Atiq Ahmed Killed: गैंगस्टर से राजनेता बने अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की शनिवार देर रात (15 अप्रैल, 2023) को प्रयागराज में हत्या कर दी गई। यह घटना उस वक्त हुई जब अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ अहमद को मेडिकल के लिए ले जाया जा रहा था। उसी वक्त तीन लोगों ने गोली मारकर हत्या कर दी।पूर्व सांसद की मौत उसके बेटे असद अहमद के अंतिम संस्कार के कुछ घंटे बाद हो गई। अतीक ने शुक्रवार को अपने बेटे के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए मजिस्ट्रेट से अनुमति मांगी थी।

प्रयागराज के चर्चित उमेश पाल शूटआउट केस में नामजद होने के बाद माफ़िया अतीक अहमद सुर्खियों में था। अतीक के गुनाहों की बात करें तो उसकी लिस्ट काफी लंबी है। उससे कतई कम उसकी सियासी उपलब्धियां नहीं थीं। वह माफिया था, गैंग लीडर था, हिस्ट्रीशीटर था, बाहुबली था, दबंग था तो साथ ही आतंक का दूसरा नाम भी था, लेकिन इन सबके बावजूद पांच बार विधायक और एक बार उस फूलपुर सीट से सांसद भी रहा है, जहां से कभी देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू लोकसभा का चुनाव लड़ते थे।

10 जजों ने खुद को सुनवाई से कर लिया था अलग

डर-आतंक और दबंगई के बावजूद अतीक के ख़िलाफ़ सौ से ज़्यादा आपराधिक मुक़दमे दर्ज थे, लेकिन ज़्यादातर मामलों में सिस्टम उसके इशारे पर कुछ इस तरह नाचता रहा कि उसे एक भी मामले में सजा नहीं हो पाई थी। अतीक की हनक और भौकाल का अंदाजा ऐसे भी लगाया जा सकता है कि हाईकोर्ट के दस जजों ने उसके मुकदमों की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था।

1979 में अतीक ने अपराध की दुनिया में रखा था कदम

समाजवादी पार्टी से संसद और उत्तर प्रदेश विधान सभा के एक पूर्व सदस्य रहे अतीक अहमद को इलाहाबाद पश्चिम निर्वाचन क्षेत्र से लगातार पांच बार विधान सभा सदस्य के रूप में चुना गया था। पुलिस रिकॉर्ड 2013 आईएएनएस की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश में ‘गैंगस्टर एक्ट’ के तहत अतीक पर पहला मामला दर्ज किया गया था। कहा जाता है कि 1979 में अहमद ने पहली बार अपराध की दुनिया में कदम रखा था।जब उस पर हत्या का आरोप लगाया गया। वर्तमान में उसके खिलाफ 100 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज थे। अभी हाल ही में प्रयागराज के धूमनगंज थाने में बहुजन समाज पार्टी के विधायक राजू पाल की हत्या के मामले में मुख्य गवाह उमेश पाल की हत्या के मामले में नामजद था।

अतीक ने 1989 में अपनी राजनीतिक यात्रा की शुरुआत की

अतीक अहमद की राजनीतिक यात्रा की बात करें तो उसने 1989 में अपनी राजनीतिक यात्रा शुरू की थी, जब उन्होंने इलाहाबाद पश्चिम से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में विधायक सीट जीती। 1999-2003 के बीच वह सोने लाल पटेल द्वारा स्थापित अपना दल के अध्यक्ष थे। अगले दो विधान सभा चुनावों में स्वतंत्र रूप से अपनी सीट बरकरार रखने के बाद अतीक समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए और 1996 में अपना लगातार चौथा कार्यकाल जीता। उसने तीन साल बाद 2002 में अपना दल से फिर से अपनी सीट जीती।

साल 2004 में अतीक फूलपुर से सांसद चुना गया

2004-2009 तक अतीक को उत्तर प्रदेश के फूलपुर से 14 वीं लोकसभा के लिए समाजवादी पार्टी के सांसद के रूप में चुना गया था। 25 जनवरी, 2005 को पाल की हत्या के बाद राजू पाल की पत्नी ने अपनी प्राथमिकी में अतीक, अशरफ और सात अज्ञात लोगों को नामजद किया था। रिपोर्ट के मुताबिक, यह घटना तब हुई जब राजू पाल ने अतीक अहमद के भाई अशरफ को 2005 में इलाहाबाद पश्चिम सीट विधानसभा उपचुनाव में हराया था। उस वक्त अतीक अहमद परिवार के लिए यह एक बड़ा नुकसान था, क्योंकि 2004 के आम चुनावों में अतीक के इलाहाबाद से लोकसभा सीट जीतने के बाद यह सीट खाली हो गई थी।”

