चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर (पीके) दो दिवसीय बिहार के दौरे पर थे और उनके हाव-भाव से लग रहा है कि वो जल्द ही अपने राजनीतिक मोर्चे का ऐलान कर सकते हैं। हालांकि अभी तक पीके ने राजनीतिक मोर्चा बनाने का ऐलान औपचारिक तौर पर नहीं किया है लेकिन सोमवार को उन्होंने एक ट्वीट किया जिससे प्रशांत किशोर के अगले कदम का अंदाज़ा लगाया जा सकता है। वहीं प्रशांत किशोर ने मंगलवार को पटना विश्वविद्यालय का दौरा किया।
प्रशांत किशोर ने पटना विश्वविद्यालय में वर्तमान और पुराने छात्र नेताओं से मुलाकात की और उनकी इस मुलाकात से माना जा रहा है कि वो बिहार के युवाओं को अपने साथ जोड़ने का काम करेंगे। हालांकि पीके ने 2015 विधानसभा चुनाव में अपनी रणनीति के माध्यम से युवाओं को जेडीयू से जोड़ा था और नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने थे। पीके अब एक बार फिर इसी राह पर हैं।
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार इसके पहले प्रशांत किशोर 2018 में पटना विश्वविद्यालय गए थे और उनके इस दौरे के दौरान काफी विवाद हुआ था। दरअसल जेडीयू ने 2018 में पटना छात्र संघ का चुनाव लड़ा था और जेडीयू के प्रचार अभियान को पीके की टीम ने संभाला था। इस चुनाव में जेडीयू को सफलता भी मिली थी और अध्यक्ष और कोषाध्यक्ष पद पर जेडीयू उम्मीदवारों की जीत हुई थी।
सोमवार को पटना पहुँचने के बाद प्रशांत किशोर ने ट्वीट करते हुए लिखा था, ““लोकतंत्र में एक सार्थक भागीदार बनने और जन-समर्थक नीति को आकार देने में मदद करने की मेरी यात्रा उतार-चढाव भरी रही है। अब मुद्दों और जन सुराज के मार्ग को बेहतर ढंग से समझने के लिए लोगों के पास जाने का समय आ गया है। शुरुआत बिहार से।”
पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों के नतीजों के बाद कांग्रेस और प्रशांत किशोर के बीच एक बार फिर बातचीत शुरू हुई लेकिन ये बातचीत बेनतीजा रही। प्रशांत किशोर कांग्रेस के ऑफर पर सहमत नहीं हुए और इसी के साथ पीके की कांग्रेस में शामिल होने की संभावना भी खत्म हो गई। प्रशांत किशोर ने बंगाल चुनाव के दौरान ही कह दिया था कि चुनाव के नतीजों के बाद वो I-PAC को छोड़ देंगे और अगले मंजिल की ओर बढ़ेंगे।