लोकसभा में निगमों के एकीकरण का विधेयक पेश करते ही यह तय हो गया कि अब कम से कम एक साल के लिए निगम चुनाव टल गया है। फिलहाल दिल्ली के तीनों नगर निगमों उत्तरी दिल्ली नगर निगम (एनडीएमसी), दक्षिण दिल्ली नगर निगम (एसडीएमसी) और पूर्वी दिल्ली नगर निगम (ईडीएमसी) में कुल 272 वार्ड हैं। इनमें से उत्तर और दक्षिण नगर निगम में 104-104 जबकि पूर्वी दिल्ली नगर निगम में 64 वार्ड हैं।
संविधान विशेषज्ञ तथा दिल्ली विधानसभा के पूर्व सचिव एस के शर्मा ने कहा कि वार्डों की संख्या मौजूद 272 से कम की जाती है तो परिसीमन कवायद की जरूरत होगी, जिसमें काफी समय लगेगा। परिसीमन के लिए प्रशासनिक प्रक्रिया में कई महीने लगेंगे, और फिर सार्वजनिक सुझाव व आपत्तियां आमंत्रित की जाएंगी। इसलिए, अगले पांच से छह महीनों में निकाय चुनाव होने की संभावना नहीं है। इसमें और भी देरी हो सकती है। दिल्ली के पूर्व मुख्य सचिव राकेश मेहता ने भी कहा कि राष्ट्रीय राजधानी में वार्डों की संख्या में संशोधन के प्रस्ताव के बाद आने वाले कुछ महीनों में निकाय चुनाव होने की संभावना नहीं है।
शहरी मामलों के विशेषज्ञ एवं एकीकृत दिल्ली नगर निगम की निर्माण समिति के अध्यक्ष रहे जगदीश ममगांई ने दिल्ली नगर निगम (संशोधन) विधेयक 2022 को प्रशासनिक एकीकरण तक सीमित बताया है। इसमें सशक्तीकरण, प्रतिनियुक्ति पर आए नौकरशाह राज से मुक्ति, कमर्चारियों के वेतन, पेंशन व नियुक्ति संबंधी तकलीफों को पूर्णतया नजरअंदाज किया गया है।
परिसीमन के चलते निगम चुनाव जल्द होने की भी कोई संभावना नहीं होगी, निगम पूर्ण रूप से नौकरशाहों के हवाले कर दिया गया है और इस पर निर्वाचित जन-प्रतिनिधियों का अंकुश भी नहीं रहेगा। मेयर-इन-काउंसिल का गठन कर जनप्रतिनिधियों के अधिकार व सशक्तीकरण तथा पार्षदों को सम्मानजनक वेतन देने का प्रावधान भी नहीं किया गया है।
वर्ष 2009-10 में दिल्ली नगर निगम क्षेत्र की जनसंख्या 1.64 करोड़ थी जो अब 3 करोड़ से अधिक पहुंच गई है। कांग्रेस के निगम में जोन अध्यक्ष रहे खविंदर सिंह कैप्टन कहते हैं कि अब नन प्लान हेड को भाजपा सरकार खत्म करे ताकि भ्रष्टाचार तो रुके ही जिस काम में छह से आठ महीने लगते हैं उसमें जल्दबाजी आए। कैप्टन कहते हैं कि नए विधेयक में जल्द चुनाव कराए जाएं। नगर निगम के पूर्व महापौर जयप्रकाश कहते हैं कि निगमों का एकीकरण कर भाजपा ने वित्तीय हालात को ठीक करने की योजना बनाई है।