Gujarat Riots : गुजरात के नरोदा गांव (गाम) दंगा मामले में अहमदाबाद की स्पेशल कोर्ट ने बाबू बजरंगी, माया कोडनानी सहित 68 आरोपियों को बरी कर दिया है। इस मामले की सुनवाई SIT मामलों के विशेष जज एस के बक्शी कर रहे थे।  21 साल पहले हुए इन दंगों में 11 लोगों की जान चली गई थी। इस मामले में पूर्व भाजपा विधायक और गुजरात सरकार में मंत्री रहीं माया कोडनानी और बाबू बजरंगी समेत 82 लोग आरोपी थे। इन आरोपियों में से 18 की पहले ही मौत हो चुकी है। मामले में 21 साल बाद फैसला आया है।

कौन है माया कोडनानी?

गुजरात की भाजपा सरकार में मंत्री रही माया कोडनानी की पढ़ाई-लिखाई गुजरात के शहर डीसा में उनके पिता द्वारा चलाए जा रहे एक गुजराती-माध्यम स्कूल में हुई। माया कोडनानी ने बड़ौदा मेडिकल कॉलेज में भी पढ़ाई की और अपने शुरुआती दिनों में वह आरएसएस की महिला शाखा राष्ट्रीय सेविका समिति की सदस्य बन गयी थीं। उन्होंने बड़ौदा मेडिकल कॉलेज स्त्री रोग में डिप्लोमा के बाद एमबीबीएस किया। बाद में वह अहमदाबाद चली गईं और नरोदा के कुबेरनगर में शिवम मातृत्व अस्पताल की शुरुआत करने में अपना योगदान दिया।

माया कोडनानी को 1995 में भाजपा ने सैजपुर वार्ड से अहमदाबाद निकाय चुनाव में उतारा था। यह उनके राजनीतिक जीवन की शुरुआत थी। उन्होने इस चुनाव में जीत हासिल की और बाद में उन्हें नागरिक स्वास्थ्य समिति का उपाध्यक्ष बनाया गया। फिर वह इसकी अध्यक्ष बनाई गईं। अपने पहले विधानसभा चुनाव में माया कोडनानी ने 1 लाख से ज़्यादा वोट से जीत हासिल की थी। वह 2007 में मोदी सरकार के दौरान गुजरात में मंत्री भी बनाई गईं थी लेकिन उन्हें 2009 में नरोदा पाटिया केस में नाम आने के कारण इस्तीफा देना पड़ा था।

गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस में कारसेवकों पर हमले के एक दिन बाद 28 फरवरी, 2002 को मायान कोडनानी पर नरोदा पाटिया में मुसलमानों को मारने के लिए भीड़ को उकसाने का आरोप लगाया गया था। ग्यारह चश्मदीदों ने पूर्व मंत्री को अपनी कार से उतरते हुए देखने का दावा किया था हालांकि कोडनानी ने कहा था कि वह उस दिन के पहले भाग के दौरान विधानसभा सत्र में थीं। इन दंगों में 97 मुसलमान मारे गए थे।

कौन है बाबू बजरंगी?

बाबूभाई पटेल जिन्हें सरनेम बाबू बजरंगी के नाम से भी जाना जाता है। वह बजरंग दल के गुजरात-विंग के नेता रहे हैं और 2002 की गुजरात दंगों के दौरान भूमिका को लेकर उनका नाम काफी चर्चा में आया था। वह बजरंग दल की गुजरात इकाई के सदस्य रहे हैं। बाबू बजरंगी का नाम तब काफी चर्चा में आया था जब उन्हें एक स्टिंग ऑपरेशन के दौरान नरोदा पाटिया में पुरुषों, महिलाओं और बच्चों की हत्या में सक्रिय रूप से भाग लेने की बात कबूलते हुए सुना गया था।

इन दंगों में 97 लोगों की मौत हुई थी। बाबू बजरंगी को हत्या का दोषी पाया गया था और आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। 7 मार्च, 2019 को आखिरकार बजरंगी को मेडिकल आधार पर सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी थी।