बिहार विधानसभा चुनाव में 2 महीने का समय बाकी है। केंद्रीय मंत्री और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के अध्यक्ष चिराग पासवान चर्चा में बने हुए हैं। चिराग पासवान एनडीए में तो हैं लेकिन बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उनके निशाने पर रहते हैं। चिराग पासवान ने 2020 के विधानसभा चुनाव में जेडीयू के साथ जो कुछ किया, शायद ही नीतीश कुमार कभी उन्हें माफ करें। 2020 के विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान ने एनडीए से अलग होकर विधानसभा चुनाव लड़ा था। हालांकि उन्होंने केवल 4 उम्मीदवार भाजपा के खिलाफ उतारे थे। लेकिन जेडीयू और एनडीए के अन्य सहयोगियों के खिलाफ उन्होंने उम्मीदवार उतारे थे।

चिराग ने खुद को बताया था पीएम मोदी का हनुमान

2020 में चिराग पासवान ने खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ‘हनुमान’ भी करार दिया था। 2020 में महागठबंधन की हार हुई थी और एनडीए की जीत हुई थी। एनडीए ने 125 विधानसभा सीटों पर जीत कर सरकार बनाई थी। इस चुनाव में जेडीयू 43 सीटों पर सिमट गई थी। जेडीयू के प्रदर्शन में गिरावट का मुख्य कारण चिराग पासवान ही थे।

33 सीटों पर जेडीयू को पहुंचाया था नुकसान

चिराग पासवान ने 137 सीटों पर विधानसभा चुनाव तो लड़ा था लेकिन महज एक पर जीत हासिल की थी। कुल 33 सीटों पर चिराग पासवान ने जेडीयू को सीधा नुकसान पहुंचाया था। 2020 के नतीजों पर अगर हम नजर डालें तो कुल 54 ऐसी सीटें थी, जहां पर एलजेपी को जीत-हार के अंतर से अधिक वोट मिले थे।

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9 सीटों पर दूसरे नंबर पर थी चिराग की पार्टी

25 सीटें ऐसी थीं, जिस पर जेडीयू दूसरे नंबर पर थी और उसकी हार का अंतर चिराग पासवान के उम्मीदवारों को मिले वोट से कम था। ऐसे में अगर चिराग पासवान साथ मिलकर लड़े होते तो जेडीयू के खाते में यह 25 सीटें तो बढ़ ही जाती। वहीं 9 ऐसी सीटें थीं, जिसपर चिराग पासवान की पार्टी दूसरे नंबर पर थी। इन 9 में से दो पर जेडीयू ने जीत तो हासिल की थी लेकिन 7 पर हार हुई थी। वहीं एक सीट मटिहानी पर चिराग पासवान की पार्टी ने जीत दर्ज की थी और इस पर जेडीयू दूसरे नंबर पर थी।

किन 9 सीटों पर दूसरे नंबर थी LJP?

चिराग पासवान की पार्टी 9 सीटों पर दूसरे नंबर पर रही थी। कस्बा, रुपौली, कड़वा, रघुनाथपुर, हरनौत, जगदीशपुर, ब्रह्मपुर, दिनारा और ओबरा में एलजेपी दूसरे नंबर पर रही थी। कड़वा और कस्बा में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी। वहीं रुपौली और हरनौत में जेडीयू ने बाजी मारी थी। जबकि रघुनाथपुर, जगदीशपुर, ब्रह्मपुर, दिनारा और ओबरा में आरजेडी ने जीत हासिल की थी।

ऐसे में अगर हम सभी सीटों को मिला दें तो चिराग पासवान की पार्टी ने जेडीयू को 33 सीटों पर सीधा नुकसान पहुंचा था। अगर ऐसा ना हुआ होता तो जेडीयू के सीटों की संख्या 76 हो जाती और वह बीजेपी से भी बड़ी पार्टी बन जाती। केवल जेडीयू बड़ी पार्टी ही नहीं बनती बल्कि एनडीए 150 का भी आंकड़ा पार कर सकता था।

क्या चिराग करेंगे ‘खेला’?

इस बार चिराग पासवान की पार्टी एनडीए गठबंधन में 40 सीटें मांग रही है। वहीं सूत्रों के अनुसार चिराग को 20 सीट देने की बात की जा रही है। चिराग पासवान बीते कई महीनों से नीतीश कुमार पर हमलावर भी हैं। हालांकि भाजपा के बड़े नेताओं ने उन्हें नीतीश पर निशाना न साधने को कहा है।