बहादुरगंज बिहार का एक प्रमुख विधानसभा क्षेत्र है, जो किशनगंज जिले के अंतर्गत आता है। 2020 के विधानसभा चुनाव में यह सीट एआईएमआईएम के कब्जे में गई थी। उस समय मोहम्मद अंजार नईमी ने विकाशशील इंसान पार्टी के लखन लाल पंडित को 45,215 वोटों के अंतर से पराजित किया था। बहादुरगंज विधानसभा, किशनगंज लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। 2024 के लोकसभा चुनाव में किशनगंज से इंडियन नेशनल कांग्रेस के मोहम्मद जावेद ने जनता दल यूनाइटेड के मुजाहिद आलम को 59,692 वोटों से हराकर सांसद चुने गए।
इस क्षेत्र में पहला चुनाव 1952 में हुआ था, जिसमें कांग्रेस के मोहम्मद एहसान विजयी रहे। 2015 में कांग्रेस के तौसीफ आलम ने सीट पर कब्जा किया था। 2020 में एआईएमआईएम के मोहम्मद अंजार नईमी बहादुरगंज से विधायक बने।
भौगोलिक रूप से बहादुरगंज किशनगंज जिले के तराई इलाके में स्थित है। यह न तो पूरी तरह गांव है और न ही कस्बा, बल्कि इनके बीच का प्रशासनिक क्षेत्र माना जाता है। विधानसभा क्षेत्र में बहादुरगंज और टेढ़ागाछ प्रखंड शामिल हैं, साथ ही दिघलबैंक प्रखंड की तीन ग्राम पंचायतें भी इसमें आती हैं। नेपाल और पश्चिम बंगाल की नजदीकी इसे सीमावर्ती इलाके का रूप देती है। महानंदा और मेची नदियां यहां की कृषि और जमीन पर अहम प्रभाव डालती हैं।
2020 के विधानसभा चुनाव की स्थिति
क्रम संख्या | उम्मीदवार | पार्टी | वोट |
1 | मोहम्मद अंजार नईमी | ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन | 85855 |
2 | लखन लाल पंडित | विकासशील इंसान पार्टी | 40640 |
3 | मोहम्मद तौसीफ आलम | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस | 30204 |
1951 में अस्तित्व में आए इस विधानसभा क्षेत्र ने अब तक बिहार की सभी 17 विधानसभा चुनावों में भाग लिया है। यह मुस्लिम बहुल क्षेत्र है, और अब तक केवल तीन गैर-मुस्लिम प्रतिनिधि यहां से चुने गए हैं। कांग्रेस का प्रभाव सबसे अधिक रहा है, जिसने दस बार जीत दर्ज की। प्रजा समाजवादी पार्टी ने 1957 और 1967 में जीत हासिल की, जबकि जनता पार्टी, जनता दल, भाजपा, एक निर्दलीय और एआईएमआईएम ने एक-एक बार जीत दर्ज की।
सबसे सफल नेता नजमुद्दीन और मोहम्मद तौसीफ आलम रहे हैं, जिन्होंने चार-चार बार जीत हासिल की। तौसीफ आलम ने 2005 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत दर्ज की थी और बाद में कांग्रेस में शामिल होकर लगातार तीन चुनाव (2005 अक्टूबर, 2010, 2015) जीते। 2020 में वे एआईएमआईएम के मोहम्मद अंजार नईमी और वीआईपी के लखन लाल पंडित के पीछे रह गए और तीसरे स्थान पर रहे। नईमी ने 45,215 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की और मार्च 2022 में आरजेडी में शामिल हो गए।
2015 के विधानसभा चुनाव की स्थिति
क्रम संख्या | उम्मीदवार | पार्टी | वोट |
1 | मोहम्मद तौसीफ आलम | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस | 53533 |
2 | अवध बिहारी सिंह | भारतीय जनता पार्टी | 39591 |
3 | मोहम्मद मस्वर आलम | जन अधिकार पार्टी (लोकतांत्रिक) | 33638 |
2025 के चुनाव बहादुरगंज में विपक्षी गठबंधन के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकते हैं। मौजूदा विधायक एआईएमआईएम से होने के कारण यह पार्टी इसे अपने कब्जे में रखना चाहेगी, वहीं वीआईपी और कांग्रेस भी अपनी दावेदारी जताने के मूड में हैं। आरजेडी भी अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए मैदान में सक्रिय रहेगी और मुस्लिम मतदाताओं में सेंध लगाने की कोशिश कर सकती है।
2010 के विधानसभा चुनाव की स्थिति
क्रम संख्या | उम्मीदवार | पार्टी | वोट |
1 | मोहम्मद तौसीफ आलम | भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस | 30551 |
2 | मोहम्मद मस्वर आलम | जनता दल (यूनाइटेड) | 26752 |
3 | लखन लाल पंडित | निर्दलीय | 9062 |
2020 में बहादुरगंज में 2,92,544 पंजीकृत मतदाता थे, जिनमें मुस्लिम 66.70%, अनुसूचित जाति 7.55%, और अनुसूचित जनजाति 2.48% थे। क्षेत्र मुख्य रूप से ग्रामीण है और केवल 8.55% मतदाता शहरी क्षेत्रों से हैं। उस चुनाव में मतदान प्रतिशत 59.40% था। 2024 तक यह संख्या बढ़कर 3,07,148 हो गई।
अर्थव्यवस्था मुख्यतः कृषि पर आधारित है। क्षेत्र की उपजाऊ मिट्टी और नदियों से सिंचाई होने के कारण खेती के अनुकूल है। यह राष्ट्रीय राजमार्ग 27 और 57 से जुड़ा हुआ है। बहादुरगंज, किशनगंज मुख्यालय से लगभग 25 किमी उत्तर और पटना से लगभग 317 किमी दूर है। नजदीकी शहरों में इस्लामपुर (40 किमी), अररिया (43 किमी), पूर्णिया (71 किमी), सिलीगुड़ी (87 किमी), जलपाईगुड़ी (105 किमी) और नेपाल सीमा के भद्रपुर (60 किमी) और विराटनगर (75 किमी) शामिल हैं। क्षेत्र में रेलवे स्टेशन नहीं है; नजदीकी स्टेशन किशनगंज (24 किमी) है।