केंद्र और बंगाल सरकार के बीच विवाद जारी है। अब चीफ़ सेक्रेटेरी को दिल्ली बुलाये जाने को लेकर दोनों के बीच टकराव बढ़ने की संभावना है। ममता बनर्जी ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर कहा है कि वर्तमान परिस्थिति में उन्हें रिलीव करना संभव नहीं है। साथ ही आग्रह किया है कि उनके तबादले का आदेश वापस ले लिया जाए।

बताते चलें कि ममता बनर्जी की सरकार उन्हें रिलीव नहीं किया है। मुख्य सचिव अलापन बंद्योपाध्याय को केंद्र की तरफ से 31 मई की सुबह 10 बजे तक दिल्ली में रिपोर्ट करने का आदेश दिया गया था। लेकिन राज्य सरकार ने उन्हें अब तक रिलीव नहीं किया है। अलापन बंद्योपाध्याय आज मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में होने वाली बैठक में भी हिस्सा लेंगे। उस बैठक में यास चक्रवात और कोरोना महामारी से जुड़े मुद्दों पर चर्चा होनी है। इधर केंद्र के सख्त रूख को देखते हुए माना जा रहा है कि अलापन को रिलीव न करने पर बंगाल सरकार को केंद्र की तरफ से निर्देश जारी किया जा सकता है।

बताते चलें कि इस मुद्दे पर पूर्व शीर्ष नौकरशाहों और विधि विशेषज्ञों का मानना है कि केंद्र सरकार के लिए पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव अलापन बंद्योपाध्याय को सेवानिवृत्त होने के दिन दिल्ली बुलाने के अपने आदेश का अनुपालन कराना मुश्किल हो सकता है। क्योंकि राज्य सरकार अपने अधिकारों का प्रयोग करते हुए उन्हें कार्यमुक्त करने से इनकार कर सकती है। उल्लेखनीय है कि केंद्र ने बंद्योपाध्याय को दिल्ली बुलाने का आदेश चक्रवाती तूफान पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की बैठक को मुख्यमंत्री द्वारा महज 15 मिनट में निपटाने से उत्पन्न विवाद के कुछ घंटों के बाद दिया।

इससे कुछ दिन पहले राज्य में कोविड-19 महामारी से निपटने में मदद के लिए बंद्योपाध्याय का कार्यकाल तीन महीने के लिए बढ़ाने का केंद्रीय आदेश जारी किया गया था। भारत सरकार के पूर्व सचिव जवाहर सरकार ने कहा, ‘‘राज्य सरकार ऐसे तबादलों को नियंत्रित करने वाले अखिल भारतीय सेवा नियमावली को रेखांकित कर विनम्रता से जवाब दे सकती है।’’

उन्होंने कहा कि केंद्र के लिए एकतरफा तरीके से आईएएस या आईपीएस अधिकारी का तबादला करना मुश्किल है, जो उसके नियंत्रण में नहीं है बल्कि संघ के भीतर दूसरे सरकार के अधीन है। अखिल भारतीय सेवा के अधिकरियों की प्रतिनियुक्ति के नियम 6 (1) के तहत किसी राज्य के काडर के अधिकारी की प्रतिनियुक्ति केंद्र या अन्य राज्य या सार्वजनिक उपक्रम में संबंधित राज्य की सहमति से की जा सकती है।

(भाषा इनपुट के साथ)