मुद्दा तो मणिपुर का था, लेकिन राजनीतिक दलों ने अपने-अपने एजंडे के मुताबिक गोले दागे। राजनीतिक दलों ने एक तरह से आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर अपने तरकश के तीर सजाए। गुरुवार को अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा के दौरान विपक्ष शासित राज्यों पर आरोप मढ़ने के आरोप सामने आए। जवाब में मणिपुर ही नहीं, कई राज्यों में महिलाओं पर हो रहे अत्याचार का मुद्दा उठा।

हम निर्वाचित सांसद हैं, लेकिन हमें चुप करा दिया जाता है : महुआ

तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा ने कहा कि हम यहां अपने ‘तुम अभी चुप रहो’ गणतंत्र में सवाल पूछने आए हैं, जहां प्रधानमंत्री एक राज्यपाल से कहते हैं ‘चुप रहो’। उनका इशारा सत्यपाल मलिक की तरफ था। उनका नाम लिए बिना मोइत्रा ने प्रधानमंत्री को घेरा। मोइत्रा ने कहा कि इस मामले में प्रधानमंत्री के पास सीधे तौर पर हस्तक्षेप करने की शक्तियां हैं लेकिन उन्होंने इस शक्तियों का प्रयोग नहीं किया। इस बयानबाजी के बीच सदन में विपक्ष का शोर-शराबा जारी रहा। वहीं मोइत्रा भी शायराना अंदाज में नजर आईं।

उन्होंने कहा कि इस सदन में निर्वाचित सांसद के रूप में हमसे नियमित रूप से कहा जाता है कि चुप रहो। यह अविश्वास प्रस्ताव मणिपुर में इस मौन संहिता को तोड़ने के लिए है। उन्होंने सवाल किया कि प्रधानमंत्री हमारी बात नहीं सुनेंगे, आखिरी दिन आकर भाषण देंगे ओर सबकी धज्जियां उड़ाकर चले जाएंगे। हम जानते हैं कि हम विपक्षी दलों के पास नंबर नहीं है और इसके बाद भी हम प्रस्ताव लेकर आए हैं ताकि लोकतंत्र को बचाया जा सके।

उन्होंने कहा कि मुझे नहीं पता कि इससे अधिक दुर्भाग्यपूर्ण क्या होगा कि हमारे प्रधानमंत्री ने संसद में आने से इनकार कर दिया या उन्होंने मणिपुर जाने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि यह प्रस्ताव सदन में सफल होने के लिए नहीं बल्कि सरकार पर अविश्वास से ज्यादा विश्वास रखो से संबंधित है। मणिपुर का मुद्दा अलग है क्योंकि एक विशेष समुदाय से जुड़ा है और यह मामला अन्य राज्यों की तुलना में अलग है।

उन्होंने कहा कि जब मणिपुर की घटनाओं की बात आती है तो सत्तापक्ष के लोग राजस्थान, छत्तीसगढ़ और पश्चिम बंगाल की बात करते हैं। तृणमूल सांसद ने कहा कि मणिपुर की अलग परिस्थिति है और वहां घृणा अपराध के मामले हैं जहां दो समुदायों को एक दूसरे के खिलाफ खड़ा कर दिया गया है और गृह युद्ध जैसी स्थिति है। उन्होंने कहा कि क्या किसी अन्य राज्य में ऐसा देखा गया है कि हिंसा के कारण 6000 लोग विस्थापित हुए, जो कि करीब दो फीसद आबादी है। यहां150 लोगों की मौत हो गई, असम राइफल्स और पुलिस के हथियार कब्जाए गए। जो कि सीधेतौर पर केंद्र सरकार व राज्य सरकार से संबंधित एजंसियों के नाकाम होने का उदाहरण हैं। मोइत्रा ने कहा कि ऐसा केवल मणिपुर में देखने को मिला, इसलिए ‘झूठी तुलनाएं’ बंद होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि यह ‘दोहरे इंजन’ सरकार की सबसे बड़ी नाकामी है।

