Asad Encounter: उमेश पाल हत्याकांड में वांछित गैंगस्टर अतीक अहमद के बेटे असद को गुरुवार दोपहर झांसी में यूपी STF की टीम ने एनकाउंटर में मार गिराया था। एनकाउंटर में असद के साथ आरोपी गुलाम भी मारा गया था। दोनों के ऊपर पांच-पांच लाख रुपये का इनाम घोषित था।
पुलिस प्राथमिकी के अनुसार, ‘असद और गुलाम बिना लाइसेंस नंबर प्लेट की एक लाल और काले रंग की डिस्कवर मोटरसाइकिल पर जा रहे थे। वे चिरगांव से निकले और परिच्छा की ओर जा रहे थे, जब पुलिस ने उन्हें देखा और उन्हें रुकने के लिए कहा। ऐसे में असद और गुलाम ने अंधाधुंध फायरिंग कर भागने की कोशिश की। इसके बाद पुलिस की कार्रवाई में दोनों ढेर हो गए।
असद और गुलाम के मारे जाने के बाद सीएम योगी ने यूपी पुलिस को बधाई दी थी, लेकिन असद और गुलाम के एनकाउंटर को लेकर कुछ सवाल खड़े हो रहे हैं कि यह एनकाउंटर कैसे हुआ, वह स्थान जहां यह एनकाउंटर हुआ और जिस बाइक से असद और गुलाम ने भागने की थी। अब इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट में दावा किया गया है कि असद और गुलाम जिस बाइक से भाग रहे थे, उस पर कोई स्क्रैच नहीं मिला है।
बाइक पर कोई स्क्रैच नहीं
उत्तर प्रदेश एसटीएफ के अनुसार, असद और गुलाम लाल और काले रंग की डिस्कवर मोटरसाइकिल पर जा रहे थे। जिस पर कोई नंबर प्लेट नहीं था। पुलिस दोनों वांछित आरोपियों का पीछा कर थी। इसके बाद सड़क से दूर बांस के एक पेड़ के पास पलट गई। बाइक के पलटने और सड़क से नीचे गिरने के बावजूद पथरीली और उबड़-खाबड़ सतह होने के बाद भी बाइक पर एक खरोंच तक नहीं आई। असद और गुलाम के भागते समय बाइक गिर गई या बाद में पलट गई, यह पूछे जाने वाले सवालों में से एक है।
बाइक की चाबी गायब
एक और पहलू जिस पर सवाल उठाये जा रहे हैं वह यह है कि बाइक पर कोई चाबी नहीं लगी थी। मुठभेड़ स्थल की तस्वीरों में यह नजर आ रहा है। असद के एनकाउंटर के बाद स्थानीय पुलिस के पहुंचने से पहले मीडियाकर्मी तस्वीरें लेने मौके पर पहुंच गए थे। हो सकता है बाइक पुरानी होने के कारण चाबी कहीं गिर गई हो। इस बात की बहुत कम संभावना है कि पुलिस मुठभेड़ में पकड़े गए किसी व्यक्ति ने बाइक से चाबी निकाल ली होगी। बाइक की खोई हुई चाबी पर एक रहस्य बरकरार है।
कोई लाइसेंस प्लेट और चेसिस नंबर नहीं
मुठभेड़ के दौरान असद और गुलाम जिस बाइक पर सवार बताए जा रहे थे, उसे बरामद करने वाली एसटीएफ टीम के पास नंबर प्लेट या चेसिस नंबर नहीं था। हो सकता है कि बाइक चोरी की हो। जबकि बाइक पर आम तौर पर एक इंजन नंबर होता है, यह संभावना है कि इंजन का हिस्सा चोरी भी हो सकता है, जिससे जांचकर्ताओं और पुलिस के लिए बाइक के मालिक की पहचान करना एक कठिन काम हो जाता है। घटना के बाद में पुलिस ने सबूत के तौर पर बाइक को अपने कब्जे में ले लिया और बड़ागांव थाने पहुंचा दिया।
कोई हेलमेट नहीं मिला
एनकाउंटर स्थल से कोई हेलमेट बरामद नहीं हुआ। उत्तर प्रदेश पुलिस के मुताबिक, असद और गुलाम कई दिनों से लापता थे और पुलिस के रडार से बचने के लिए अलग-अलग राज्यों में रह रहे थे. यहां एक और सवाल उठता है। यदि सुरक्षा के लिए नहीं, लेकिन क्या उन्होंने पहचान से बचने के लिए हेलमेट का इस्तेमाल नहीं किया होगा?
