Upasika Singhal
अयोध्या में 22 जनवरी को राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह का आयोजन किया गया था। इसमें सभी धर्मों के धर्मगुरुओं को आमंत्रित किया गया था। इमाम उमर अहमद इलियासी को भी आमंत्रित किया गया था और वह इसमें शामिल भी हुए थे। लेकिन इसके बाद उनके खिलाफ ‘फतवे’ का ऐलान कर दिया गया। अहमद इलियासी ऑल इंडिया इमाम ऑर्गनाइजेशन (AIIO) के चीफ हैं। ये संगठन देशभर में पांच लाख इमामों के प्रतिनिधित्व करने का दावा करता है। AIIO संघ और बीजेपी से नजदीकी के लिए भी जाना जाता है।
इलियासी के नाम जारी हो चुका है फतवा
2009 से ऑल इंडिया इमाम ऑर्गनाइजेशन के चीफ इमाम इलियासी का दावा है कि यूट्यूब चैनल चलाने वाले मुफ्ती साबिर हुसैन ने अयोध्या कार्यक्रम में शामिल होने के बाद उनके खिलाफ फतवा जारी किया है। इलियासी ने यह भी आरोप लगाया है कि उन्हें मुख्य इमाम पद से हटाने के लिए जान से मारने की धमकियां और परेशान करने वाले फोन कॉल आए। उनके बेटे सुहैब के अनुसार मौलवी को 2016 से सरकार द्वारा Y+ सुरक्षा प्रदान की गई है।
इलियासी ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि वह अपना ‘पैगाम-ए-मोहब्बत (प्यार का संदेश)’ व्यक्त करने के लिए प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल हुए और उन्होंने जोर देकर कहा कि उनके कार्य धार्मिक भावनाओं से नहीं बल्कि मानवता के प्रति प्रेम से प्रेरित थे। इलियासी ने कहा, “हम सभी पहले इंसान हैं और हमारी मानवता हमारा चरित्र है। कोई अच्छा मुसलमान या अच्छा हिंदू तभी हो सकता है जब वह एक अच्छा इंसान हो। लोगों की अलग-अलग जातियां हो सकती हैं, उनकी पूजा के तरीके अलग-अलग हो सकते हैं, हमारी आस्थाएं अलग-अलग हो सकती हैं, लेकिन सबसे बड़ा धर्म मानवता होना चाहिए।”
इलियासी ने यह भी कहा कि वह राष्ट्र के प्रति कर्तव्य लिए अयोध्या समारोह में भाग लेने गए थे। उन्होंने कहा, “राष्ट्र ने बहुत कुछ दिया है। इसलिए हमें भी राष्ट्र को वापस देना चाहिए। हमें हिंदू या मुस्लिम से अपनी पहचान नहीं बनाना चाहिए, बल्कि पहले खुद को भारतीय के रूप में पहचानना चाहिए। मैं वहां राष्ट्रीय हित और सांप्रदायिक सद्भाव के लिए गया था।”
पीएम मोदी से भी कर चुके हैं मुलाकात
इलियासी ने कहा कि फतवे का कोई कानूनी महत्व नहीं है और इसे लागू नहीं किया जा सकता क्योंकि भारत एक इस्लामिक देश नहीं है। इलियासी ने कई मौकों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बातचीत की है। वह 2015 में मुस्लिम नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा भी थे और उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से भी मुलाकात की है। उन्होंने जगदीश वासुदेव (सद्गुरु) और श्री श्री रविशंकर जैसे आध्यात्मिक नेताओं के साथ भी बैठकें की हैं।
2015 में पीएम मोदी के साथ अपनी मुलाकात पर इलियासी ने कहा, ”हमने पीएम से कहा कि जब वह मन की बात करते हैं, तो हम उन्हें अपने दिल की बात बताने आए हैं। जब वह मेक इन इंडिया की बात कर रहे थे तो हमारी चिंताएं कैसे थीं, कुछ लोग भारत को बर्बाद करने की बात कर रहे थे। उन्होंने मुझसे कहा कि मैं तुम्हें अपनी बात कहता हूं। अगर तुम रात को 12 बजे मेरा दरवाजा खटखटाओगे तो मैं जवाब दूंगा। उन्होंने हमें आश्वासन दिया कि वह हर भारतीय के लिए जिम्मेदार हैं।”
जून 2016 में इलियासी ने तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मिलने के लिए एक प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया था, जिसमें सुरक्षा कर्मियों द्वारा मारे गए नागरिकों पर विरोध प्रदर्शन के बाद जम्मू-कश्मीर में शांति का आह्वान किया गया था। उन्होंने तब कहा था, “कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है। हमने राजनाथ सिंह से मुलाकात की और हमने प्रस्ताव रखा कि हम चाहते हैं कि कश्मीर में शांति हो।”
मोहन भागवत को कहा था राष्ट्रपिता
सितंबर 2022 में इलियासी उन कई मुस्लिम बुद्धिजीवियों में से थे, जिन्होंने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात की थी। हालांकि बैठक के बाद उनके द्वारा मोहन भागवत को ‘राष्ट्र पिता’ कहने पर उनकी आलोचना हुई। आरएसएस के कदम पर सवाल उठाते हुए ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) के सदस्य कासिम रसूल इलियास ने तब द इंडियन एक्सप्रेस से कहा था कि अगर मोहन भागवत और आरएसएस वास्तव में मुस्लिम समुदाय तक पहुंचना चाहते हैं, तो उन्हें उन संगठनों से संपर्क करना होगा, जिनका वास्तव में प्रभाव (जैसे एआईएमपीएलबी या जमीयत उलेमा-ए-हिंद या जमात-ए-इस्लामी) है।
विभिन्न मुस्लिम संगठनों के कई सदस्यों ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि इलियासी की समुदाय के भीतर कम प्रतिष्ठा है। उनमें से एक ने आरोप लगाया कि इलियासी मान्यता प्राप्त इस्लामी विद्वान भी नहीं हैं। एक अन्य ने कहा कि वह हमेशा लाभ के लिए सरकार समर्थक रहे हैं।