Maharashtra Politics: 2024 के आखिर में हुए महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों में बीजेपी की लीडरशिप वाले महायुति गठबंधन प्रचंड बहुमत हासिल किया था लेकिन 6-7 महीने बाद अब राज्य में सियासत बदल गई है। राज्य में अलग-अलग क्षेत्रों में निकाय चुनाव होने हैं। बीजेपी की प्लानिंग अहम है, क्योंकि महायुति के सहयोगियों के बीच बेचैनी और उनके बीच विवाद भी है। दूसरी ओर पार्टी ज़मीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं से पॉजिटिव रिस्पॉन्स मिल रहा है।
सूत्रों के अनुसार, पार्टी की स्टेट यूनिट ने बीएमसी में तो महायुति के साथ लड़ने की बात कही है लेकिन अन्य इलाकों में कार्यकर्ताओं द्वारा मिले रिस्पॉन्स की वजह से केंद्रीय नेतृत्व के सामने अकेले चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है। इस सप्ताह की शुरुआत में, मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और राज्य बीजेपी प्रमुख रवींद्र चव्हाण ने इस मुद्दे पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ अलग-अलग बैठकें कीं थीं। माना जा रहा है कि इसमें लोकल बॉडी इलेक्शन अहम मुद्दा रहे थे।
सीएम फडणवीस ने अमित शाह से क्या कहा?
एक वरिष्ठ बीजेपी नेता ने नाम न बताने की शर्त पर इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि सीएम फडणवीस और चव्हाण ने शाह को बताया कि 29 नगर निगमों में महायुति के सहयोगियों के बीच गठबंधन की संभावना नहीं है। यह भी बताया गया कि तीनों दल शिवसेना (यूबीटी) से बीएमसी छीनने के लिए मिलकर काम कर सकते हैं।”
पुणे, नागपुर, पिंपरी-चिंचवाड़, कल्याण-डोंबिवली, नासिक, सोलापुर और अमरावती जैसी जगहों पर बीजेपी की इकाइयों से मिली प्रतिक्रिया यह है कि पार्टी को अकेले चुनाव लड़ना चाहिए, क्योंकि तर्क यह है कि हाल के दिनों में “सार्वजनिक दुर्व्यवहार” के आरोपों का सामना कर रहे सहयोगियों के साथ गठबंधन करने से पार्टी की संभावनाओं को नुकसान पहुंच सकता है। एक सूत्र ने कहा कि सहयोगी दलों के मंत्रियों पर लगे भ्रष्टाचार और कदाचार के आरोप भाजपा की संभावनाओं पर प्रतिकूल प्रभाव डालेंगे और इसलिए, हम चुनावों में सहयोगियों से दूरी बनाए रखने के इच्छुक हैं।
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शिवसेना और एनसीपी में आंतरिक टकराव
हाल ही में शिवसेना के मंत्री संजय शिरसाट और एनसीपी के मंत्री माणिकराव कोकाटे विवादों के केंद्र में रहे। जहां शिरसाट ने एक वीडियो में पैसों से भरा बैग लिए देखे जाने के बाद विवाद खड़ा कर दिया, वहीं कोकाटे ने सरकार को भिखारी कहकर विवाद खड़ा कर दिया और बाद में विधानसभा में मोबाइल फ़ोन पर ताश खेलते देखे गए। इसके अलावा तीनों सत्तारूढ़ सहयोगियों के नेताओं के बीच भी असहज समीकरण हैं। अधिक जवाबदेही और पारदर्शिता सुनिश्चित करने” के लिए मंत्रियों के सहयोगियों की नियुक्ति के लिए कड़े मानदंड निर्धारित करने का फडणवीस का फ़ैसला शिवसेना के मंत्रियों को रास नहीं आया है।
पिछले साल के विधानसभा चुनावों में बीजेपी के मज़बूत प्रदर्शन ने सभी को चौंका दिया है। उसने महायुति की 235 सीटों में से 132 सीटें जीती थीं। शिवसेना ने 57 और एनसीपी 41 है। उसके लक्ष्य को भी स्थानीय निकाय चुनावों के लिए गठबंधन बनाने में उसके स्थानीय नेताओं की अनिच्छा के कारणों के रूप में देखा जा रहा है।
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शिवसेना के क्षेत्र में इतना ज्यादा टकराव?
