बंगाल के बीरभूम हिंसा में कई लोगों के जान गंवाने और लंबे समय तक भूलाए नहीं भूलने वाली खौफनाक घटना के पीछे दो शेखों की आपसी दुश्मनी है। इस दुश्मनी का अंजाम इतना इलाके के लोगों को घर छोड़ने को विवश कर दिया। बालू खनन और स्थानीय क्षेत्र पर दबदबा बनाए रखने की खींचतान से हिंसा ने इतना बड़ा रूप ले लिया।
पश्चिम बंगाल के रामपुरहाट के बोगतुई गांव के भादु शेख और सोना शेख के बीच कई वर्षों से आपसी विवाद चल रहा है। भादू शेख गांव का उप पंचायत प्रमुख भी था। वह पुलिस की कार चलाने का काम करता था। सोना शेख भी कुछ ऐसा ही काम करता था।
हालांकि भादू शेख पुलिस के साथ रहने की वजह से ज्यादा प्रभावशाली हो गया था। पश्चिम बंगाल के रामपुरहाट के बोगतुई गांव में भादु शेख का चार मंजिला मकान था। वह बालू वाली गाड़ियों से पैसे भी वसूली करता था, जिसे वह “स्थानीय कल्याण कर” कहा करता था। कुछ समय पहले उसके बड़े भाई बाबर शेख की हत्या कर दी गई।
इसमें सोना शेख और उसके करीबियों का हाथ होने की आशंका जताई गई। बीरभूम टीएमसी अध्यक्ष अनुब्रत मंडल का करीबी होने से पैसे और प्रभाव से तो भादू संपन्न था, लेकिन अपनी दुश्मनी की वजह से सुरक्षित नहीं महसूस कर रहा था। पिछले सोमवार को उसकी हत्या कर दी गई। तो बवाल बढ़ गया। इसके बाद उसके समर्थकों ने कथित तौर पर आसपास के कई घरों में आग लगा दी।
सोना शेख के घर में सात लोगों को जिंदा जला दिया गया। पुलिस अब इस बात की जांच कर रही है कि भादू शेख की हत्या किसने की और उसके बाद हुई आगजनी के साजिशकर्ताओं ने भी।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) ने बृहस्पतिवार को पश्चिम बंगाल सरकार, राज्य पुलिस प्रमुख को बीरभूम जिले के बोगतुई गांव में हुई आठ लोगों की हत्या के संबंध में नोटिस जारी किया और लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पुलिस द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में विस्तार से जानकारी देने वाली रिपोर्ट चार सप्ताह के भीतर पेश करने के निर्देश दिए।
अधिकारियों ने यह जानकारी दी। बीरभूम जिले के बोगतुई गांव में तृणमूल कांग्रेस के एक पंचायत पदाधिकारी की हत्या के बाद मंगलवार तड़के करीब एक दर्जन झोपड़ियों में आग लगा दी गई थी जिसमें दो बच्चों सहित आठ लोगों की जलकर मौत हो गई थी।