Weather Update of 21 Feb 2023: उत्तर भारत में लोगों को फरवरी के महीने में ही दिन में सामान्य से ज्यादा गर्मी का एहसास होने लगा है। वहीं न्यूनतम तापमान भी सामान्य से ज्यादा दर्ज किया जा रहा है। राजधानी दिल्ली सोमवार को 17 साल बाद फरवरी में पारा 33 डिग्री सेल्सियस को पार कर गया। इससे पहले साल 2006 में इस तरह की गर्मी रिकॉर्ड की गई थी। मौसम विभाग ने भविष्यवाणी की है कि आने वाले दिनों में गर्मी लगातार बढ़ने वाली है। देश के उत्तरी और पश्चिमी हिस्सों में तापमान बढ़ने के साथ ही दिल्ली भी तपती रहेगी। मंगलवार को अधिकतम तापमान 33 और न्यूनतम तापमान 16 डिग्री सेल्सियस से अधिक रहा सकता है।
पश्चिमी विक्षोभ के चलते उत्तर भारत में बढ़ी गर्मी पर लगेगा ब्रेक
मौसम विभाग के मुताबिक अगले दो दिन तापमान 33 डिग्री के करीब रहने का अनुमान है। मौसम के बारे में जानकारी देने वाली प्राइवेट एजेंसियों के मुताबिक मंगलवार को तापमान एक नया रिकॉर्ड बना सकता है। हालांकि इसके बाद बढ़ते तापमान पर ब्रेक लगने का अनुमान जताया गया है, लेकिन तापमान में कमी की उम्मीद नहीं जताई गई है। वेदर एक्सपर्ट्स के मुताबिक पश्चिमी विक्षोभ उत्तरी पहाड़ों की ओर बढ़ रहा है। मौसम की गतिविधि पर्वतीय राज्यों और पंजाब, हरियाणा के कुछ उत्तरी हिस्सों तक ही सीमित है। हवा के पैटर्न में उलटफेर और दिल्ली के आसपास इनकी गति में गिरावट की वजह से यह गर्मी बढ़ रही है।
कितना सटीक होता है मौसम विभाग का पूर्वानुमान
आइए, जानते हैं कि मौसम विभाग की भविष्यवाणी या उसका अनुमान कैसे सामने आता है। इसके अलावा आखिर क्यों मौसम विभाग का पूर्वानुमान हमेशा पूरी तरह सच नहीं हो पाता। इन सवालों पर जनसत्ता डॉट कॉम के संपादक विजय झा ने मौसम विभाग के महानिदेशक (DG) डॉ. मृत्युंजय महापात्रा से बातचीत की है।
डॉ. महापात्रा ने बताया कि 2018 से 2022 के पांच साल में पिछले पांच साल 2013-17 के मुकाबले लगभग 40 फीसदी अधिक सटीक पूर्वानुमान जाहिर करने में मौसम विभाग तकनीकी तौर पर सक्षम हुआ है। उन्होंने कहा कि चक्रवाती तूफान( साइक्लोन), लू (हीट वेव), तूफान (थंडर स्ट्रॉम) और भारी बारिश (हेवी रेन फाल) के मामले में वेदर फॉरकास्ट (मौसम का पूर्वानुमान) एक्यूरेसी बेहतर हुई है।
कब तक रहेगी फरवरी में ऐसी गर्मी, मौसम विभाग के डीजी Dr. Mrityunjay Mohapatra से जानिए
कैसे किया जाता है मौसम का पूर्वानुमान
डॉ. मृत्युंजय महापात्रा ने बताया कि मौसम के पूर्वानुमान के लिए विभिन्न ऊंचाइयों पर तापमान, दाब, आर्द्रता और हवा की गति संबंधी आंकड़ों से जुड़ी सूचनाओं का एनालिसिस किया जाता है। इसके लिए पुरानी और नई दोनों तकनीकों के रिजल्ट की तुलना भी की जाती है। मौसम पूर्वानुमान के लिए उपग्रह प्रौद्योगिकी का भी इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा मौसम पूर्वानुमान में डॉप्लर रडार का भी उपयोग होता है। मौसम वैज्ञानिकों ने डॉप्लर रडार के जरिए टॉरनेडो और हरिकेन जैसे तूफान के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त की है। वहीं, मौजूदा दौर में कंप्यूटर पर आधारित वायुमंडल के संख्यात्मक मौसम पूर्वानुमान मॉडलों से भी इसे हासिल किया जाता है।