Bengal Crude Bomb Casualties: पश्चिम बंगाल में क्रूड बम से अब तक कई जानें जा चुकी हैं। जबकि कई बच्चे घायल भी हुए हैं। ऐसी स्थिति में दोषारोपण करने वाले राजनीतिक दल और बाल अधिकार निकाय आंख में आंख मिलाकर नहीं देख सकते हैं, जो पश्चिम बंगाल के क्रूड बम के खतरे के समाधान के रास्ते में महत्वपूर्ण कारक है। किसी भी निकाय के पास अब तक कितने बच्चे मारे गए या घायल हुए हैं। इसको लेकर सही आंकड़ा नहीं है। अधिकारियों के अनुसार, पुलिस अपने संबंधित जिलों में रिपोर्ट किए गए व्यक्तिगत मामलों पर नज़र रखती है, जबकि कुछ मामलों में बाल अधिकार आयोग संज्ञान लेता है।
बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष सुदेशना रॉय-
पश्चिम बंगाल बाल अधिकार संरक्षण आयोग की अध्यक्ष सुदेशना रॉय का कहती हैं, ‘हम हर घटना का स्वत: संज्ञान लेते हैं और पुलिस से कार्रवाई करने के लिए कहते हैं। जरूरत पड़ने पर हम डीजीपी और राज्य सरकार को भी फॉलो करते हैं और लिखते हैं। यदि घटना बड़ी है, तो हम जांच के लिए एक टीम भेजते हैं और एक रिपोर्ट तैयार करते हैं।’
हालांकि, अब मृत और घायल बच्चों का आंकड़ा नहीं बताया गया है। अक्सर ऐसे मामले राज्य और राष्ट्रीय बाल अधिकार निकायों के बीच फंस जाते हैं। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने कहा कि वह भी व्यक्तिगत मामलों का संज्ञान लेता है, लेकिन ऐसी कई घटनाएं हैं जहां बच्चों की मृत्यु हो गई या दिव्यांग हो गए, फिर भी उनके परिवारों को मुआवजा नहीं मिला।
NCPCR चेयरपर्सन ने राज्य सरकार पर फोड़ा ठीकरा
NCPCR चेयरपर्सन प्रियांक कानूनगो कहती हैं, ‘आयोग सीपीसीआर एक्ट की धारा 15 के तहत मुआवजे की सिफारिश कर सकता है, लेकिन बाधा यह है कि कई मामलों में राज्य आयोग हमें सूचित करता है कि उन्होंने संज्ञान लिया है। ऐसे में उनकी जिम्मेदारी बनती है कि वे राज्य सरकार से बात करें और मुआवजा सुनिश्चित करें।’ उन्होंने कहा कि ऐसे मामलों में राज्य की प्रतिक्रिया बहुत गैर-जिम्मेदाराना रही है। राज्य को इसको लेकर सही रिकॉर्ड बनाए रखना चाहिए, लेकिन वो इसमें हेरफेर करने की कोशिश करते हैं।
ममता बनर्जी ने पुलिस को दिए हैं जरूरी दिशा-निर्देश: शशि पांजा
द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए महिला और बाल कल्याण राज्य मंत्री शशि पांजा ने कहा, ‘इसमें कोई संदेह नहीं है कि किसी भी प्रकार का बम विस्फोट अवांछित और दुर्भाग्यपूर्ण है। उन्होंने कहा कि हमारी मुख्यमंत्री निष्पक्ष और स्पष्टवादी हैं। उन्होंने खुद व्यक्तिगत रूप से पुलिस को छापे मारने और राज्य में कहीं भी छिपे हुए सभी बमों और हथियारों को जब्त करने के लिए कहा है। ऐसे बम किसने, क्यों और किस मकसद से जमा किए हैं, इसकी जांच की जानी है।’
हालांकि, उन्होंने कहा कि केंद्र में भाजपा के शासन के साथ राज्य में टीएमसी सरकार के एक अलग तरह की राजनीति है। यहां तक कि एक चींटी के काटने या पटाखे फोड़ने से केंद्रीय टीमों को एक चौकी बनानी पड़ती है। उन्होंने कहा कि इससे राज्य की छवि खराब होती है।
टीएमसी प्रवक्ता ने भाजपा-माकपा पर लगाया आरोप
टीएमसी प्रवक्ता जयप्रकाश मजूमदार ने इस तरह की घटनाओं को जघन्य और साजिश का हिस्सा बताया, ताकि बंगाल की छवि को धूमिल किया जा सके। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य में बम बनाने का एक लंबा इतिहास रहा है, लेकिन इस प्रकार की घटनाएं (बच्चे हताहत हुए) कभी नहीं हुईं। अब भाजपा, माकपा की मदद से बम न तो राजनीतिक उद्देश्यों के लिए बना रही है और न ही व्यापार के लिए। मजूमदार ने आरोप लगाया कि वे (बीजेपी-माकपा) बम बना रहे हैं और उन्हें बंगाल के गांवों में खेल के मैदानों के पास फेंक रहे हैं। बच्चे सोचते हैं कि ये गेंदें हैं और उन्हें उठा लेते हैं।’
दिसीप घोष ने राज्य सरकार पर लगाया आरोप
भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दिलीप घोष ने पश्चिम बंगाल सरकार पर आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि राज्य में बमों को इधर-उधर जमा किया जा रहा है और खेलते समय बच्चे मारे जा रहे हैं या घायल हो रहे हैं। खास बात यह है कि प्रशासन को इस पर कोई ऐतराज नहीं है। उन्होंने कहा कि पहले बिहार के मुंगेर से हथियार पश्चिम बंगाल में आते थे, लेकिन अब यहां ही बन रहे हैं।
सीपीआई (एम) का आरोप- टीएमसी ने अपराधियों को दे रखी खुली छूट
सीपीआई (एम) के सुजान चक्रवर्ती ने कहा कि टीएमसी “अपराधियों को खुली छूट दे रही है ताकि वे राजनीतिक सत्ता हासिल कर सकें और लोगों का पैसा लूट सकें।” पिछले महीने भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने राज्य में रामनवमी पर सांप्रदायिक झड़पों की एनआईए जांच की मांग करते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय का रुख किया। राज्य में कानून और व्यवस्था के खराब होने पर अधिकारी ने तर्क दिया था कि झड़पों के दौरान बमों का इस्तेमाल किया गया था। कोर्ट ने जांच एनआईए को सौंपने पर सहमति जताते हुए कहा कि राज्य पुलिस विस्फोटक पदार्थ अधिनियम को लागू करने में विफल रही है।