उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को लेेेेकर लखनऊ के राजनीतिक गलियारों में अलग तरह की चर्चा चल रही है। पटेल ने 26 अगस्त को लखनऊ मेंं उन्होंने वरिष्ठ अफसरों के साथ बैठक की। बैठक में लखनऊ जिले में चल रही सरकारी योजनाओं का जायजा लिया। केंद्र सरकार की योजनाओं की प्रगति और क्रियान्वयन के बारे में जानने पर उनका खास जोर था।
राज भवन की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया कि राज्यपाल पूरे राज्य का दौरा कर विकास योजनाओं की प्रगति की समीक्षा करेंगी। राज्यपाल ने केंद्र सरकार की दो योजनाओं का लोगों को लाभ दिलवाने पर जोर दिया। उन्होंने प्रधानमंत्री आवास योजना के अन्तर्गत ऋण के आवेदन निपटाने में देर नहीं करने और प्राथमिकता के आधार पर एक्शन लेने के लिए कहा।
स्वच्छ भारत मिशन की कामयाबी के लिए भी राज्यपाल ने अफसरों को निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत बने शौचालयों में पानी की कमी नहीं होनी चाहिए। साथ ही, इस पर समय-समय पर लोगों की प्रतिक्रिया लेते रहने के लिए भी कहा।
मोदी सरकार की एक और बड़ी योजना, आयुष्मान भारत का फायदा भी ज्यादा से ज्यादा लोगों को दिलाने की बात गवर्नर ने कही। उन्होंने अफसरों को अस्पतालों का समय-समय पर निरीक्षण करने और शिकायत मिलने पर कड़ी कार्रवाई करने के लिए भी कहा।

पटेल को 20 जुलाई को यूपी का गवर्नर नियुक्त किया गया। वह भोपाल से लखनऊ भेजी गईं। वह नरेंद्र मोदी के मुख्यमंत्री रहतेे गुजरात में मंत्री थीं और मोदी के दिल्ली की राजनीति में आने के बाद गुजरात की मुख्यमंत्री भी रहीं।
बतौर राज्यपाल वह काफी सक्रिय रही हैं। यूपी में भी उनकी सक्रियता देखने को मिल रही है। वह जल्द ही योगी आदित्य नाथ के पूरे मंत्रीपरिषद से भी मिलने वाली हैं।
पटेल की नियुक्ति को राज्य के कई बड़े नेता संदेह की नजर से भी देख रहे हैं। उन्हें शक है कि अमित शाह और नरेंद्र मोदी की जोड़ी ने उन्हें योगी आदित्य नाथ सरकार द्वारा केंद्र सरकार के कार्यक्रमों की प्रगति पर रिपोर्ट लेने और इन पर मजबूती से अमल कराने के मकसद से लखनऊ भेजा है।
पटेल ने वित्त मंत्रालय से यह रिपोर्ट भी मांगी है कि केंद्री योजनाओं के लिए योगी सरकार को केंद्र से कितना पैसा मिला और कितना खर्च किया गया। लखनऊ के राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि योगी सरकार को अब राजभवन को भी रिपोर्ट देनी होगी और पटेल सत्ता का एक समानांतर केंद्र बन कर उभर सकती हैं। बीजेपी के कुछ नेता भी राज्यपाल की सक्रियता को राजनीतिक नफा-नुकसान के चश्मे से देख रहे हैं।
आनंदीबेन अपनी कार्यशैली से अक्सर चर्चा में रहती हैं। उन्होंने लखनऊ में राजभवन केे दरवाजे आम जनता के लिए खोल दिए हैं। वह अपनी सुरक्षा भी कम करवा चुकी हैं। 25 अगस्त को टीबी पीड़ित एक बच्ची को गोद लेकर भी वह चर्चा में आ गईं और अगले ही दिन उन्होंने लखनऊ में बड़े अफसरों के साथ बैठक में सरकारी योजनाओं की प्रगति की समीक्षा की।
पटेेेल ने अफसरों को कई निर्देश दिए। उन्होंने शैक्षिक-सत्र समय से शुरू करने, स्कूलों में बीच में पढ़ाई छोड़ने वाले बच्चों की संख्या कम से कम करने, कुपोषण की समस्या दूर करने जैसे कई निर्देश दिए और इनके लिए उपाय भी सुझाए।