उन्होंने कहा कि हम केवल मणिपुर पर जवाब चाहते हैं। वहां पर सिविल वार जैसे हालात हैं। उन्होंने यह भी सवाल खड़ा किया कि मणिपुर में जिस तरह से बफर जोन बनाना पड़ा। जिससे पहाड़ के लोग घाटी पर नहीं जा पाए और घाटी के लोग पहाड़ पर नहीं जा पाए। यह सब मणिपुर को झेलना पड़ा है। उन्होंने कहा कि नफरतों की जंग में क्या क्या हुआ। सब्जियां हिंदू हो गई हैं और बकरा मुसलमान। पूरे इलाके में ऐसा माहौल बनाया गया है कि एक समुदाय दूसरे समुदाय के खिलाफ अपराध कर रहा है और पीड़ितों को इंसाफ तक नहीं मिल पा रहा है। इस मामले में केंद्र सरकार को जवाब देना चाहिए। मणिपुर की जनता की तरफ से आग्रह करना चाहती हूं वहां पर प्रशासन में बदलाव किया जाए।

महिलाओं पर राजनीति नहीं करनी चाहिए : सीतारमण

मणिपुर, दिल्ली, राजस्थान कहीं भी हो, महिलाओं की पीड़ा को गंभीरता से लेना होगा। कोई राजनीति नहीं करनी चाहिए। विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव पर बोलते हुए केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि मैं इस पूरे सदन को 25 मार्च 1989 को तमिलनाडु विधानसभा में हुई एक घटना की याद दिलाना चाहती हूं जब तमिलनाडु में विधानसभा में जयललिता की साड़ी खींची गई थी। वे उस समय विपक्ष की नेता थीं। वहां बैठे डीएमके सदस्यों ने उनके साथ धक्का-मुक्की की और उन पर हंसे थे।

उन्होंने सवाल किया कि क्या डीएमके जयललिता को भूल गई है? उन्होंने कहा कि तुमने उनकी साड़ी खींची, तुमने उनको अपमानित किया। उस दिन जयललिता ने शपथ ली कि जब तक वे मुख्यमंत्री नहीं बनेंगी, सदन में कभी नहीं आएंगी। दो साल बाद वे (जयललिता) तमिलनाडु की मुख्यमंत्री के रूप में लौटीं। इसी बीच अविश्वास प्रस्ताव पर केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के वक्तव्य के दौरान कांग्रेस, सीसीपी और डीएमके सांसदों ने लोकसभा का बहिष्कार कर किया। निर्मला सीतारमण ने आरोप लगाया कि संप्रग ने पूरा एक दशक बर्बाद कर दिया क्योंकि वहां बहुत भ्रष्टाचार और भाई-भतीजावाद था।

अब सरकार ने आज हर संकट और विपरीत परिस्थिति को सुधार और अवसर में बदल दिया गया है। उन्होंने विपक्षी गठबंधन पर तंज किया कि हाल ही में कर्नाटक के स्वास्थ्य मंत्री यहां के मोहल्ला क्लीनिक देखने दिल्ली आए। उन्होंने आकर कहा कि इनमें कुछ खास नहीं है और हम निराश हैं। ये विपक्षी गठबंधन की लड़ाई का एक उदाहरण।

उन्होंने कहा कि हमने महसूस किया है कि बैंकिंग क्षेत्र को स्वस्थ रहने की जरूरत है और इसलिए हमने कई कदम उठाए हैं। बैंक राजनीतिक हस्तक्षेप के बिना काम करने में सक्षम हैं, वे पेशेवर ईमानदारी के साथ काम कर रहे हैं। उन्होंने विपक्ष को कहा कि हम बैंकों में फैलाया हुआ, आपका रायता हम साफ कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि विपक्ष ने हमेशा ही आम जनता को सपने दिखाएं है और भाजपा सरकार ने उन सपनों को साकार करके दिखाया है।

इसका सीधा लाभ आम जनता को मिल रहा है ओर उस तक सरकारी योजनाएं पहुंच रही है। कोरोना संक्रमण काल के बावजूद हमारे देश के हालात बेहतर स्थिति में है। उन्होंने कहा कि पूर्ववर्ती कांग्रेस नीत संप्रग सरकार के दौरान भ्रष्टाचार के कारण एक दशक बेकार होने का आरोप लगाते हुए गुरुवार को कहा कि पिछले नौ वर्षों में मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों के कारण भारत भविष्य की वृद्धि को लेकर सकारात्मक स्थिति में है और दुनिया में सबसे तेज गति से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना हुआ है।

जल्द और अधिक उपलब्ध होगा सरकारी सस्ता टमाटर : निर्मला सीतारमण ने बताया कि महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक के टमाटर उत्पादक क्षेत्रों से टमाटर की खरीदा है। यह एनसीसीएफ, नेफेड जैसी सहकारी समितियों के माध्यम से इनका वितरण किया जा रहा है। अब बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और राजस्थान में यह 14 जुलाई से शुरू हो चुका है और यह जारी रहेगा।