जनता दल (यू) ने राज्यसभा सदस्य शरद यादव को शनिवार को उच्च सदन में पार्टी के नेता पद से हटा दिया। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि उनकी जगह आरसीपी सिंह ने ली। यादव ने बिहार में भाजपा के साथ हाथ मिलाने के पार्टी के फैसले का विरोध किया था। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि इससे पहले राज्यसभा के सांसदों ने सभापति एम वेंकैया नायडू से मुलाकात की और उच्च सदन में सिंह को जदयू का नेता नियुक्त करने संबंधी पत्र उन्हें सौंपा। सिंह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के विश्वासपात्र समझे जाते हैं।

राज्यसभा में जदयू के 10 सदस्य हैं। इसके पहले पार्टी ने कल रात अपने राज्यसभा सदस्य अली अनवर अंसारी को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी द्वारा बुलाई गई विपक्षी दलों की बैठक में शामिल होने के कारण संसदीय दल से निलंबित कर दिया था। नीतीश कुमार और शरद यादव के बीच मतभेद तब सामने आए थे जब पिछले महीने नीतीश ने कांग्रेस और राजद के साथ संबंध खत्म कर बिहार में नई सरकार बनाने के लिए भाजपा से हाथ मिला लिए थे।

बिहार दौरे के दौरान शरद यादव ने कहा था कि उनका अभी भी यही मानना है कि वह राजद और कांग्रेस के साथ महागठबंधन का हिस्सा हैं। जदयू केवल नीतीश कुमार की ही पार्टी नहीं है बल्कि उनकी भी पार्टी है। यादव ने यह भी दावा किया था कि असल जदयू उनके साथ है जबकि नीतीश के साथ सरकारी जदयू है। इधर, भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने आज ट्वीट कर कहा कि सत्तारूढ़ राजग में शामिल होने के लिए नीतीश को उन्होंने आमंत्रित किया है।

इस बीच संवाददाता सम्मेलन में केंद्रीय मंत्री राम विलास पासपान ने जदयू के बागी शरद यादव तथा राजद प्रमुख लालू प्रसाद पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि यादव बिना आधार वाले नेता हैं और लालू अपने और अपने परिवार के भ्रष्टाचार को छिपाने के लिए धर्मनिरपेक्षता की आड़ ले रहे हैं। पासवान ने कहा ‘‘मैं केंद्र सरकार में जदयू का स्वागत करूंगा। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि 27 साल तक बिहार में शासन करने वाली पार्टी केंद्र में सरकार का हिस्सा नहीं है। अब बिहार की प्रगति तेजी से होगी।’’

उन्होंने दावा किया कि बिहार में कांग्रेस विभाजन के कगार पर है क्योंकि गठबंधन सरकार के जाने के बाद उसके ज्यादातर विधायकों की हालत जल बिन मछली जैसी है। शरद यादव पर कटाक्ष करते हुए पासवान ने कहा कि जदयू नेता को लगता है कि उनके होने से पार्टी क्रांतिकारी होती है और उनके न होने से सरकारी हो जाती है। पासवान ने कहा कि वह (यादव) राजग सरकार के शासन में कई साल सरकार में रहे और वाजपेयी सरकार में वह मंत्री भी थे।

उन्होंने कहा, ‘‘कोई भी उनके समर्थन में नहीं है। वह कहते हैं कि वह जनता की राय ले रहे हैं। वह राज्यसभा के सदस्य हैं और उन्हें उन विधायकों की राय लेनी चाहिए जिन्होंने उन्हें चुन कर सदन में भेजा है। सभी विधायक नीतीश कुमार के साथ हैं।’’ पासवान ने दावा किया कि 27 अगस्त को पटना में होने वाली लालू प्रसाद की रैली का उद्देश्य उनके भ्रष्टाचार को छिपाना है और चारा घोटाला में फंसने के बाद उन्होंने यही तिकड़म अपनाई थी। उन्होंने राजद प्रमुख और उनके परिवार के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामलों में कड़ी कार्रवाई की मांग की।