दिल्ली में अनधिकृत मोटर ड्राइविंग स्कूलों पर लगाम लगाने में कानूनी अड़चनें सामने आ रही हैं। यह खुलासा केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) ने मामले की तफ्तीश से जुड़ी रिपोर्ट में किया है। सीबीआइ ने एक अदालत को बताया कि दिल्ली सरकार के पास कठोर कानून की कमी के कारण राष्ट्रीय राजधानी में खोले गए कई अनधिकृत मोटर ड्राइविंग स्कूलों को सील करने की वैधानिक शक्ति नहीं है। सीबीआइ ने अपनी रिपोर्ट में मोटर वाहन कानून 1988 के प्रावधानों में ढिलाई पर प्रकाश डाला।
दिल्ली हाई कोर्ट ने सीबीआइ को दिल्ली परिवहन प्राधिकरण और ड्राइविंग स्कूलों के बीच कथित सांठगांठ की जांच का निर्देश दिया था। अदालत ने यह भी पता लगाने को सीबीआइ से कहा था कि वह जांच करे कि क्या परिवहन अधिकारियों और मोटर चालन स्कूलों के बीच परस्पर लाभ पहुंचाने और रिश्वत के लिए कोई सांठगांठ चल रही है? सीबीआइ ने विशेष न्यायाधीश विनोद कुमार को बताया कि परिवहन विभाग के पास अनधिकृत स्कूलों को सील करने या बंद करने की कोई शक्ति नहीं है।
मोटर वाहन कानून में स्पष्ट मजबूत दंडात्मक प्रावधान की अनुपस्थिति में कई अनधिकृत मोटर ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल खुल रहे हैं। जांच एजंसी ने कहा कि ऐसे वाहनों पर सौ रुपए का जुर्माना लगाने के अलावा मोटर वाहन कानून में अनधिकृत ट्रेनिंग स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई का कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं है।
सीबीआइ का कहना है कि मोटर वाहन कानून के प्रावधानों के कथित उल्लंघन करने वाले कुछ मोटर चालन प्रशिक्षण स्कूलों के खिलाफ कार्रवाई करने में विफल रहने वाले दिल्ली परिवहन के उन 16 अधिकारियों के खिलाफ उसकी सिफारिश के आधार पर विभागीय जांच शुरू की गई है। दिल्ली हाई कोर्ट के निर्देश पर प्रारंभिक जांच पूरी करने के बाद सीबीआइ ने हलफनामा पेश किया।
एजंसी ने इस मामले में यह कहते हुए अंतिम रिपोर्ट दायर कर दी थी कि कथित सांठगांठ से जुड़ा कोई ठोस सबूत नहीं मिला है। लेकिन मोटर चालन स्कूलों को लाइसेंस देने के ‘कर्तव्य में लापरवाही’ करने के लिए 16 अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू की गई है। सीबीआइ ने कहा कि जांच में यह पाया गया कि 16 अधिकारियों ने उनके संबंधियों की ओर से संचालित 10 ड्राइविंग स्कूलों के नवीकरण आवेदनों पर अंतिम तारीख के बाद भी गौर किया।
इसके अलावा प्रशिक्षक की योग्यता और अनुभव तय मानक से कम होने की बात को भी नजरअंदाज किया गया। एजंसी ने विशेष सीबीआइ जज विनोद कुमार को बताया कि अधिकारियों को ऐसे ड्राइविंग स्कूलों के लाइसेंस निलंबित या रद्द करके या उनपर जुर्माना लगाकर कार्रवाई करनी चाहिए थी। लेकिन चूंकि ऐसा कोई कदम नहीं उठाया गया, इसलिए उसने दिल्ली सरकार को सिफारिश की कि गलती करने वाले 16 अधिकारियों के खिलाफ जांच की जाए।
उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग ने पहले ही सीबीआइ की सिफारिश के आधार पर कार्रवाई शुरू कर दी है। अदालत ने सीबीआइ के हलफनामे पर गौर किया और अंतिम रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया।
अंतिम रिपोर्ट में कहा गया था कि कथित आपराधिक साजिश या भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के तहत कथित अपराधों का संज्ञान लेने लायक पर्याप्त साक्ष्य नहीं मिले। जज ने कहा कि मैंने अंतिम रिपोर्ट के साथ दायर दस्तावेजों पर गौर किया है। यह दिखाता है कि लाइसेंस देने (नवीकरण करने) से जुड़े कुछ अधिकारियों के खिलाफ सीबीआइ की ओर से विभागीय कारवाई की सिफारिश की गई है। जज ने अंतिम रिपोर्ट स्वीकार करते हुए कहा कि मेरा मानना है कि (आपराधिक साजिश और भ्रष्टाचार रोकथाम कानून के प्रावधानों के तहत) अपराध का संज्ञान लेने के लिए सामग्री पर्याप्त नहीं हैं। अंतिम रिपोर्ट में एजंसी ने कहा कि नियमों का उल्लंघन करते हुए संचालित होने वाले ड्राइविंग स्कूलों के खिलाफ मोटर वाहन कानून में दंडात्मक प्रावधानों की कमी है।