भारत में कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। एक दिन में कोरोना वायरस संक्रमण के 1,61,736 नए मामले सामने आने के साथ देश में इस महामारी के मामले बढ़कर 1,36,89,453 हो गए। कोविड-19 से पीड़ित लोगों के ठीक होने की दर और गिर गई, अब यह 89.51 प्रतिशत है। दूसरी तरफ टीकों की कमी भी समस्या बनी हुई है। अस्पतालों में टीका लगवाने के लिए भीड़ लगी हुई है। टीके नहीं होने से अस्पतालों से लोग निराश लौट रहे हैं। इस बीच बिहार के भाजपा के एक विधायक ने कोरोना वायरस प्रोटोकॉल को तोड़ते हुए अपने घर पर ही टीका लगवाया। इसको लेकर विवाद खड़ा हो गया है।

भाजपा विधायक अशोक सिंह ने टीका लगवाने के लिए किसी अस्पताल या वैक्सीनेशन सेंटर नहीं गए। वे घर पर ही डॉक्टर को बुलवाकर टीका लगवाए। इसको लेकर उनकी कड़ी आलोचना हो रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर सभी बड़े नेता अस्पताल में जाकर टीके लगवाए थे, जबकि भाजपा विधायक अशोक सिंह ने टीका घर पर ही लगवाया। इससे पहले पिछले महीने कर्नाटक के भाजपा नेता और राज्य के कृषि राज्य मंत्री बीसी पाटिल ने भी अपने घर हिरेकपुर में कोविड का टीका लगवाया था। उन्होंने टीके लगवाते हुए अपनी और पत्नी की तस्वीरें भी ट्विटर पर डाली थीं। यह कोरोनो प्रोटोकॉल नियम का साफ उल्लंघन है।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी गाइडलाइन के मुताबिक किसी भी व्यक्ति टीका लगवाने के लिए वैक्सीनेशन सेंटर पर जाना होगा। पूरे देश में 16 जनवरी से चल रहे टीकाकरण अभियान में पहले स्वास्थ्य कर्मियों को टीके लगाए गए थे। इसके बाद 2 फरवरी से फ्रंटलाइन वर्कर्स को टीके लगाने का काम शुरू हुआ था।

टीका लगाने का अगला दौर पहली मार्च से शुरू हुआ था, जिसमें 60 साल से अधिक उम्र वाले बुजुर्गों को टीके लगाए गए। इस दौरान 45 साल से अधिक ऐसे लोगों को भी टीके लगाए गए, जिन्हें गंभीर बीमारियां हैं। इस महीने की पहली तारीख से 45 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों को टीका लगाने का काम शुरू हुआ।

भारत में कोविड-19 के मामले सात अगस्त को 20 लाख का आंकड़ा पार कर गए थे। इसके बाद संक्रमण के मामले 23 अगस्त को 30 लाख, पांच सितंबर को 40 लाख और 16 सितंबर को 50 लाख के पार चले गए थे। वैश्विक महामारी के मामले 28 सितंबर को 60 लाख, 11 अक्टूबर को 70 लाख, 29 अक्टूबर को 80 लाख, 20 नवंबर को 90 लाख और 19 दिसंबर को एक करोड़ का आंकड़ा पार कर गए थे।