अगले साल होने वाले आम चुनाव से पहले बिखरे हुए विपक्ष को एक करने के प्रयास में अगले महीने एक महत्वपूर्ण बैठक बिहार की राजधानी पटना में होने जा रही है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पिछले कुछ वक़्त से लगातार विपक्षी नेताओं से मुलाक़ात करते दिख रहे हैं। इस दौरान भाजपा के विरोध में प्रमुखता से दिखाई देने वाली दो बड़ी ताक़तें कांग्रेस और टीएमसी के बीच सबकुछ ठीक नहीं दिखाई दे रहा है। इसके पीछे क्या अहम कारण हैं, आइए समझते हैं।
पश्चिम बंगाल में एकमात्र कांग्रेस विधायक बायरन बिस्वास सोमवार (29 मई) को सत्तारूढ़ टीएमसी में शामिल हो गए। इसके बाद कांग्रेस ने कहा कि टीएमसी ने उनके विधायक को बहकाया है और यह पूरी तरह से विश्वासघात है जो विपक्षी एकता को कमजोर करेगा और भाजपा को मजबूत करेगा।
जयराम रमेश का ट्वीट और TMC का जवाब
इस मामले को लेकर कांग्रेस के मीडिया प्राभरी जयराम रमेश ने ट्वीट कर कहा, ‘ऐतिहासिक जीत में कांग्रेस विधायक के रूप में चुने जाने के तीन महीने बाद बायरन बिस्वास को पश्चिम बंगाल में टीएमसी द्वारा लुभाया गया है। यह सागरदिघी विधानसभा क्षेत्र की जनता के जनादेश के साथ पूर्ण रूप से विश्वासघात है। गोवा, मेघालय, त्रिपुरा और अन्य राज्यों में पहले हो चुकी इस तरह की खरीद-फरोख्त विपक्षी एकता को मजबूत करने के लिए नहीं की गई है और यह केवल भाजपा के उद्देश्यों को पूरा करती है’।
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव-2021 में कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली थी। इस साल सागरदिघी उपचुनाव के नतीजे घोषित होने पर कांग्रेस ने अपना खाता खोला था। बायरन बिस्वास ने तृणमूल के देबाशीष बनर्जी को हराकर जीत हासिल की थी। उनकी जीत के बाद ममता बनर्जी खासी नाराज़ दिखाई दी थी और उन्होने कांग्रेस और वाम दलों पर काफी प्रहार किए थे।
उपचुनाव के परिणाम के बाद ममता बनर्जी ने घोषणा की थी कि वह 2024 के राष्ट्रीय चुनावों के लिए कांग्रेस के साथ कोई गठबंधन नहीं करने वाली हैं। हालांकि उनका रुख कर्नाटक विधानसभा चुनाव के परिणाम के बाद थोड़ा नरम हुआ है लेकिन अब फिरसे इसके उबाल मारने का अंदेशा जताया जा रहा है। जयराम रमेश के ताज़ा ट्वीट का टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने जवाब देते हुए कहा कि ममता बनर्जी के समर्थन के बावजूद कांग्रेस बंगाल में ममता बनर्जी से लड़ने की कसम खा चुकी है।
कब-कब दिखाई दी है दोनों दलों में दूरी
इस मुद्दे के अलावा भी कई मौके ऐसे आए हैं जब कांग्रेस और टीएमसी के बीच सबकुछ ठीक नहीं दिखाई दिया है। केंद्र सरकार द्वारा ईडी और सीबीआई के मिसयूज पर जब टीएमसी की ओर से प्रधानमंत्री को लेटर लिखा गया तब लेटर पर सबके हस्ताक्षर मौजूद थे लेकिन कांग्रेस नदारद थी। जब कांग्रेस ने संसद से ED ऑफिस तक मार्च किया था तब भी टीएमसी नदारद दिखाई डी थी। जहां कांग्रेस सत्ता पर ED, CBI के दुरुपयोग का इल्ज़ाम लगती रही है वहीं टीएमसी इस मुद्दे पर बहुत ज़्यादा मुखर नहीं दिखाई दी ही।