बीजेपी और शिवसेना के बीच कोंकण क्षेत्र में पहले से ही टकराव चल रहा है, जिसे शिवसेना का गढ़ माना जाता है। शनिवार को शिवसेना के मंत्री उदय सामंत और बीजेपी नेता नितेश राणे के बीच वाकयुद्ध छिड़ गया, जब नितेश राणे ने दावा किया कि सिंधुदुर्ग में उनकी पार्टी का ज़्यादा प्रभाव है और यह शिंदे पर निर्भर है कि वे इस क्षेत्र की 60-70% सीटें बरकरार रखें या नहीं। सामंत के बयान पर राणे ने प्रतिक्रिया दी और शिवसेना को अकेले चुनाव लड़ने की चुनौती दी।
कुछ ऐसा ही टकराव ठाणे में भी है, जिसे शिंदे का गढ़ माना जाता है, जहां दोनों दलों के ज़िला-स्तरीय नेता एकजुट होने को तैयार नहीं हैं। बीजेपी नेताओं का दावा है कि उप-मुख्यमंत्री ने तालमेल नहीं बिठाया है और उन्होंने अपने राज्य नेतृत्व के सामने यह मुद्दा बार-बार उठाया है। फडणवीस के गृहनगर नागपुर में भूमिकाएं उलटी नज़र आ रही हैं, जहां बीजेपी ज्यादा प्रभावशाली है। यहां बीजेपी पर सहयोगियों को साथ न लाने का आरोप लगाया जा रहा है।
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एनसीपी के साथ भी है टकराव
इसी तरह पुणे, पिंपरी-चिंचवाड़ और पश्चिमी महाराष्ट्र के अन्य इलाकों को एनसीपी का गढ़ माना जाता है। यहां शरद पवार की पार्टी पीछे हटने को तैयार नहीं दिख रही है। एनसीपी के एक अंदरूनी सूत्र ने कहा कि हम यहां मज़बूत स्थिति में हैं और सहयोगियों को कोई जगह नहीं देना चाहेंगे। अजित पवार इस क्षेत्र में पार्टी की बढ़त बनाए रखने के लिए काम करेंगे। स्थानीय निकाय चुनावों में गठबंधन स्थानीय समीकरणों से प्रेरित होते हैं।
हालांकि फडणवीस ने कहा है कि तीनों सत्तारूढ़ दल स्थानीय निकाय चुनावों में गठबंधन बनाने की कोशिश करेंगे और जहां यह संभव नहीं होगा, वहां “दोस्ताना लड़ाई लड़ेंगे। राज्य में लंबे समय से लंबित स्थानीय निकाय चुनाव अक्टूबर-नवंबर में होने हैं क्योंकि मई में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को चार महीने के भीतर चुनाव प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दिया था।
2017 में 2,736 सीटों के लिए हुए पिछले स्थानीय निकाय चुनावों में बीजेपी ने 1,099 सीटें जीती थीं, जबकि शिवसेना ने 489 सीटें जीती थीं। कांग्रेस 439 सीटों के साथ तीसरे स्थान पर रही और एनसीपी ने 294 सीटें जीतीं। 227 सीटों के लिए हुए बीएमसी चुनावों में अविभाजित शिवसेना 84 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और बीजेपी 82 सीटों के साथ दूसरे स्थान पर रही। कांग्रेस, एनसीपी और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) ने क्रमशः 31, नौ और सात सीटें जीतीं।
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