; Visuals from Mirzapur pic.twitter.com/ERk1FxTt2t
— NDTV (@ndtv) August 12, 2021
केंद्रीय जल आयोग ने बताया है कि गंगा, यमुना, शारदा, बेतवा और कुआनो नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। गंगा नदी कचला ब्रिज (बदायूं), फाफामऊ (प्रयागराज), प्रयागराज, मिर्जापुर, वाराणसी, गाजीपुर और बलिया में खतरे के निशान को पार कर गई है। इसका जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। यमुना नदी औरैया, जालौन, हमीरपुर, चिल्ला घाट, बांदा और नैनी (प्रयागराज) में खतरे के निशान से ऊपर बह रही है। बेतवा नदी सहिजना (हमीरपुर), शारदा नदी पलिया कलां (लखीमपुर खीरी) और कुआनो नदी चंद्रदीप घाट (गोंडा) में लाल निशान को पार कर गई है। राहत आयुक्त कार्यालय के मुताबिक, प्रदेश में कुल 940 राहत शिविरों की स्थापना की गई है।

बिहार में गंगा नदी के बढ़ते जल स्तर की वजह से राजधानी पटना सबसे ज्यादा प्रभावित है। तटीय इलाकों में तबाही की आशंका को देखते हुए राज्य सरकार हाई अलर्ट पर है। सीएम नीतीश कुमार खुद सारी स्थिति पर नजर जमाए हुए हैं। उन्होंने पटना के कई इलाकों का दौरा कर हालात की ज़मीनी हकीकत देखी है। उनके साथ जल संसाधन मंत्री संजय झा और वरिष्ठ अधिकारियों की पूरी टीम भी मौजूद थी।
इस दौरान उन्होंने निर्देश दिया है कि सभी जिलाधिकारी, प्रशासनिक अधिकारी पूरी तरह से अलर्ट मोड में रहे। उनसे कहा गया है कि प्रभावित लोगों से सम्पर्क बनाए रखे और मदद करने में पूरी संवेदनशीलता दिखाएं। जल संसाधन विभाग लगातार तटबंधों और नदियों के जलस्तर की निगरानी करते रहे और इसमें स्थानीय लोगों की भी सहायता लें। पशु राहत शिविर में पशुओं के चारे की पूरी व्यवस्था रखें, विस्थापित लोगों को राहत शिविरों में सारी सुविधाएं उपलब्ध कराएं। बाढ़ राहत शिविर में जन्म लेने वाली बच्ची को 15 हजार रुपये तथा बच्चे के जन्म लेने पर दस हज़ार रुपये देने का पूर्व से जो प्रावधान है उसे तत्काल उपलब्ध कराएं।