दिल्ली सरकार सार्वजनिक परिवहन में रिंग रेल का इस्तेमाल करने की कवायद में जुटी है। इसको लेकर दिल्ली सरकार और रेलवे के बीच गुरुवार को बैठक भी हुई। बैठक के बाद शुक्रवार को रिंग रेल का एक सर्वे भी किया गया। रेल बजट में रिंग रेल की चर्चा होते ही इससे दिल्ली के परिवहन में तेजी आने की उम्मीद जगी है।
हालांकि इससे पहले रिंग रेल से बस सेवा नहीं जुड़े होने और इस रूट पर मालगाड़ियों की भीड़ से यह रेल सेवा खस्ताहाल रही है। रिंग रेल के स्टेशनों पर न बसों की व्यवस्था है और न ही दूसरे निजी वाहनों की पार्किंग की सुविधा। रिंग रेल से यात्रा करने वाले लोगों का मानना है कि सरकार स्टेशनों पर बसों की व्यवस्था कर दे तो यह रेल कॉरिडोर काफी सुधर जाएगा।
उत्तर रेलवे के डीआरएम अरुण अरोड़ा ने कहा कि गुरुवार को दिल्ली के परिवहन मंत्री के साथ रिंग रेल के सुधारात्मक कदमों के बारे में चर्चा की गई। अरोरा के मुताबिक, परिवहन मंत्री ने कहा कि रिंग रेल के सर्वे के बाद इसकी व्यवस्था सुधारने की पहल की जाएगी। वहीं उत्तरी रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी नीरज शर्मा का कहना है कि रिंग रेल के लिए रेलवे लाइन 1975 में बिछाई गई थी, जिस पर ट्रेनों की आवाजाही 1982 में शुरू हुई।
यह सेवा हजरत निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन से शुरू होकर और 35 किलोमीटर की दूरी तय करके फिर इसी स्टेशन पर पहुंचती थी। इस रेल मार्ग पर कुल 22 स्टेशन हैं, जबकि इस रेलमार्ग पर मालगाड़ियों का दिल्ली में प्रवेश अधिक होने और अन्य गाड़ियों के होने से 30 फीसद अधिक गाड़ियां चलती हैं। इस रूट पर इलेक्ट्रॉनिक मल्टिपल यूनिट (ईएमयू) सुबह-शाम हजारों लोगों को लाती-ले जाती है। यह 15 स्टेशनों पर रुकती है और करीब 35 किलोमीटर का सफर डेढ़ घंटे में पूरा करती है।
अरुण अरोड़ा ने बताया कि दिल्ली सरकार और रेलवे की बैठक में रिंग रेल के हरेक पहलू पर बातचीत हुई। इसके ट्रैक का ज्यादातर इस्तेमाल मालगाड़ियां करती हैं। जिस कारण नई पटरी बिछाने की व्यवस्था करने की बीत भी कही गई। रेल मंत्रालय ने रिंग रेल के दोनों ओर अपनी जमीन से अवैध कब्जे हटाने की भी योजना बनाई है। विस्थापितों को मुआवजा देने और दूसरी जगह बसाने पर भी विचार किया जा रहा है। यह काम दिल्ली सरकार के माध्यम से किया जाएगा।