COVID-19 संकट के बाद हुए लॉकडाउन के चलते बॉर्डर पर तैनात एक हवलदार अपने बेटे के अंतिम संस्कार तक में शामिल नहीं हो पाए। आपात स्थिति में सीमाएं सील होने के कारण वह घर न जा सके, तो वीडियो कॉलिंग के जरिए उन्होंने बेटे के शव को आखिरी बार देखा।
वह इस दौरान बेहद भावुक हो उठे और कॉल के दौरान ही बोले- बेटा, मुझे माफ करना, मैं तुमसे मिलने के लिए नहीं आ पाया। मुझे जीवन भर इस बात का मलाल रहेगा। यह मंजर देख न सिर्फ घरवालों की आंखें नम थीं, बल्कि आसपास मौजूद अन्य लोग भी गमगीन हो गए।
मामला छत्तीसगढ़ के घोटपाल गांव से जुड़ा है। वहां के निवासी एसएसबी में हवलदार राजकुमार नेताम की फिलहाल नेपाल बॉर्डर पर ड्यूटी है। वह दो बेटियों के पिता हैं, जबकि उनका एक बेटा था। उसका नाम- आदित्य था, जो कि एक साल का था।
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मासूम कुछ माह से ट्यूमर से परेशान था। उसका पूर्व में इलाज भी हुआ था, जिसके लिए राजकुमार गांव आए थे और उसका इलाज कराने बाहर गए थे। घटना से पहले बच्चे की तबीयत ठीक बताई जा रही थी, पर बुधवार को उसका स्वास्थ्य अचानक बिगड़ गया।
परिजन गुरुवार को आनन-फानन उसे जिला अस्पताल लेकर पहुंचे। हालांकि, वहां उसकी मौत हो गई। वैसे, पीड़ित पिता को बेटे की गड़बड़ाई तबीयत की खबर मिली, तो उन्होंने घर आने का प्रयास किया था। मगर लॉकडाउन के चलते वह नहीं आ पाए।
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पीड़ित पिता ने इस बारे में स्थानीय मीडिया को बताया, “आखिरी बार बेटे को नहीं देख पाया। देश की सेवा और सुरक्षा मेरा पहला कर्तव्य है। मैंने अधिकारियों को जानकारी दी थी। सभी ने साथ दिया। मैं किसी तरह बेटे की अंतिम यात्रा में शामिल होने पहुंच जाऊं, इसके लिए सभी ने पूरी कोशिश की। लेकिन लॉकडाउन के कारण बेटे को अंतिम बार देखने नहीं आ सका। मुझे जीवनभर इसका मलाल रहेगा।”
बकौल राजकुमार, “जैसे ही हालात सामान्य होंगे मैं परिवार के पास आऊंगा। लेकिन दुख इस बात का है इस बार बेटा मेरे साथ नहीं होगा। मैं जहां ड्यूटी पर हूं, यहां नेटवर्क भी मुश्किल से मिलता है। ऐसे में खराब नेटवर्क के बीच वीडियो कॉलिंग पर बेटे की अंतिम यात्रा के दर्शन किए।”
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