राजस्थान में बहुजन समाज पार्टी से कांग्रेस में शामिल हुए 6 विधायकों की दल-बदल कानून के तहत विधानसभा सदस्यता जाने का खतरा मंडरा रहा है। ऐसे में ये सभी विधायक दिल्ली पहुंचे हैं। बता दें कि हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने इन विधायकों को अपना फाइनल जवाब देने के लिए नोटिस भेजा था। जिसको लेकर ये सभी विधायक दिल्ली में कानूनी उपायों पर विचार करने पहुंचे हैं।
इन विधायकों में वाजिब अली, संदीप यादव, लखन मीणा, जोगेंद्र अवाना, दीपचंद खेरिया और राजेंद्र गुढ़ा ने राजस्थान के विधानसभा चुनाव 2018 में बसपा के टिकट पर जीत दर्ज की थी। लेकिन सितंबर 2019 में ये सभी कांग्रेस में शामिल हो गए थे। इसपर बसपा और भाजपा दोनों ने इनके कांग्रेस विलय को उच्चतम कोर्ट में चुनौती दी है।
बसपा विधायकों में सदस्यता जाने का डर: दिल्ली पहुंचने वाले राजेंद्र सिंह गुढ़ा का कहना है कि, नोटिस मिलने के बाद हम अपनी सदस्यता बचाने के लिए राहुल गांधी से मिलेंगे और कानूनी उपायों पर भी चर्चा करेंगे। अब तो ना घर बचेगा और न ही ठिकाना। वहीं संदीप यादव ने कहा कि, हम सभी से मुलाकात करेंगे, मायावती, अमित शाह, राहुल गांधी, जो भी हमारी सदस्यता बचा लेगा, हम उसी के पास चले जाएंगे।
हालांकि इन खबरों के बीच जोगेंद्र अवाना और दीपचंद खेरिया ने बुधवार की शाम सीएम गहलोत से मुलाकात की थी और कहा कि वो गहलोत सरकार के साथ है। वहीं अपनी विधानसभा सदस्यता पर खतरा मंडराते देख विधायकों ने अपनी मंशा साफ कर दी है कि, उनकी सदस्यता बचाने में जो भी दल मदद करेगा, वो उसका साथ देंगे।
सरकार रहेगी सुरक्षित: इन विधायकों की सदस्यता का मुद्दा इन दिनों राजस्थान में चर्चा का विषय बना हुआ है। हालांकि इनकी सदस्यता जाने पर भी राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार सुरक्षित तो रहेगी लेकिन दबाव जरूर थोड़ा बढ़ेगा। दरअसल राज्य की 200 विधानसभा सीटों में बहुमत के लिए 101 विधायकों की जरूरत होती है। अभी की स्थिति में कांग्रेस के पास कुल 122 विधायकों का समर्थन हासिल है।
वहीं अगर बसपा के 6 विधायकों की सदस्यता रद्द भी हो जाती है तो गहलोत सरकार के पास 116 विधायक होंगे, जिससे सरकार पर कोई आंच नहीं आएगी। हालांकि भविष्य को लेकर राज्य सरकार पर दबाव बना रहेगा।
