West Bengal News: पश्चिम बंगाल की राजनीति में सत्ताधारी पार्टी TMC के अंदर शहरी विकास मंत्री फिरहाद हकीम को लेकर कहा जाता है कि वे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के सबसे भरोसेमंद सहयोगी यानी लेफ्टिनेंट हैं। ममता बनर्जी उन पर सबसे ज्यादा विश्वास करती हैं और वह पार्टी में एक अहम अल्पंसख्यक नेता के तौर पर जाने जाते हैं। हालांकि ‘मुस्लिम बहुसंख्यक’ वाला बयान देकर हाल के दिनों में हकीम सार्वजनिक विमर्श का विषय बन गए हैं।
दरअसल, 14 दिसंबर को सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हुआ था। वीडियो में ममता के करीबी और मंत्री फिरहाद हकीम यह कहते हुए सुनाई दे रहे थे कि हम एक ऐसे समुदाय से हैं जो पश्चिम बंगाल की आबादी का 33 प्रतिशत हिस्सा है। हालांकि, भारत में, हम 17 प्रतिशत हैं। इस वीडियो में हकीम मुस्लिम समाज की बात कर रहे थे।
फिरहाद हकीम ने कही थी मुस्लिमों के बहुसंख्यक होने की बात
पश्चिम बंगाल के मंत्री फिरहाद हकीम ने कहा कि हमें अल्पसंख्यक समुदाय कहा जाता है, लेकिन हम खुद को अल्पसंख्यक नहीं मानते। हमारा मानना है कि अगर अल्लाह का रहमत हुई तो हम यानी मुस्लिम समाज एक दिन बहुसंख्यक से भी बड़े बहुसंख्यक बन सकते हैं। हकीम के इस बयान पर पश्चिम बंगाल में काफी विवाद हुआ और सवाल ममता बनर्जी का नाम लेकर उठाए गए।
ममता के मंत्री ने कही थी ताकत बढ़ाने की बात
फिरहाद हकीम ने कथित तौर पर यह भी कहा कि यह अल्लाह की कृपा होगी और हम अपनी ताकत से इसे हासिल करेंगे। जब भी कुछ होता है, तो हमारा समुदाय मोमबत्ती जलाकर मार्च निकालता है और कहता है, कि हमें न्याय चाहिए। न्याय के लिए मार्च निकालने से कुछ नहीं होगा, अपना कद इतना ऊंचा करो कि तुम न्याय की मांग करने के बजाय न्याय दिला सको।
ममता को पंसद नहीं आया फिरहाद हकीम का बयान
टीएमसी ने ममता बनर्जी के इस लेफ्टिनेंट यानी फिरहाद हकीम की हालिया मुस्लिम बहुसंख्यक वाले बयान से किनारा कर लिया और उकी आलोचना भी की है। इंडियन एक्सप्रेस ने पार्टी सूत्रों के हवाले से बताया कि ममता के निर्देश पर उन्हें कुछ दिनों के लिए आधिकारिक कार्यक्रमों से दूर रहने के लिए भी कहा गया है।
टीएमसी के एक नेता ने तो यह तक कह दिया है कि ममता बनर्जी फिरहाद हकीम के इस बयान से काफी नाराज भी हैं। ममता बनर्जी की उनके बयान पर नाराजगी बता रही है कि चार बार के विधायक फिरहाद हकीम के लिए राजनीतिक मुश्किलें बढ़ रही है।
जेल से छूटे TMC नेता तो बढ़ी ममता और बीजेपी दोनों की परेशानी?
