नेपाल के शासकों के भ्रष्टाचार से बेहद नाराज युवा ‘जेन-जी पीढ़ी’ ने ‘तख्तापलट’ कर भारत समेत दुनिया भर को हिला दिया। संसद भवन, प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति के आवास एवं न्यायालय भवन तक जला दिए गए। प्रधानमंत्री समेत कई मंत्री सेना की सुरक्षा में अज्ञात स्थान पर। वित्तमंत्री को सरेआम पीटा गया। हमारे चैनल ‘जेन-जेड क्रांति’ को लगातार दिखाते रहे। नया प्रधानमंत्री कौन बने, शुरू में इस पर ‘जेन-जी’ में मतभेद दिखे।
बहसों में चर्चक इस ‘जेन-जी क्रांति’ के मायने खोजते रहे और बताते रहे कि सन 1997-2012 के बीच जन्मी यह पीढ़ी आज की तकनीक में कुशल और उसके साथ सहज, सोशल मीडिया पर बेहद सक्रिय, लगभग हर वक्त आनलाइन, फेसबुक, टिकटाक आदि में मशगूल रहने वाली सोशल मीडिया के लोकप्रिय छब्बीस मंचों को सरकार द्वारा अचानक प्रतिबंधित किए जाने से नाराज हो गई। इसके बाद दुनिया ने जाना कि ‘जेन-जी’ पीढ़ी विकासशील देशों में क्या धमाल मचा सकती है!
कई लोग इस ‘तख्तापलट’ के पीछे विदेशी धन से संचालित ‘डीप स्टेट’ और ‘टूलकिट’ का हाथ बताते रहे। कुछ श्रीलंका, बांग्लादेश और अब नेपाल के इस तख्तापलट को विदेशी साजिशें बताते रहे। कुछ विपक्षी नेता नेपाल की ‘जेन-जी’ क्रांति की नकल पर अपने यहां भी एक ‘जेन-जी’ क्रांति के ‘स्वप्न’ देखने लगे। सत्ता प्रवक्ता कहते कि नेपाल की स्थितियां अलग हैं और भारत की एकदम अलग। यहां का प्रशासन और नेतृत्व राष्ट्रवादी है, इसलिए यहां ऐसा होना असंभव है।
गाली, विवाद और राजनीति, लोकतंत्र कैसे बन गया ‘ओटीटी सीरीज’; सुधीश पचौरी का तीखा विश्लेषण
कहां तीन करोड़ की आबादी वाला देश नेपाल और कहां एक सौ चालीस-पैंतालीस करोड़ की आबादी वाला देश भारत। दुनिया की चौथे नंबर की अर्थव्यवस्था… संवैधानिक संस्थाएं सुचारु रूप से काम करती हुईं… एक बेहद टिकाऊ जनतंत्र..! इसलिए जो नेपाल जैसा होने के सपने देखते हैं, वे सपने ही देखते रह जाएंगे।
इसके बाद एक बार फिर वोट चोरी के मुद्दे पर ‘हाइड्रोजन बम’ जैसी बातें होने लगीं। एक एंकर ‘हाइड्रोजन बम’ की बात को ज्यादा ही गंभीरता से ले गया और बहस कराने लगा। एक चर्चक हाइड्रोजन बम के फटने की धमकी का अर्थ लगाने लगा। वह सत्ता प्रवक्ता को समझाने में लगा रहा कि इसकी व्यंजना को समझो! एक एंकर देर तक अनुमान लगाता रहा कि इसके मायने क्या हैं! कहीं यह हरियाणा के चुनावों की भी चोरी वाला मामला तो नहीं! यों भी ‘ह’ से हरियाणा और ‘ह’ से ‘हाइड्रोजन’! लेकिन अगले ही दिन के दृश्य किसी भी धमकी से बेपरवाह नजर आए।
वोट चोर गद्दी छोड़’ की गूंज, विपक्ष की नई रणनीति और सत्ता की परेशानी; सुधीश पचौरी का करारा कटाक्ष
राष्ट्रपति ने चुनावी नियमों के तहत उपराष्ट्रपति पद के लिए चयनित सीपी राधाकृष्णन को शपथ दिलाई। समारोह में प्रधानमंत्री, कई मंत्री, कई मुख्यमंत्री नजर आए। साथ ही कई पूर्व उपराष्ट्रपतियों के साथ स्वास्थ्य कारणों से अपने पद से त्यागपत्र देने वाले पूर्व उपराष्ट्रपति धनखड़ भी नजर आए। ऐसी ही एक चर्चा में एक चैनल ने एक ‘पोस्टर बम’ फटता दिखाया, जिसमें प्रधानमंत्री और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को दिखाया गया।
फिर आया एक और विज्ञापन, जिसमें एक परदे वाली खिड़की में प्रधानमंत्री खड़े हैं और नीचे लिखा आता है- रिक्त स्थान की पूर्ति करो। फिर जिस दिन नए उपराष्ट्रपति शपथ ले रहे थे, दस दिन उसे कवर करते एक चैनल ने पोस्टरबाजों द्वारा कृत्रिम बुद्धिमत्ता से बनवाया गया एक और वीडियो दिखाया, जिसे देख सत्ता-प्रवक्ता एक बार फिर पुराने शिकायती मुद्रा में आ गए और कहा कि ये लोग प्रधानमंत्री की दिवंगत मां को भी नहीं बख्शते। ये पहले भी उनकी मां को ऐसे ही लपेट चुके हैं… अब एक बार फिर वैसा ही किया जा रहा है… यह आपत्तिजनक है..।
कर्नाटक की सरकार ने नए बने शिवाजी नगर के मेट्रो स्टेशन का नाम ‘सेंट मेरी’ रखने का प्रस्ताव दिया, तो कर्नाटक के विपक्ष ने इसे ‘तुष्टीकरण की राजनीति’ बताया और मांग की कि स्टेशन का नाम कायदे से ‘शिवाजी मेट्रो स्टेशन’ रखा जाए!
चलते-चलते : शुक्रवार की दोपहर दिल्ली हाईकोर्ट को बम से उड़ाने की धमकी मिली तो सारे कैमरे अदालत की तरफ घूम गए। पल-पल की खबर आने लगी। पुलिस ने अदालत परिसर को अपने कब्जे में लेकर खाली कराना शुरू कर दिया… ‘बम दस्ता’ पूरे परिसर की जांच करने लगा। यह खबर खत्म नहीं हुई थी कि अचानक मुंबई हाईकोर्ट को भी बम से उड़ा देने की धमकी मिली। उसे भी जांच करने के लिए सुरिक्षत किया जाने लगा!