असम के दरांग जिले में आम नागरिकों और पुलिस के बीच गुरुवार को हुई हिंसक झड़प को लेकर सीएम हिमंत बिस्वा ने कहा कि लगभग 10,000 लोगों ने घेराव किया था। सुरक्षा कर्मियों और उन पर हिंसा का इस्तेमाल किया गया था। इसमें दो लोगों की मौत हुई थी। हिमंत बिस्वा सरमा सरकार ने सत्ता में आने के बाद दरांग जिले में अवैध कब्जा हटाने का निर्देश जारी किया था। मुसलमान बहुल इस इलाके में 800 परिवारों को बेदखल किया गया था जो पुनर्वास की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे थे।
ये हिंसा दरांग के सिपाझार में धौलपुर घोरुखुटी इलाके के दौरे के दौरान सुरक्षा कर्मियों और जिला प्रशासन के अधिकारियों की एक टीम के सरकारी कार्रवाई का विरोध कर रहे अतिक्रमणकारियों को हटाने के लिए हुई थी। सुरक्षा कर्मियों और सरकारी अधिकारियों पर भी हिंसा का इस्तेमाल किया गया था। गुरुवार को निष्कासन अभियान के दौरान हुई गोलीबारी की घटना के बारे में बोलते हुए, मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि लगभग 10,000 लोगों ने सुरक्षा कर्मियों का घेराव किया और उन पर हिंसा का इस्तेमाल किया।
सीएम हिमंत ने बताया कि भूमि नीति के अनुसार प्रत्येक भूमिहीन को 2 एकड़ प्रदान किया जाएगा और इससे प्रतिनिधि सहमत थे। सीएम ने कहा कि निष्कासन के दौरान हमें कोई प्रतिरोध की उम्मीद नहीं थी, असम पुलिस का घेराव किया गया और हिंसा की गई। फिर मजबूरन पुलिस ने जवाबी कार्रवाई की। कुछ प्रदर्शनकारियों ने अधिकारियों पर पथराव किया और उन पर धारदार हथियारों से हमला किया। पुलिस ने तब “आत्मरक्षा” में गोलियां चलाईं, जिसमें दो नागरिक मारे गए।
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इस बीच, घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया, जिसमें बिजय शंकर बनिया नाम का एक फोटोग्राफर एक प्रदर्शनकारी की पिटाई कर रहा था, जिसे गोली मार दी गई थी। उसे लेकर सीएम ने कहा कि “आप एक वीडियो से राज्य सरकार को नीचा नहीं दिखा सकते। असम के सीएम ने आगे कहा कि हिंसा के दौरान 11 पुलिस कर्मी घायल हुए और कहा कि यह पता लगाने के लिए जांच की जाएगी कि फोटोग्राफर मौके पर कैसे पहुंचा।
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आम लोग मंदिर पर नहीं करते अतिक्रमण
सीएम हिमंत बिस्वा ने उस क्षेत्र के बारे में कहते हुए कहा कि राज्य में आम लोग मंदिर की जमीन पर कब्जा नहीं करते हैं। लेकिन इस क्षेत्र में 1983 से अपराध के लिए जाना जाता है। उन्होंने कहा कि मैंने चारों ओर अतिक्रमण देखा है। जिसे लेकर ही अतिक्रमण हटाने की पहल की गई थी। इसे लेकर प्रतिनिधि मंडलों ने मुलाकात की थी। एक शांतिपूर्ण सहमति भी बन गई थी, लेकिन बाद में उकसाया गया।