पार्टी की नाराजगी के चलते दी सफाई
टीएमसी ने भी हकीम की टिप्पणी की निंदा करते हुए कहा कि उनके विचार पार्टी की स्थिति या विचारधारा का हिस्सा कतई नहीं हैं। टीएमसी की तरफ से कहा गया कि शांति, एकता और सांप्रदायिक सद्भाव के प्रति हमारी प्रतिबद्धता अटूट है। बंगाल के सामाजिक ताने-बाने को खतरा पहुंचाने वाली किसी भी टिप्पणी का सख्त जवाब दिया जाएगा। बढ़ते विवाद के बीच, हकीम ने कथित तौर पर कहा कि मैं एक कट्टर धर्मनिरपेक्ष और देशभक्त भारतीय हूं। कोई भी मेरे धर्मनिरपेक्ष मूल्यों और मेरे देश के प्रति प्रेम पर सवाल नहीं उठा सकता।
TMC पर BJP-कांग्रेस दोनों का हमला
फिरहाद हकीम पर निशाना साधते हुए मुख्य विपक्षी दल बीजेपी ने उनकी टिप्पणी को “खतरनाक” बताया और उन पर कथित तौर पर सांप्रदायिक नफरत भड़काने का आरोप लगाया। दूसरी ओर कांग्रेस ने यह भी आरोप लगाया कि टीएमसी धार्मिक कट्टरपंथियों के साथ घुलमिल रही है।
वहीं केंद्रीय मंत्री और राज्य बीजेपी प्रमुख सुकांत मजूमदार ने एक्स पर कहा कि कोलकाता के मेयर का यह शुद्ध जहर है। टीएमसी के फिरहाद हकीम खुलेआम सांप्रदायिक नफरत भड़का रहे हैं और एक खतरनाक एजेंडा आगे बढ़ा रहे हैं। यह सिर्फ एक नफरत भरा भाषण नहीं है, यह भारत में बांग्लादेश जैसी स्थिति पैदा करने का प्लान है। हमारा देश अपनी एकता और अखंडता के लिए इस तरह के खतरों को बर्दाश्त नहीं करेगा।
बांग्लादेश में हिंसा के खिलाफ बंगाल में विरोध प्रदर्शन
भ्रष्टाचार से लेकर विवादित बयानों के लिए चर्चित हैं हकीम
बंगाल में दो साल से अधिक समय तक पत्रकार मैथ्यू सैमुअल द्वारा एक स्टिंग ऑपरेशन किया गया था, जिसे 2016 के राज्य विधानसभा चुनावों से पहले नारद न्यूज नामक वेबसाइट द्वारा चलाया गया था। अपने स्टिंग ऑपरेशन के तहत सैमुअल ने इम्पेक्स कंसल्टेंसी सॉल्यूशंस नाम से एक काल्पनिक कंपनी बनाई और कई टीएमसी मंत्रियों, सांसदों और नेताओं से संपर्क कर उनसे पैसे के बदले में मदद मांगी।
सैमुअल और उनके सहयोगी एंजेल अब्राहम द्वारा फिल्माए गए 52 घंटे के फुटेज में तत्कालीन टीएमसी सांसद – मुकुल रॉय, सौगत रॉय, काकोली घोष दस्तीदार, प्रसून बनर्जी, सुवेन्दु अधिकारी, अपरूपा पोद्दार और सुल्तान अहमद और तत्कालीन राज्य मंत्री, मदन मित्रा, सुब्रत मुखर्जी, फिरहाद हकीम और इकबाल अहमद, को इम्पेक्स कंसल्टेंसी सॉल्यूशंस के लिए अनौपचारिक पक्ष लेने के बदले में कथित तौर पर नकदी के रूप में रिश्वत लेते हुए देखा गया था।
इस घोटाले में हकीम समेत अन्य लोगों से CBI ने पूछताछ की थी और बाद में उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया था। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने कुछ दिनों बाद उन्हें जमानत दे दी थी। कुछ महीने पहले कोलकाता में अखिल भारतीय कुरान प्रतियोगिता में बोलते हुए हकीम ने कथित तौर पर कहा था कि जो लोग इस्लाम में पैदा नहीं हुए हैं वे बदकिस्मत हैं और इस धर्म को “गैर-मुसलमानों में फैलाया जाना चाहिए।
फिरहाद हकीम के इस बयान को लेकर भी उन्हें कई लोगों की आलोचना झेलनी पड़ी थी। बीजेपी ने इस पर विधानसभा में हंगामा किया और हकीम के इस्तीफे की मांग की। बाद में हकीम ने दावा किया कि उनकी टिप्पणी का गलत अर्थ निकाला गया है और उनका इरादा किसी को ठेस पहुँचाने का नहीं था। पश्चिम बंगाल की अन्य खबरें पढ़ने क लिए इस लिंक पर क्लिक करें।