कोरोना के बढ़ते कहर के बीच अब श्मशान में भी जगह कम पड़ने लगी है। इसी की बानगी शुक्रवार को मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में देखने को मिली। लाशों से ठसाठस श्मशान घाट के भरे होने की खबरों के बीच शुक्रवार को कुछ लोगों को रिहायशी कॉलोनी में ही शव जलाना पड़ा।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अंतिम संस्कार के बाद वहां चिता की राख आस-पास के घरों के पास पड़ी देखी गई। घटना से जुड़ा एक वीडियो भी सोशल मीडिया के जरिए सामने आया, जिसके बाद प्रशासन हरकत में आया। मामले को लेकर जांच बैठा दी गई है। स्थानीय लोगों के हवाले से खबर में बताया गया कि मृतक को कोरोना संक्रमण था, पर फिलहाल इस चीज की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं की जा सकी है।

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“कभी न देखी ऐसी भयावहता…”: दरअसल, हाल ही में भोपाल के श्मशान घाट की खौफनाक तस्वीरें सामने आई थीं, जिसमें कई लाशें एक साथ जल रही थीं, जबकि अंधियारे के बीच धुआं धू-धू कर उठ रहा था। भयावह मंजर को अपने कैमरे में कैद करने वाले वरिष्ठ फोटो पत्रकार संजीव गुप्ता ने एक चैनल से बातचीत में बताया था- यह 15 अप्रैल की बात है। शाम को 40 के आसपास लाशें जल रही थीं। 84 में भी असाइंमेंट (भोपाल गैस त्रासदी का) किया था। पर जितनी भयावहता कल देखी, उतनी कभी न देखी। आदमी अगर वैसा दृश्य देख ले तो नींद न आए।

कोरोना पर मौतों का आंकड़ा छिपा रही शिवराज सरकार?: समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा के मुताबिक, भोपाल के दो विश्रामघाटों और एक कब्रिस्तान में गुरुवार को 108 शवों का अंतिम संस्कार कोविड-19 प्रोटोकॉल के हिसाब से किया गया, जबकि सरकारी आंकड़ों के अनुसार उस दिन भोपाल जिले में महामारी से सिर्फ आठ लोगों की मौत हुई थी। भोपाल स्थित इन दो विश्रामघाटों व एक कब्रिस्तान के रिकॉर्ड के अनुसार तीनों जगहों पर बृहस्पतिवार को कुल 156 लोगों का अंतिम संस्कार हुआ। इनमें से 108 शवों का अंतिम संस्कार कोविड-19 प्रोटोकॉल के मुताबिक हुआ था।

भोपाल के अलावा और शहरों में भी मिलता-जुलता हालः कोरोना से सर्वाधिक प्रभावित सूबे महाराष्ट्र में भी श्मशान घाटों से डराने वाले चित्र और वीडियो सामने आने लगे हैं। उन्हीं में से एक में 23 लोगों का दाह संस्कार एक साथ किया गया।

PM मोदी के संसदीय क्षेत्र काशी का हाल भी कोरोना के मामले में बेहद नाजुक, सुनिए क्या बताई श्मशान के रूप में इस्तेमाल किए जाने वाले घाट के कर्मचारी ने आंखों-देखीः

कोरोना टेस्ट करने लैब्स की न, ठोंकरें खा रहे मरीजः नहीं हैरत की बात है कि बढ़ती लापरवाही के दौर बीच रूप बदल चुके कोरोना की ट्रेसिंग (पहचानने) के लिए टेस्टिंग बुनियादी टूल या कदम है, फिर भी कई सूबों में लैब्स कोविड टेस्ट करने से अपने हाथ खड़े कर ले रही हैं। भोपाल का ही उदाहरण ले लें, तो वहां प्राइवेट लैब्स घर से सैंपल लेना बंद कर चुकी हैं, जबकि आरटीपीसीआर में हफ्ते भर से अधिक की देरी सामने आ रही है। नतीजतन मरीज रिपोर्ट के इंतजार में दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं और उससे भी बड़ी और खतरनाक बात है कि वे अनजाने में इस दौरान कई और लोगों को संक्रमित कर रहे हैं।

इतना ही नहीं, हमारे सहयोगी अखबार ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ की ग्राउंड रिपोर्ट के अनुसार, यूपी की राजधानी लखनऊ में शिकायतें मिली हैं कि वहां के अस्पतालों में ऑक्सीजन, बेड की कमी है। Remdesivir व Fabiflu सरीखी दवाओं के लिए कालाबाजारी जोरों पर है, जबकि प्राइवेट लैब्स साफ तौर पर आरटी-पीसीआर टेस्ट करने से मना कर रही हैं।