कोरोना संकट के मद्देनजर टेस्टिंग बढ़ाने की दिशा में ड्राइव थ्रू टेस्टिंग सेंटर शुरू किए गए थे। इन सेंटर्स पर यात्रियों और ड्राइवर्स की कोरोना जांच कार में बैठे-बैठे ही कर ली जाती है। यह पूरी प्रक्रिया करीब 20 मिनटों में पूरी हो जाती है, जिसमें टेस्ट कराने वाले व्यक्ति को सैपलिंग के लिए वाहन से बाहर नहीं आना पड़ता। नतीजतन इस दौरान कोरोना की चपेट में मरीज के साथ फ्रंटलाइन वर्कर्स (डॉक्टर्स, नर्स और मेडिकल स्टाफ आदि) के आने की आशंका कम ही रहती है।

पहले किसने किया प्रयोग?: 26 फरवरी, 2020 को कोरोना को वैश्विक महामारी घोषित कर दिया गया था। दक्षिण कोरिया ने इसके बाद अपने यहां ड्राइव थ्रू टेस्ट स्टेशंस स्थापित किए। मकसद था- जल्दी और बड़े स्तर पर टेस्टिंग वह भी कोरोना के फैलाव को काबू करते हुए। मार्च में जब वहां केस बढ़ने लगे तो करीब 50 ऐसे सेंटर बनाए गए, जहां एक लाख से अधिक लोगों की जांच हुई। रिपोर्ट/रिजल्ट तीन दिन के भीतर वाया मैसेज/एसएमएस अलर्ट से भेजा जाता था।

…तो यहां से आया आइडियाः दक्षिण कोरिया के इस प्रयोग को लेकर दुनिया के कई देशों में उसकी तारीफ भी हुई है। यह विचार मैकडॉनल्ड्स और स्टारबक्स के ड्राइव-थ्रू काउंटरों से प्रेरित था। साउथ कोरिया के बाद ऐसे सेंटर्स अमेरिका, यूके, फ्रांस, इजराइल, दक्षिण अफ्रीका, आयरलैंड और स्पेन में स्थापित किए गए।

कैसे और किन चीजों की होती है जांच?: ये टेस्ट आमतौर पर कोरोना सेंटर/लैब के पार्किंग लॉट में होते हैं। ड्राइव थ्रू टेस्ट में रजिस्ट्रेशन, सिंपटम चेक, स्वैब सैंपलिंग, और कार को डिसइंफेक्ट करना शामिल रहता है। यह पूरी प्रक्रिया 10 से 30 मिनट का वक्त लेती है। यह चीज व्यक्ति/मरीज पर भी निर्भर करती है। हालांकि, यह जांच फिलहाल टैक्सी वालों और दोपहिया वाहन वालों के लिए नहीं है।

भारत में इन जगहों पर हैं ऐसे सेंटर्सः देश में पहला ऐसा कोरोना टेस्टिंग सेंटर दिल्ली के पंजाबी बाग इलाके में Dr Dang’s Lab (निजी लैब) द्वारा शुरू किया गया था, जिसे ICMR की मंजूरी मिलने के बाद चालू किया गया था। एक टेस्ट में यहां लगभग 20 मिनट का टाइम लगता है, जबकि दिन भर में लैब 30-50 मरीजों की जांच कर सकती है। मई में SRL Diagnostics ने ऐसे सेंटर्स चंडीगढ़ (पंजाब), गुरुग्राम (हरियाणा) और मुंबई (महाराष्ट्र) में स्थापित किए थे।

टेस्ट के लिए क्या चीजें लगती हैं?: पहला- सरकारी आईडी। मसलन, Aadhaar Card और Passport आदि। दूसरा- डॉक्टर का प्रिस्क्रिप्शन। तीसरा- मरीज का प्रफॉर्मा फॉर्म।