CJI BR Gavai: सीजेआई बीआर गवई ने रविवार को एक कार्यक्रम में कहा कि न तो न्यायपालिका, न ही कार्यपालिका और न ही संसद सर्वोच्च है, बल्कि भारत का संविधान सुप्रीम है और तीनों अंगों को संविधान के अनुसार काम करना है। इस सप्ताह की शुरुआत में 52वें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के रूप में शपथ लेने वाले जस्टिस गवई ने यहां बार काउंसिल महाराष्ट्र एवं गोवा द्वारा आयोजित अभिनंदन समारोह तथा राज्य वकीलों के सम्मेलन को संबोधित करके हुए यह बात कही।
चीफ जस्टिस ने कहा कि उन्हें खुशी है कि देश न केवल मजबूत हुआ है, बल्कि सामाजिक और आर्थिक मोर्चों पर भी विकसित हुआ है और यह जारी है। सीजेआई ने कहा कि न तो न्यायपालिका, न ही कार्यपालिका और न ही संसद सर्वोच्च है, बल्कि भारत का संविधान सुप्रीम है और तीनों अंगों को संविधान के अनुसार काम करना है।
जस्टिस गवई ने इस बात पर जोर दिया कि देश का बुनियादी ढांचा मजबूत है और संविधान के तीनों स्तंभ समान हैं। उन्होंने कहा कि संविधान के सभी अंगों को एक-दूसरे के प्रति उचित सम्मान प्रदर्शित करना चाहिए। इस कार्यक्रम के दौरान जस्टिस गवई द्वारा सुनाए गए 50 उल्लेखनीय निर्णयों पर आधारित एक पुस्तक का विमोचन भी किया गया।
‘मैं कानून के शासन को बनाए रखने की कोशिश करूंगा’
इससे एक दिन पहले 17 मई को नई दिल्ली में सीजेआई बी आर गवई ने संविधान और कानून के शासन को बनाए रखने के लिए अपनी अटूट प्रतिबद्धता की पुष्टि की।
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बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) द्वारा अपने सम्मान में आयोजित एक समारोह में गवई ने यह सुनिश्चित करने पर जोर दिया कि संवैधानिक वादे भारतीय समाज के व्यापक वर्ग तक पहुंच सकें। उन्होंने कहा कि मैं केवल इतना कह सकता हूं कि मेरे पास जो भी छोटा सा कार्यकाल है, मैं कानून के शासन को बनाए रखने तथा भारत के संविधान को बनाए रखने की अपनी शपथ पर कायम रहने की पूरी कोशिश करूंगा।
बता दें, 14 मई को जस्टिस बीआर गवई ने भारत के 52वें सीजीआई के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें शपथ दिलाई। सीजीआई संजीव खन्ना का कार्यकाल 13 मई को खत्म हो गया था।
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