कोरोना महामारी से लड़ने के लिए सरकार की तैयारी जैसे-जैसे तेज हो रही है, कहर भी लगातार बढ़ता जा रहा है। राजनीतिक दल एक-दूसरे पर आरोप ही लगा रहे हैं, वे इसको लेकर जनता की नजरों में अब भी गंभीर नहीं दिख रहे हैं। कोई भी पार्टी चाहे वह सत्ता पक्ष का हो या विपक्ष का अपनी जिम्मेदारी को नहीं स्वीकार कर रही है।
टीवी चैनल न्यूज-24 पर एंकर संदीप चौधरी ने पूछा कि जब कोरोना की दूसरी लहर आ रही थी, तब हम सो रहे थे, जब हम जागे तब तक काफी देर हो चुकी थी। चुनाव तो टाले जा सकते थे। उनकी बात पर भाजपा के प्रवक्ता आरपी सिंह ने कहा कोरोना तो किसान आंदोलन के दौरान तेजी से फैला। किसानों के आंदोलन के दौरान बहुत ज्यादा लापरवाही बरती गई। दूसरी बात यह है कि चुनाव कराना आयोग का दायित्व, सरकार से लेनादेना नहीं है।
एंकर संदीप चौधरी ने कहा कि विधानसभा चुनाव को छोड़िए, पंचायत चुनाव तो टाले जा सकते थे। उसे क्यों नहीं रोका गया। आरपी सिंह ने कहा कि यह चुनाव कराने की एक संवैधानिक प्रक्रिया है। उसे टाला नहीं जा सकता है। एंकर संदीप चौधरी ने कहा कि चुनाव पहले भी कई बार टाले गए हैं। दूसरी बात यह है कि पंचायत चुनाव चुनाव आयोग नहीं कराता है। उसे राज्य सरकारे कराती हैं।
ऐसा प्रतीत होता है कि केंद्र चाहता है कि ‘‘लोग मरते रहें’’ क्योंकि कोविड-19 के उपचार में रेमडेसिविर के इस्तेमाल को लेकर ‘परिर्वितत’ प्रोटोकॉल के मुताबिक केवल ऑक्सीजन पर आश्रित मरीजों को ही यह दवा दी जा सकती है। दिल्ली उच्च न्यायालय ने कोविड उपचार प्रोटोकॉल में परिवर्तन पर आपत्ति जताते हुए यह टिप्पणी की।
न्यायमूर्ति प्रतिभा एम सिंह ने केंद्र सरकार से कहा, “यह गलत है। ऐसा लगता है दिमाग का बिल्कुल इस्तेमाल नहीं हुआ है। अब जिनके पास आॅक्सीजन की सुविधा नहीं है उन्हें रेमडेसिविर दवा नहीं मिलेगी। ऐसा प्रतीत होता है कि आप चाहते हैं लोग मरते रहें।” केंद्र सरकार ने अदालत को बताया कि प्रोटोकॉल के तहत ऑक्सीजन की मदद पर आश्रित मरीजों को ही अब रेमडेसिविर दवा दी जा रही है।