पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव के बाद तृणमूल कांग्रेस (TMC) के बागियों का भारतीय जनता पार्टी (BJP) से मोहभंग होने लगा है। इस बीच, बीजेपी के कई कार्यकर्ता जनता के बीच माफी मांग कबूल रहे हैं कि उन्होंने भगवा पार्टी को गलत समझ लिया था। वे इस बात का ऐलान ई-रिक्शा पर घूम-घूमकर लाउडस्पीकर के जरिए करते हाल-फिलहाल में देखे गए।
बीरभूम जिला में लाभपुर, बोलपुर और सैंथिया से लेकर हुगली जिले के धनियाकली तक में भाजपा कार्यकर्ताओं ने इस तरह सार्वजनिक माफीमाना मांगा। हालांकि, भाजपा का आरोप है कि इस सार्वजनिक माफीनामे के पीछे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी की “डराने और धमकाने” वाली चाल है। बोलपुर वॉर्ड संख्या 18 में सार्वजनिक माफी के ऐलान के दौरान कहा गया, “बीजेपी ने समझा-बुझाकर किसी तरह मनाया था। पर वह फ्रॉड पार्टी है। हमारे पास ममता बनर्जी के अलावा और कोई विकल्प नहीं है और हम उनके विकास कार्यक्रम का हिस्सा बनने लगते हैं।”
मुकुल मंडल नाम के एक बीजेपी कार्यकर्ता ने बताया, “मैंने भाजपा को गलत समझा। हम टीएमसी में जाना चाहते हैं।” सैंथिया में तो बीजेपी के 300 कार्यकर्ता शपथ लेने के बाद टीएमसी में वापस लौट गए। इनमें से एक पूर्व बीजेपी युवा मोर्चा मंडल अध्यक्ष तपस साहा भी हैं। उन्होंने बताया, हम बीजेपी में गलती से चले गए। हम ममता के विकास कार्यों का समर्थन करने के लिए आज ही तृणमूल ज्वॉइन कर रहे हैं। मैं बीजेपी में कुछ नहीं कर सकता हूं। पर मैं तृणमूल में विकास कार्य में हिस्सा लेने के लिए जा रहा हूं।
धनियाखली में टीएमसी नेताओं से अपने अड़ियल और खराब बर्ताव के लिए सार्वजनिक तौर पर माफी मांगने के बाद कई बीजेपी कार्यकर्ताओं को नई पारी शुरू करने की मंजूरी दी गई। वहीं, हुगली में बीजेपी नेताओं ने दावा किया कि उनके कार्यकर्ताओं को टीएमसी ज्वॉइन करने के लिए दबाव बनाया गया है।
BJP के राजीव बनर्जी की TMC राज्य महासचिव से भेंटः भाजपा में शामिल होकर पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव लड़ने वाले राज्य के पूर्व मंत्री राजीव बनर्जी ने अपनी पुरानी पार्टी में वापसी की अटकलों के बीच शनिवार को तृणमूल कांग्रेस के राज्य महासचिव कुणाल घोष से मुलाकात की। पार्टी सूत्रों ने बताया कि बनर्जी शहर के उत्तरी क्षेत्र में स्थित घोष के आवास पर गए, जहां दोनों के बीच लंबी चर्चा हुई। यह घटनाक्रम भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुकुल रॉय के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की मौजूदगी में तृणमूल कांग्रेस में फिर से शामिल होने के एक दिन बाद सामने आया है। घोष ने बाद में संवाददाताओं से कहा कि यह शिष्टाचार के नाते मुलाकात थी।
दरअसल, राजीव बनर्जी ने हाल में सोशल मीडिया पोस्ट में अपने नये दल को चेतावनी दी थी कि ‘‘लोग भारी जनादेश से चुनी गयी सरकार के खिलाफ राष्ट्रपति शासन की धमकी को पसंद नहीं करेंगे।’’ जनवरी में तृणमूल कांग्रेस छोड़ने के बाद बनर्जी ने दावा किया था कि वह ऐसा करने के लिए बाध्य हुए क्योंकि तृणमूल नेताओं के एक वर्ग ने ‘‘उनके कामकाज के तौर तरीके को लेकर अपनी शिकायतें सामने रखने पर उन्हें अपमानित किया।’’ राजीव बनर्जी 2011 और 2016 में तृणमूल कांग्रेस की सरकार में मंत्री रहे थे। (पीटीआई-भाषा इनपुट्स के साथ)