तृणमूल कांग्रेस नेत्री महुआ मोइत्रा संसद में दिये गये अपने भाषणों के लिए खास तौर पर जानी जाती हैं। साथ ही वे अपनी पार्टी का दमदार तरीके से पक्ष भी रखती हैं। महुआ मोइत्रा उन नेताओं में गिनी जाती हैं जिनके भाषण आमतौर पर सोशल मीडिया पर वायरल रहते हैं। हालांकि महुआ मोइत्रा ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया था कि क्यों वे सोशल मीडिया से दूर रहती हैं और ज्यादा एक्टिव नहीं रहती? महुआ मोइत्रा ने कहा कि सोशल मीडिया अभिव्यक्ति की आजादी के लिए तो सही मंच है लेकिन इस मंच का इस्तेमाल कई राजनीतिक दल अपने विरोधियों को सुनियोजित तरीके से ट्रोल करने के लिए करते हैं।

नेत्री ने बताया था कि राजनीतिक दल सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने, विरोधियों को ट्रोल करने के लिए काफी पैसा बहा रहे हैं। ऐसे में इन ट्रोल्स को जवाब देने से बेहतर है कि आप उन्हें नजरअंदाज करो। महुआ मोइत्रा ने बताया था कि वे ट्रोल्स के पीछे अपना समय बर्बाद नहीं करना चाहती हैं। मालूम हो कि महुआ मोइत्रा ने न्यूयॉर्क और लंदन में जेपी मॉर्गन चेस के लिए एक निवेश बैंकर के रूप में काम किया हुआ है। बाद में राजनीति में आने के लिए उन्होंने 2009 में अपनी नौकरी छोड़ दी थी। उन्होंने अपनी राजनीति की शुरुआत कांग्रेस पार्टी से की थी। 2010 में, महुआ कांग्रेस छोड़ तृणमूल कांग्रेस में चली गईं। वह 2016 में हुए पश्चिम बंगाल विधान सभा चुनावों में करीमपुर सीट से चुनी गईं। इस समय वे पश्चिम बंगाल की कृष्णानगर लोकसभा सीट से सांसद हैं।

महुआ मोइत्रा और विवाद: बता दें कि 2017 में मोइत्रा ने भारतीय जनता पार्टी के सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री बाबुल सुप्रियो के खिलाफ एक टीवी डिबेट के दौरान कथित तौर पर “अपमान करने” के लिए पुलिस शिकायत दर्ज की थी। शिकायत को बाद में कलकत्ता हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया था। इसके कुछ दिनों बाद, बाबुल सुप्रियो ने मोइत्रा और टीएमसी सांसद सौगत रॉय और तापस पॉल के खिलाफ रोज वैली पोंजी फर्म घोटाले में सुप्रियो का नाम घसीटने और बदनाम करने के लिए कानूनी नोटिस भेजा था।

यही नहीं, ज़ी मीडिया के खिलाफ अपमानजनक बयान देने के लिए मोइत्रा के खिलाफ मानहानि का मुकदमा दायर किया गया था। मामले में मोइत्रा को जमानत दे दी गई थी और मामले में दिल्ली की एक अदालत में उन पर मुकदमा चल रहा है।