केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआइ) ने आय से 6.1 करोड़ रुपए अधिक की संपत्ति अर्जित करने के मामले में गुरुवार को हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह और उनके परिवार के सदस्यों के खिलाफ जांच शुरू कर दी। आरोप है कि वीरभद्र ने यह संपत्ति केंद्रीय इस्पात मंत्री रहने के दौरान अर्जित की थी।

जांच एजंसी 6.1 करोड़ रुपए की कथित बेहिसाबी संपत्ति के मामले में आय से अधिक संपत्ति के नजरिए से जांच करेगी। यह मामला 2009-11 के दौरान का है जब वीरभद्र यूपीए सरकार में इस्पात मंत्री थे। आरोप है कि सिंह ने केंद्रीय मंत्री रहने के दौरान एलआइसी एजंट चौहान के जरिए जीवन बीमा पॉलिसियों में अपने और अपने परिवार के सदस्यों के नाम से 6.1 करोड़ रुपए का निवेश किया।

आरोप है कि कर निर्धारण वर्ष 2009-10, 2010-11 और 2011-12 में सिंह ने जो आयकर रिटर्न भरे उसमें उन्होंने अपनी वार्षिक आय क्रमश: 7.35 लाख रुपए, 15 लाख रुपए एवं 25 लाख रुपए दिखाई। एक इस्पात फर्म के सिंह को कथित रूप से रिश्वत का भुगतान करने की सीबीआइ की जांच शुरू होने के बाद मुख्यमंत्री ने 2012 में कथित रूप से तीन वर्षों के संशोधित रिटर्न दाखिल किए।

सूत्रों ने कहा कि संशोधित रिटर्न में सिंह ने कर निर्धारण 2009-10, 2010-11 और 2011-12 में अपनी आय क्रमश: 2.21 करोड़ रुपए, 2.8 करोड़ रुपए और 1.55 करोड़ रुपए दिखाई। उन्होंने दावा कि यह आय उन्हें हिमाचल प्रदेश में रामपुर के श्रीखंड बागों से कृषि आय के जरिए हुई। कृषि आय को आयकर मुक्त माना जाता है। जांच एजंसी का पहला कदम शिकायत की प्रमाणिकता या एजंसी को मिली स्रोत सूचना को जांचना है। प्रथम दृष्ट्या आरोप सही पाए जाते हैं तो मामले को प्राथमिकी अर्थात नियमित मामले में तब्दील कर आगे जांच की जाएगी।

आयकर विभाग इस मामले में पहले से ही अनियमितताएं मानकर चल रहा था। विभाग इस मामले को हिमाचल से बाहर स्थानांतरित भी कर चुका था। लेकिन हाई कोर्ट ने आयकर विभाग का तरीका गलत माना था। और मामले के दस्तावेजों को प्रदेश से बाहर ले जाने की मनाही की थी। आयकर विभाग का कहना था कि दस्तावेजों को संयुक्त जांच के लिए चंडीगढ़ भेजा जाना जरूरी है। शिमला में यह जांच नहीं हो सकती। जबकि वीरभद्र सिंह का कहना था कि यह जांच शिमला में हो सकती है। उन्हें परेशान करने के मकसद से यह मामला स्थानांतरित किया जा रहा है।

यह मामला दिल्ली हाई कोर्ट में भी चला। वहां इसकी पैरवी मशहूर वकील प्रशांत भूषण कर रहे थे। वहां वीरभद्र सिंह के पैरवीकारों का कहना था कि प्रशांत भूषण जमीन मामले में हिमाचल में उलझे हैं जिस कारण वीरभद्र से उनकी निजी खुन्नस है। इस कारण वे जनहित याचिका के माध्यम से वीरभद्र सिंह को परेशान कर रहे थे। उसके बाद दिल्ली हाई कोर्ट ने इसे लेकर एक विशेष टीम गठित की थी।

जाहिर है कि वीरभद्र सिंह की मुश्किलें ठीक उस समय बढ़ी हैं, जब 25 जून को सरकार अपने ढाई साल का उत्सव मनाने जा रही है। वीरभद्र सिंह का खेमा इस मामले से निपटने के लिए मंथन कर रहा है।