साल 2008 में अतीक ने सरेंडर किया, 2012 में रिहा हुआ

राजू पाल को उनके घर के पास एक अस्पताल से रास्ते में गोली मार दी गई थी। वह अपने साथियों संदीप यादव और देवीलाल के साथ लौट रहे थे। एफआईआर में दंगा, हत्या के प्रयास, हत्या और आपराधिक साजिश के आरोप लगाए गए थे। राजनीतिक और पुलिस दबाव के बाद अतीक अहमद ने 2008 में आत्मसमर्पण किया और 2012 में रिहा किया गया। 2008 में उसे समाजवादी पार्टी से निष्कासित कर दिया गया और मायावती ने उसे बसपा का टिकट देने से इनकार कर दिया। अहमद को 2009 के आम चुनावों के दौरान चुनाव लड़ने की अनुमति दी गई थी।

2014 में अतीक ने सपा के टिकट पर श्रावस्ती से लोकसभा चुनाव लड़ा, हार गया

2014 में अतीक को श्रावस्ती निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए सपा से टिकट दिया गया था। हालांकि अतीक को एक चौथाई वोट मिले, लेकिन वह भाजपा के दद्दन मिश्रा से लगभग एक लाख वोटों से हार गया। गैंगस्टर से राजनेता का ग्राफ धीरे-धीरे कम होता गया, क्योंकि सपा के साथ उसके संबंधों में खटास आ गई, अखिलेश यादव ने अहमद के आपराधिक रिकॉर्ड के कारण खुद को दूर कर लिया।

14 दिसंबर, 2016 में अतीक का कर्मचारियों के साथ मारपीट का वीडियो वायरल हुआ

14 दिसंबर, 2016 को अतीक ने अपने गुर्गों के साथ सैम हिगिनबॉटम यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर, टेक्नोलॉजी एंड साइंसेज के स्टाफ सदस्यों पर हमला किया था। कथित तौर पर कर्मचारियों ने नकल करते पकड़े जाने के बाद दो छात्रों को परीक्षा में शामिल होने से रोक दिया था। अतीक अहमद द्वारा शिक्षक और कर्मचारियों की पिटाई का एक कथित वीडियो वायरल हुआ था।

साल 2019 में अतीक ने पीएम मोदी के खिलाफ वाराणसी से चुनाव लड़ा

10 फरवरी, 2017 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने अतीक के आपराधिक इतिहास को देखा और इलाहाबाद के पुलिस अधीक्षक को मामले के सभी आरोपियों को गिरफ्तार करने का निर्देश भी दिया। अतीक को पुलिस ने 11 फरवरी को गिरफ्तार किया था, जिसके बाद उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। कैद होने के बावजूद अतीक अहमद ने 2019 में वाराणसी लोकसभा सीट से प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ा और उसे केवल 855 वोट मिले।

24 फरवरी, 2023 को राजूपाल हत्या के गवाह उमेश पाल की हत्या

इस साल 24 फरवरी को राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह उमेश पाल की प्रयागराज में उनके घर के बाहर हत्या कर दी गई थी। पाल के दो सुरक्षा कर्मियों की भी मौत हो गई थी। यूपी पुलिस ने 25 फरवरी को अतीक अहमद, उनकी पत्नी शाहिस्ता परवीन, उनके दो बेटों, उनके छोटे भाई खालिद अजीम उर्फ अशरफ और अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी।

साबरमती जेल से लाए जाने के दौरान अतीक ने जताई थी हत्या की आशंका

उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में कोर्ट में पेश होने के लिए उसे हाल ही में गुजरात की साबरमती जेल से स्थानांतरित किया गया था। मीडिया से बातचीत के दौरान अतीक ने कहा था कि उसे अपनी जान का डर है और यूपी पुलिस की मंशा पर संदेह है।

तांगे वाले के बेटा था अतीक

अतीक अहमद के पिता हाजी फ़िरोज़ भी आपराधिक प्रवृत्ति के थे। वो तांगा चलाते थे। बेहद मामूली घर के हाजी फ़िरोज़ की माली हालत ऐसी नहीं थी कि वह अतीक समेत अपनी दूसरी औलादों को बेहतर तालीम दिला सकते थे। एक तांगे वाले का अनपढ़ बेटा अतीक इतना महत्वाकांक्षी था कि पैसों की खातिर जुर्म की दुनिया में कदम रखने के बाद वह कुछ ही दिनों में अपराध जगत का बेताज बादशाह बन गया था। अपने गुनाहों पर पर्दा डालने के लिए उसने सियासत को कवच के तौर पर इस्तेमाल किया और अपराध व राजनीति के दम पर करोड़ों नहीं बल्कि अरबों का आर्थिक साम्राज्य खड़ा कर लिया था। अतीक को गुनाहों की दुनिया इतनी पसंद आ गई है कि उसने पूरे परिवार को इसमें शामिल कर लिया था।