UP By Election: उत्तर प्रदेश विधानसभा की 9 सीटों पर होने वाले उपचुनाव के लिए हर तरफ चर्चा BJP और समाजवादी पार्टी की ही चर्चा है। सीएम योगी आदित्यनाथ के लिए, इन उपचुनाव को एक नाक की लड़ाई माना जा रहा है, जबकि सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव के लिए इन्हें लोकसभा चुनाव के बाद विनिंग लीक को बरकरार रखने की चुनौती के तौर पर देखा जा रहा है।
वहीं, आम तौर पर उपचुानव से दूर रहने वाली BSP अस्तित्व की लड़ाई के लिए चुनावी मैदान में है। सवाल यह है कि आखिर मायावती उपचुनाव में सीएम योगी आदित्यनाथ या अखिलेश यादव में से किसका खेल बिगाड़ने वाली हैं?
लोकसभा चुनाव की रणनीति अपना रहीं मायावती
द हिंदू की एक रिपोर्ट के अनुसार, मायावती लोकसभा चुनाव की ही रणनीति पर काम कर रही हैं। उन्होंने उसी के आधार पर 9 सीटों पर उपचुनाव के लिए अपने प्रत्याशियों को उतारा है। बता दें कि बीएसपी के कई प्रत्याशियों ने लोकसभा चुनाव के दौरान बीजेपी को नुकसान पहुंचाया था। अब अहम यह है कि उपचुनावों में चार सीटें ऐसी हैं, जहां बसपा की सोशल इंजीनियरिंग, बीजेपी के हिंदुत्व को झटका दे सकती है।
टिकट बंटवारे में साधे समीकरण
दरअसल, मायावती ने इन सीटों पर चार सवर्ण उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है, जिनमें से दो ब्राह्मण, एक राजपूत और एक वैश्य है। कानपुर की सीसामऊ सीट पर पार्टी ने वीरेंद्र शुक्ला को टिकट दिया है, जबकि बीजेपी की तरफ से सुरेश अवस्थी, और सपा की तरफ से निष्कासित विधायक इरफान सोलंकी की पत्नी नसीम सोलंकी चुनावी मैदान में हैं। मिर्जापुर की मझवां सीट की बात करें तो बसपा ने यहां से दीपक तिवारी को उतारा है।
करहल चुनाव को लेकर क्या बोले अखिलेश?
प्रयागराज की फूलपुर से बीजेपी ने दीपक पटेल को टिकट दिया है, जबकि बसपा ने जितेन्द्र सिंह के रूप में राजपूत उम्मीदवार को चुना है। सपा की तरफ से यहां मुज्तबा सिद्दीकी हैं। गाजियाबाद सदर बनिया बहुल आबादी वाला क्षेत्र है, यहां मायावती ने बीजेपी के वोट बैंक को चपत लगाने के लिए परमानंद गर्ग पर भरोसा जताया है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बीएसपी अपने मुख्य अनुसूचित जाति के वोट बैंक को उम्मीदवार की जाति के वोट बैंक के साथ जोड़कर चुनाव में नए सिरे से जोर लगाने की रणनीति पर काम कर रही है।
पुराने फॉर्म्यूले पर लौट रही BSP?
बीएसपी अब अपने ‘बहुजन के कल्याण और खुशी’ के अपने नारे पर वापस लौटती दिख रही है। बीएसपी ने मैनपुरी की करहल सीट से शाक्य उम्मीदवार को टिकट दिया है, जो एक ऐसा वोट बैंक है जो भाजपा और सपा दोनों के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि दोनों ने एक ही यादव प्रत्याशियों को टिकट दिया है।
अखिलेश यादव ने कांग्रेस को नहीं दिया भाव
तीन सीटों पर बसपा के उम्मीदवार सपा को नुकसान पहुंचाने की कोशिश में हैं, जिसमें मुरादाबाद की कुंदरकी विधानसभा से लेकर मुजफ्फरनगर की मीरापुर सीट शामिल है। यहां बीएसपी ने मुस्लिम उम्मीदवारों को उतारा है और कटेहरी में उसने कांग्रेस से आए कुर्मी समाज के अमित वर्मा पर भरोसा जताया है।
बागियों को सबक सिखाने की कोशिश
कटेहरी और मीरापुर में उम्मीदवारों के चयन से संकेत मिलता है कि मायावती अपने दलबदलुओं और बागियों को सबक सिखाना चाहती हैं। कटहरी में सपा ने अंबेडकर नगर के सांसद लालजी वर्मा की पत्नी शोभावती वर्मा को मैदान में उतारा है, जो पाला बदलने से पहले लंबे समय तक मायावती के विश्वासपात्र थे।
इसके अलावा मुजफ्फरनगर की मीरापुर में पार्टी के पूर्व राज्यसभा सांसद मुनकाद अली की बेटी सपा से चुनाव लड़ रही हैं। मेरठ जोन के समन्वयक पद से हटाए गए, मुनकाद अली ने अभी तक पार्टी से इस्तीफा नहीं दिया है।
योगी के बयान को RSS की हरी झंडी मिल गई
एक तरफ जहां यह देखना अहम होगा कि अखिलेश और योगी में बीएसपी किसका खेल बिगाड़ेगी, तो दूसरी ओर एक बड़ा टेस्ट आकाश आनंद की योग्यता का भी टेस्ट होगा। लोकसभा चुनाव के बाद मायावती ने राष्ट्रीय समन्वयक के पद पर फिर से नियुक्त किया था।
बीएसपी के प्रवक्ता फैजान खान ने कहा कि आकाश आनंद देश भर के कार्यकर्ताओं को संबोधित कर रहे थे और उन्हें थोड़े समय के लिए पार्टी से बाहर किए जाने को मायावती के शब्दों के चयन पर ध्यान देने के संदर्भ में देखा जाना चाहिए, जबकि वे मौजूदा सरकार की नीतियों से असहमति जता रही हैं।
पार्टी के प्रवक्ता ने कहा कि मायावती खुद सार्वजनिक रैलियों में बहुत सावधान रहती हैं और उन्होंने आकाश आनंद को कोई तरजीह नहीं दी, जैसा कि हमारे आलोचक आरोप लगा रहे हैं। वे किसी भी आम कार्यकर्ता की तरह मेहनत कर रहे हैं और लोगों पर सार्वजनिक रैलियों में उन्हें ताज पहनाने के लिए दबाव नहीं डाला जा रहा है।