भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने पार्टी नेताओं को अपने सार्वजनिक बयानों और टिप्पणियों में सतर्कता बरतने की चेतावनी दी है। हाल ही में कुछ नेताओं ने पश्चिम बंगाल में पार्टी अध्यक्ष रहे और अब सांसद के तौर पर दिलीप घोष के मीडिया में कई बयानों और टिप्पणियों को लेकर अपनी नाराजगी जताई थी। इस दौरान कई लोग पार्टी से भी अलग हो गए। इस पर केंद्रीय नेतृत्व ने कड़ा रुख अपनाया है।
भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के कहने पर राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह ने सोमवार को सांसद दिलीप घोष को एक पत्र भेजकर शीर्ष नेतृत्व की चिंता से अवगत कराया। इसमें कहा गया है कि “हालांकि पार्टी के प्रति आपकी प्रतिबद्धता निरपेक्ष रही है, लेकिन कुछ मामले ऐसे सामने आए हैं, जब मीडिया में आपके कुछ बयान और टिप्पणियों से राज्य के पार्टी नेताओं को पीड़ा पहुंची है और भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व को भी शर्मिंदगी उठानी पड़ी है।”
पत्र में बताया गया है कि “आपकी स्थिति और कद को देखते हुए, आपसे सभी स्तरों पर पार्टी के अपने सहयोगियों को प्रेरित करने, नेतृत्व करने, निर्देशित करने और एक साथ रखने की अपेक्षा की जाती है, लेकिन हाल के एक साक्षात्कार में, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और शायद अन्य मंचों पर आपकी टिप्पणियों में राज्य के वरिष्ठ पदाधिकारियों की खुले तौर पर आलोचना की गई है। इस तरह की टिप्पणियां केवल पार्टी को चोट पहुंचाएंगी और नुकसान करेंगी और अतीत में आपकी खुद की मेहनत को भी नकार देंगी।”
उन्होंने पत्र में लिखा, “राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के निर्देश पर मैं आपको इस तरह के बयान जारी करने पर पार्टी की गहरी पीड़ा और चिंता से अवगत कराना चाहता हूं और आपको सलाह देता हूं कि आप हमेशा अपने स्वयं के सहयोगियों के बारे में पश्चिम बंगाल या अन्य कहीं भी मीडिया या किसी भी सार्वजनिक मंच पर जाने से परहेज करें।”
कुछ समय पहले दिलीप घोष ने बंगाल में अपने उत्तराधिकारी और उनकी टीम को नया और अनुभवहीन कहा था। साथ ही उन्होंने वरिष्ठ लोगों को विश्वास में लेने का सुझाव दिया था। कहा था कि उनके पास संगठनात्मक अनुभव का अभाव है। इसके बाद से राज्य इकाई में अंतर्कलह साफ झलक रही थी।
इस घटनाक्रम पर प्रतिक्रिया देते हुए, टीएमसी के राज्य महासचिव कुणाल घोष ने कहा, “यह उनका आंतरिक मामला है। लेकिन दिलीप घोष पार्टी के पुराने नेता हैं और उनके साथ हमारे वैचारिक मतभेद हमेशा रहेंगे। हालांकि उन्होंने अपनी पार्टी के खिलाफ और खासकर नए लोगों के खिलाफ सच बोला है और अब उनकी पार्टी ने उन पर बुलडोजर का इस्तेमाल किया है। भाजपा में दिल्ली के नेता तय कर रहे हैं कि कौन बोलेगा और कौन नहीं। राज्य में पार्टी संगठन में सुधार करने और अंदरूनी कलह को रोकने के बजाय, केंद्रीय भाजपा नेतृत्व अपने नेता की निंदा करने में जुटा है, जो बंगाल की नब्ज नहीं समझता है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है।”
राज्य भाजपा प्रवक्ता समिक भट्टाचार्य ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। भट्टाचार्य ने कहा, “हमें आधिकारिक तौर पर पत्र की एक प्रति नहीं मिली है। फिर भी, यह पूरी तरह से पार्टी का आंतरिक मामला है। मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा। दिलीप घोष भाजपा के सबसे सफल प्रदेश अध्यक्ष रहे हैं। उन्होंने चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों का सामना करते हुए बंगाल में पार्टी को आगे बढ़ने में मदद की। इसलिए, मैं इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं करूंगा।”