UP CM Yogi Delhi: उत्तर प्रदेश जैसे राजनीतिक रूप से बेहद महत्वपूर्ण और भारत के सबसे बड़े राज्य में बीजेपी के लिए प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव करना आसान नहीं है। बीजेपी दलित, सवर्ण, ओबीसी और इनमें से भी प्रमुख जातियों के वोटों के समीकरण और क्षेत्रीय समीकरणों को लेकर माथापच्ची कर रही है।
पिछले कई महीनों से भूपेंद्र चौधरी की जगह कौन लेगा, इसे लेकर बीजेपी का शीर्ष नेतृत्व पार्टी के फ्रंटल संगठनों, संगठन के तमाम पदाधिकारियों, RSS के स्वयंसेवकों से भी राय शुमारी कर चुका है।
माना जा रहा है कि आने वाले कुछ ही दिन के अंदर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष को लेकर बड़ा फैसला हो सकता है। ऐसे वक्त में जब इस बात को लेकर जबरदस्त चर्चा है कि यूपी में पार्टी किसे प्रदेश अध्यक्ष बनाएगी, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का दिल्ली दौरा बेहद अहम है।
पीएम मोदी, जेपी नड्डा और शाह से मुलाकात कर सकते सीएम योगी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का आज दिल्ली में हैं। ऐसे में वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मिल सकते हैं। ऐसे में समझा जा सकता है कि उनका यह दिल्ली दौरा कितना अहम है। निश्चित रूप से इसमें योगी आदित्यनाथ प्रदेश अध्यक्ष के पद को लेकर अपनी पसंद पार्टी नेतृत्व को जरूर बताएंगे।
यूपी में दो साल बाद होना है विधानसभा चुनाव
यूपी में बीजेपी द्वारा अभी तक अगले प्रदेश अध्यक्ष की घोषणा नहीं की गई है और इस वजह से इसे लेकर चर्चाएं तेज हैं। सूत्रों के मुताबिक, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के बाद ही इसका भी फैसला होगा। ऐसा इसलिए क्योंकि यूपी का मामला बहुत पेचीदा हो गया है। लोकसभा चुनाव में बीजेपी के खराब प्रदर्शन के बाद पार्टी हाईकमान कोई रिस्क लेने के मूड में नहीं है। इस वजह से जिसे भी प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी दी जाएगी उसके सीएम योगी आदित्यनाथ से रिश्तों का भी ख्याल रखा जाएगा। बता दें, दो साल बाद यूपी में विधानसभा के चुनाव हैं।
यूपी भाजपा अध्यक्ष पद पर फैसला जल्द, जानें दलित, OBC या ब्राह्मण में किसका पलड़ा भारी
एक खास बात यह भी है कि यूपी में बीजेपी जिस प्रदेश अध्यक्ष के साथ लोकसभा चुनाव में उतरती है, उसके साथ विधानसभा का चुनाव नहीं लड़ते हैं। सालों से यही परंपरा रही है। इसीलिए माना जा रहा है कि वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी रिपीट नहीं होंगे। जैसे पड़ोसी राज्य उत्तराखंड में महेन्द्र भट्ट को दोबारा अध्यक्ष बना दिया गया है। यूपी में इसकी संभावना दूर दूर तक नहीं है। सवाल ये है कि यूपी में चुनाव कब होगा! इतनी देरी क्यों! किस बात पर मामला फंस गया है! मतलब ये है कि यूपी बीजेपी का नया अध्यक्ष कब चुना जाएगा?
क्या सीएम योगी से रिश्ते को लेकर फंसा यूपी बीजेपी अध्यक्ष का चुनाव
दिल्ली से लेकर लखनऊ तक के सूत्र बता रहे हैं कि पहले बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव होगा और फिर यूपी के प्रदेश अध्यक्ष का फैसला होगा। मतलब ये है कि यूपी बीजेपी अध्यक्ष के चुनाव में कई सारे पेंच हैं। जिसमें- नया अध्यक्ष किस बिरादरी का हो। हालांकि, बीजेपी ओबीसी, दलित और ब्राह्मण चेहरे पर भी फोकस कर रही है,लेकिन सबसे ज्यादा संभावना ओबीसी चेहरे को लेकर है। सवाल यह भी है कि यूपी बीजेपी का नया अध्यक्ष पूर्वांचल का हो या फिर पश्चिमी यूपी से और सीएम योगी से उस नेता के रिश्ते कैसे हैं।
लोकसभा चुनाव में बीजेपी को उठाना पड़ा नुकसान
भाजपा नेताओं का एक गुट चाहता है कि पीएम नरेन्द्र मोदी खुद ओबीसी हैं तो ऐसे में किसी ब्राह्मण नेता को यूपी का अध्यक्ष बनाया जाए, लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव के नतीजों ने पार्टी के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। उस चुनाव में बीजेपी और उसके सहयोगी दल मिल कर 36 सीट ही जीत पाए। इनमें बीजेपी के 33, आरएलडी के 2 और अपना दल के एक सांसद हैं। साल 2019 के मुकाबले एनडीए को 28 सीटों का नुकसान हुआ, जबकि PDA के फार्मूले से समाजवादी पार्टी ने अब तक का सबसे बढ़िया प्रदर्शन किया। उसे 37 सीटें मिली। पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी को यूपी में 41.4% वोट मिले। जबकि 2019 के चुनाव में 49.6% वोट मिले थे। मतलब बीजेपी का वोट शेयर करीब आठ फीसदी कम हो गया।
यूपी में बसपा कमजोर, सपा और बीजेपी के बीच होगा सीधा मुकाबला
उत्तर प्रदेश में बसपा लगातार कमजोर होती गई। ऐसे में अगले विधानसभा चुनाव में अधिकतर सीटों पर समाजवादी पार्टी और बीजेपी का सीधा मुकाबला हो सकता है। माना जा रहा है कि सपा चीफ अखिलेश यादव इस बार मुस्लिम यादव के बदले पिछड़ों और दलितों को अधिक टिकट देने के मूड में हैं। ऐसे में बीजेपी को भी अपना सामाजिक समीकरण फिर से सेट करना होगा।
इस हिसाब से गैर यादव ओबीसी नेता ही अध्यक्ष के लिए सबसे बेहतर हो सकते हैं। पिछले लोकसभा चुनाव में पटेल, कुर्मी, सैनी और शक्य बिरादरी का एक बड़ा तबका बीजेपी से छिटक गया था। निषाद पार्टी से गठबंधन के बाद भी इस जाति के भी एक हिस्से ने समाजवाद पार्टी को वोट किया।
दूसरा मसला सीएम योगी आदित्यनाथ का है। दोनों डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक से उनके रिश्ते अच्छे नहीं है। पार्टी के वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी थे साथ भी योगी का वही संबंध है। ऐसे में उस नेता को ये ज़िम्मेदारी दी जाएगी जिनके योगी से रिश्ते बेहतर हों। वहीं, बीजेपी के नए अध्यक्ष के चुनाव में देरी क्यों हो रही है। पढ़ें…पूरी खबर।