पुलिस से बचने की कोशिश करते हुए यह कैसे संभव है कि उन्होंने हेलमेट नहीं पहना होगा? इस तथ्य को देखते हुए कि असद और गुलाम दोनों पुलिस द्वारा वांछित थे और उन पर इनाम घोषित था। अगर उन्होंने हेलमेट नहीं भी पहना था, तो एक राज्य से दूसरे राज्य की यात्रा करने के बाद वे झांसी में कैसे प्रवेश कर गए? मुठभेड़ के दौरान भी दोनों वांछित अपराधियों ने हेलमेट नहीं पहना हुआ था। ऐसे में हेलमेट गायब होने पर सवाल उठ रहे हैं।
हाई-वे के पास सड़क ऊबड़-खाबड़
एनकाउंट गुरुवार दोपहर झांसी के बड़ागांव थाना क्षेत्र में हुआ। पुलिस के मुताबिक, असद और गुलाम परीछा बांध के पास छिपे हुए थे। यह जगह नेशनल हाईवे से दो किलोमीटर दूर है। उस स्थान तक पहुंचने के लिए एक छोटा-सा रास्ता है, जो पथरीला, उबड़-खाबड़ है। ऐसे में किसी भी वाहन को वहां 10 से 20 किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा की रफ्तार से नहीं चलाया जा सकता था।
जबकि एसटीएफ असद और गुलाम का पीछा कर रही थी, वे इतनी दूर कैसे जा सकते थे? इतनी उबड़-खाबड़ सड़क पर पुलिस टीम के साथ दोनों ने इतनी दूरी तय की। यह भी एक बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है।
एनकाउंटर का स्थान
आखिर में एनकाउंटर की जगह पर भी सवाल उठ रहे हैं। जिस इलाके में मुठभेड़ हुआ, वह नेशनल हाईवे से महज दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। राजमार्ग तक पहुंचने के लिए एक छोटा सा रास्ता है, जो दूसरों के लिए दुर्गम है। उत्तर प्रदेश पुलिस के मुताबिक, असद और गुलाम राजस्थान और अन्य जगहों पर छिपे हुए थे उसके बाद वो झांसी भाग गए थे। इस छोटी सी ऊबड़-खाबड़ सड़क के बारे में शायद ही उन्हें पता होगा। साथ ही, जब दोनों राजस्थान से आ रहे थे, तो कच्ची सड़क दूसरी तरफ रही होगी, इसलिए उनके देखने की संभावना बहुत कम थी। साथ ही उस तरफ लोगों का आना-जाना नहीं रहता है। सीसीटीवी कैमरों की संभावना वाला निकटतम टोल गेट मुठभेड़ स्थल से 30 किलोमीटर दूर था और आसपास कोई ढाबा भी नहीं था। इसलिए एनकाउंटर होने वाली जगह को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
अतीक बेटे असद के झांसी में मारे जाने पर बसपा प्रमुख मायावती, सपा प्रमुख अखिलेश यादव और AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी समेत विपक्षी नेताओं ने सवाल उठाए हैं। अखिलेश यादव ने बीजेपी पर असली मुद्दों से ध्यान हटाने की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए इसे फर्जी एनकाउंटर बताया।