पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में जीत के बाद तृणमूल कांग्रेस (TMC) का अब पूरा फोकस राष्ट्रीय राजनीति पर केंद्रित है। कई दूसरी पार्टियों के नेता इस वक्त टीएमसी में शामिल हो रहे हैं। वहीं पूर्व केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो को टीएमसी ने राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया है। जिसके बाद यूजर ने टिप्पणी करते हुए लिखा, मंत्री से प्रवक्ता लड़का बड़ा हो गया है।

बता दें, आसनसोल से भाजपा सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो 17 सितंबर, 2021 को तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए थे। वर्तमान में वह बालीगंज विधानसभा से टीएमसी के विधायक हैं। वहीं पार्टी का राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाए जाने के बाद बाबुल सुप्रियो ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और पार्टी के अखिल भारतीय महासचिव अभिषेक बनर्जी को धन्यवाद दिया है।

पूर्व केंद्रीय मंत्री सुप्रियो ने पार्टी की तरफ से नई जिम्मेदारी मिलने पर एक ट्वीट करते हुए लिखा, ‘माननीय दीदी ममता बनर्जी और अभिषेक बनर्जी को तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ताओं की टीम में मुझे शामिल करने के लिए हार्दिक आभार। मुझे सौंपी गई जिम्मेदारी को निभाने के लिए मैं अपनी पूरी कोशिश करूंगा।’

सोशल कमेंट्स-
बाबुल सुप्रियो को टीएमसी का राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाए जाने पर लोगों ने अपनी राय जाहिर की है। सुभाषिस फणी नाम की एक यूजर ने लिखा- ‘मंत्री से प्रवक्ता लड़का बड़ा हो गया है’। सुनील शर्मा भट्ट नाम के एक अन्य यूजर लिखते हैं, ‘बेपेंदी का लोटा, जिस आदमी के खुद कोई विचार नहीं है, भाजपा में एक कुर्सी के लिए था, कुर्सी गई, खिसक लिया। TMC में और बहुत गुणी लोग है।’

कौन हैं बाबुल सुप्रियो-
बाबुल सुप्रियो का जन्म पश्चिम बंगाल के एक छोटे से शहर में हुआ। डॉन बोस्को लिलाह में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से वाणिज्य में स्नातक की डिग्री हासिल की। एक संगीत परिवार में जन्में बाबुल सुप्रियो ने संगीत की दुनिया में कदम रखा, लेकिन पूर्णकालिक कैरियर के रूप में गायन करने से पहले, उन्होंने मानक चार्टर्ड बैंक में कुछ दिन काम किया और कुछ दिन बाद नौकरी छोड़ दी।

मोदी युग में उन्होंने साल 2014 में राजनीति में प्रवेश किया। उन्होंने आसनसोल से अपना पहला चुनाव लड़ा और एनडीए सरकार में सबसे कम उम्र में केंद्रीय मंत्री बने। उन्हें शहरी विकास मंत्रालय, आवास और शहरी गरीबी उन्मूलन मंत्रालय में राज्य मंत्री बनाया गया था। बाद में उनको भारी उद्योग और सार्वजनिक उद्यम मंत्रालय दिया गया। ऐसे में बीजेपी के अंदर सुप्रियो का कद लगातार बढ़ता रहा और क्योंकि वे बंगाल से आते थे, ऐसे में उन्हें काफी राजनीतिक तवज्जो भी दी गई।

बीजेपी से क्यों बिगड़ा सुप्रियो का खेल-
लेकिन फिर आया सबसे बड़ा नाटकीय मोड़। इस साल हुए बंगाल विधानसभा चुनाव में बीजेपी की करारी हार हुई। अपना रिकॉर्ड जरूर सुधारा, लेकिन ममता की लहर को नहीं रोक पाई। बाबुल सुप्रियो भी अपनी सीट आसनसोल हार बैठे। ऐसे में हाईकमान में नाराजगी थी, वहां के स्थानीय नेताओं से भी तल्खी की खबरें आ रही थीं। सुप्रियो को भी हार के लिए जिम्मेदार बताया गया।