पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) अध्यक्ष ममता बनर्जी की दिक्कतें बढ़ सकती हैं। ऐसा इसलिए, क्योंकि बंगालवासी सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के करीबी संगठन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में खासा दिलचस्पी दिखा रहे हैं। हाल ही में कुछ आरएसएस पदाधिकारियों ने दावा किया कि संघ का सदस्य बनने के ऑनलाइन जो आवेदन आ रहे हैं, उनके हिसाब से उत्तर प्रदेश के बाद सबसे ज्यादा प.बंगाल के लोग फॉर्म भर रहे हैं।

‘द प्रिंट’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, संघ की आधिकारिक वेबसाइट पर ‘ज्वॉइन आरएसएस’ पहल से जुड़ने के मामले में प.बंगाल साल 2017 में लगभग 7400 आवेदनों के साथ छठे पायदान पर था। 2018 में यह आंकड़ा बढ़कर करीब 9000 हो गया, पर इस साल 15 जुलाई तक ही 7700 से अधिक लोग रिक्वेस्ट भेज चुके हैं। हालांकि, इस मामले में सबसे आगे यूपी के लोगों ने सबसे अधिक रुचि दिखाई, जहां उसी समयकाल में आवेदकों का आंकड़ा 9392 रहा।

संघ में विभिन्न पदों पर आसीन अधिकारियों और कार्यकर्ताओं के हवाले से बताया गया कि प.बंगाल से हालिया आंकड़े बेहद प्रसन्न करने वाले हैं, क्योंकि सूबे में केवल दो ही आरएसएस की यूनिट हैं, जबकि यूपी में संघ ने खुद को छह यूनिट्स में विभाजित कर रखा है। एक अन्य पदाधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर न्यूज वेबसाइट से कहा, “आरएसएस से जुड़ने को लेकर आने वाले ऑनलाइन आवेदनों में इस साल अच्छी लहर देखने को मिली।” उनके मुताबिक, देश भर से आने वाले आवेदनों की संख्या 62 हजार से पार जा चुकी है, जबकि 2017 और 2018 में यह क्रमशः एक लाख व 1 लाख 10 हजार थी।

आरएसएस पदाधिकारियों के हवासे से आगे यह भी कहा गया कि संघ से जुड़ने के लिए यूपी और बंगाल (दूसरा) बाद सबसे अधिक रुचि क्रमशः महाराष्ट्र, कर्नाटक और दिल्ली के लोगों ने दिखाई। संघ में मीडिया रिलेशंस के ऑल इंडिया को-कन्वीनर नरेंद्र ठाकुर की मानें तो देश भर के लोग आरएसएस का हिस्सा बनने के लिए इच्छा जता रहे हैं। संघ की वेबसाइट पर इस बाबत सुविधा दी गई है और हमें उस पर अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है।

राजनीतिक जानकारों की मानें तो संघ का यह दावा बंगाल सीएम का सिरदर्द बढ़ा सकता है, क्योंकि लोकसभा चुनाव में टीएमसी की सीटें कम होना और कुछ दिन बाद दल के विभिन्न नेताओं का बीजेपी में शामिल होना, पहले ही बड़ी चिंता का विषय बना हुआ है। बता दें कि संघ उत्तरी बंगाल में दो दशकों से सक्रिय है, पर खासकर 2014 (नरेंद्र मोदी के पीएम बनने के बाद) के बाद वह उस इलाके और आसपास के क्षेत्र में तेजी से सक्रिय हुआ है। उत्तरी बंगाल में संघ की शाखाएं बढ़कर मोटा-मोटी 500 से आसपास पहुंच चुकी हैं।